गर्मी का सीजन शुरू होते ही फलों की बाजार में मांग बढ़ गई है। डिमांड को देखते हुए रांची में दूसरे राज्यों से थोक में कच्चे पपीता व आम बड़ी मात्रा में मंगाए जा रहे हैं। जिसे कैल्शियम कार्बाइड से तीन दिन में पका कर बाजार में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। भास्कर ने इन फलों को कैसे पकाया जा रहा है, इसकी पड़ताल रांची के फल बाजारों में जाकर की। पाया कि सबसे अधिक पपीता व आम को कार्बाइड से पकाया जा रहा है। अब पपीते को कार्बाइड से पकाया गया है, इसे पहचानें कैसे? इसका सबसे आसान तरीका है, कार्बाइड वाला पपीता बहुत पीला और सख्त होगा। इसी तरह, तरबूज में अगर केमिकल होगा तो उसे काट कर उस पर रुई रगड़ें। यदि रुई लाल हो जाए तो समझिए उसमें केमिकल है। सरकार ने कैल्शियम कार्बाइड कर रखा है प्रतिबंधित : सरकार ने कैल्शियम कार्बाइड को बैन कर रखा है। लेकिन, कई फल व्यापारियों से लेकर आम लोग भी घर में इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। कैल्शियम कार्बाइड एक रासायनिक पदार्थ है। यह फलों में मौजूद नमी और पानी से क्रिया करके इथाइल गैस बनाता है। इससे कृत्रिम गर्मी पैदा होती है और फल वक्त से पहले पक जाते हैं। यही फल खाने के बाद लोगों को पेट की बीमारियां देती हैं। दक्षिण का आम पहुंचा रांची, इसे भी कार्बाइड से ही पका रहे… तमिलनाडु से दो तरह के आम रांची के बाजार में आए हैं। इनमें सबसे महंगा आम अभी गुलाब खस 300 रुपए किलो व पलसुम 150 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहा है। गुलाब खस आम भी कच्चा ही रांची पहुंच रहा है। जिसे कैल्शियम कार्बाइड से पकाने के बाद खुदरा बाजार में बेचा जा रहा है। आम में मालदा, दशहरी की डिमांड सबसे अधिक रहती है, उनको अभी बाजार में आने में 25 दिन से अधिक का समय लगेगा। पपीते पर लपेटते हैं पेपर, 48 घंटे में बदलता है रंग महाराष्ट्र व ओडिशा से मंगाया जा रहा तरबूज, उसमें भी मिलावट रांची में महाराष्ट्र व ओडिशा से तरबूज मंगाया जा रहा है। तरबूज में भी मिलावट की जा रही है। पका हुआ तरबूज लाल दिखे इसके लिए उसमें भी केमिकल इंजेक्शन से डाला जा रहा है। उसमें मिलावट है या नहीं, यह जानने के लिए तरबूज को दो भागों में काटें। एक कॉटन (रूई) लेकर तरबूज पर रंगड़ें। अगर रूई में लाल या नारंगी रंग निकल आए तो समझ जाएं ये मिलावटी है। अगर कोई रंग न चढ़े तो समझें ये असली तरबूज है। रायपुर से आ रहा है कच्चा पपीता : रांची में रायपुर से इन दिनों कच्चा पपीता आ रहा है। रांची में हर दिन तीन ट्रक पपीता फल मंडी में आ रहा है। कच्चे पपीते को कृत्रिम तरीके से पकाने के लिए पहले पेपर में लपेटा जा रहा है। फिर कैल्शियम कार्बाइड की पुड़िया बनाकर पपीते के ढेर में बीच-बीच में डाल दिया जा रहा है। तीन दिन में कच्चा पपीता पकाकर तैयार हो जा रहा है।