जांजगीर चांपा में सिविल सर्जन को हटाने की मांग:700 कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन, जांच के बाद भी कार्रवाई नहीं; 15 अप्रैल को बड़ा आंदोलन

जांजगीर-चांपा जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. दीपक जायसवाल को हटाने की मांग तेज हो गई है। शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग के 700 कर्मचारियों ने सामूहिक प्रदर्शन किया। अपनी मांगो को लेकर कर्मचारी 5 मार्च से विरोध जता रहे है। स्टाफ नर्सों का आरोप है कि डॉ. जायसवाल ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और मनमानी रवैया अपनाया। शासन स्तर पर जांच के बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के उप प्रांतीय अध्यक्ष रविंद्र तिवारी ने चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि 15 अप्रैल तक सिविल सर्जन को नहीं हटाया गया तो बिलासपुर में संभाग स्तरीय धरना प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद प्रदेशव्यापी आंदोलन की भी चेतावनी दी गई है। जांच के बाद भी कार्रवाई नही स्वास्थ्य कर्मचारी संगठन स्वास्थ्य मंत्री से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। समय रहते कार्रवाई नहीं होने पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। इससे आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए जांच की बात कही थी। जिसके बाद कलेक्टर ने जांच टीम बनाई थी। 18 मार्च को रायपुर से तीन सदस्यीय टीम जांच के लिए पहुंची थी। स्वास्थ्य सेवा निदेशालय की जांच टीम ने तीन बार दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए। डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने सिविल सर्जन द्वारा की जा रही मानसिक प्रताड़ना के दस्तावेज टीम को सौंपे थे। 11 मार्च को ओपीडी का बहिष्कार किया था 11 मार्च को स्थिति तब और बिगड़ गई थी जब डॉक्टरों ने सिविल सर्जन को हटाने की मांग को लेकर OPD का बहिष्कार कर दिया और साइकिल स्टैंड से मरीजों का इलाज किया। स्वास्थ्य मंत्री ने इस वक्त भी डॉक्टरों को रायपुर बुलाकर जांच के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया था।

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