डूंगरपुर के सागवाड़ा के वनकर्मी एक लेपर्ड के शावक को डेढ़ महीने से पाल रहे हैं। यह शावक मादा लेपर्ड से 22 फरवरी को बिछुड़ गया था। वन विभाग ने 20 बार उसे वापस जंगल में छोड़ने का प्रयास किया, लेकिन मादा लेपर्ड उसे लेने वापस नहीं आई। जिस वजह से वह वापस जंगल में नहीं जा सका। सागवाड़ा वन क्षेत्र के रेंजर तेज सिंह चौहान ने बताया कि जेठाना गांव के पास जंगल क्षेत्र में एक मादा लेपर्ड ने 3 शावकों को जन्म दिया था। मादा लेपर्ड अपने 2 शावकों को लेकर चली गई, लेकिन एक शावक बिछुड़ गया। जेठाना गांव के लोगों ने पैंथर के शावक को देखा। बिल्ली की तरह ही दिखने वाले शावक को देखकर लोग घबरा गए। लोगों ने इसकी सूचना सागवाड़ा वन रेंज को दी। जिस पर वनकर्मियों ने उसका रेस्क्यू किया। इसके बाद से शावक वनकर्मियों के साथ ही है। बकरी का दूध पीता है और कच्चा अंडा खाता है
रेंजर ने बताया कि शावक को बकरी का दूध और कच्चे अंडे रास आ गए हैं। रोज लोगों से बकरी का दूध मंगवाया जाता है। पहले उसे गरम करते हैं, फिर उसे ठंडा होने के बाद एक बोतल में भरकर उसे पिलाया जाता है। वहीं कच्चे अंडे को एक बर्तन में दिया जाता है। शावक के खाने में प्रतिदिन 150 रुपए का खर्चा आता है। शावक को आवश्यक दवाइयां भी दी जा रही हैं। उसका रूटीन हेल्थ चैकअप भी करवाया जाता है, ताकि वह बीमार नहीं हो। वन विभाग ऑफिस बना शावक का ठिकाना
रेंजर तेज सिंह ने बताया कि लेपर्ड के शावक का 22 फरवरी को रेस्क्यू किया गया था। इसके बाद से वन विभाग का ऑफिस ही उसका ठिकाना बन गया है। वनकर्मियों के मौजूद रहने पर वह खुले में घूमता है, लेकिन जब कोई नहीं होता तब उसे पिंजरे में रखना पड़ता है। कुत्ते और बिल्ली के बच्चों की तरह बर्ताव
रेंजर ने बताया कि शावक का बर्ताव पूरी तरह से कुत्ते और बिल्ली के बच्चों की तरह है। जब वह खुले में होता है तो आसपास घूमता रहता है। कभी बॉल के साथ खेलता है। कभी खड़ी बाइक पर चढ़ने का प्रयास करता है, तो कभी कुर्सी पर चढ़कर बैठ जाता है। नन्हे शावक की अटखेलियों के साथ वनकर्मी भी खेलते हैं। उसे कई बार कमरे में अकेला भी छोड़ दिया जाता है और आगे का दरवाजा बंद कर दिया जाता है, ताकि वह घूमता रहे। 20 दिन तक रोज 12 घंटे उसी जगह छोड़ा, मादा लेपर्ड नहीं आई लेने
रेंजर तेज सिंह ने बताया कि शावक जिस जगह पर मिला, उसी जगह पर लगातार 20 दिन तक उसे छोड़ा गया। रोज शाम 7 बजे उसे जंगल में छोड़कर सुबह 6 बजे तक उसी जगह पर रखा, लेकिन मादा लेपर्ड उसे वापस लेने नहीं आई। 12 घंटे तक उस पर निगरानी भी रखी गई। आगे की देखभाल के लिए भेजा जाएगा उदयपुर
रेंजर ने बताया कि मादा लेपर्ड अपने 2 शावकों को लेकर दूर चली गई होगी। इसके अलावा उसने अपना क्षेत्र बदल दिया हो। मनुष्य की गंध शावक में शामिल होने के बाद मादा लेपर्ड शावक को नहीं अपनाती है। इस मामले में भी कुछ ऐसा ही प्रतीत होता दिखाई दे रहा है। फिलहाल वन विभाग की टीम इस प्रयास में है कि शावक को उसकी मां किसी भी तरह से अपने साथ ले जाए, लेकिन अगर नहीं ले जा पाती है तो मजबूरन शावक को आगे की देखभाल के लिए उदयपुर भेज दिया जाएगा।