प्राकृतिक खेती का मिशन शुरू:जमीन-फसलों की सेहत सुधरेगी, प्राकृतिक खेती में बाजार से उत्पाद नहीं ला सकेंगे, खेत का बीज-खाद खेत में काम आएगा

राष्ट्रीय स्तर पर शुरू हुआ प्राकृतिक खेती मिशन का फायदा प्रदेश के किसानों को भी मिलेगा। जैविक खेती की तरह ही अब प्राकृतिक खेती की जाएगी। इससे न केवल जमीन की उर्वरक क्षमता बनी रहेगी बल्कि खाने–पीने की चीजें भी पेस्टिसाइड मुक्त मिलनी शुरू होंगी। इस योजना से किसानों को खेती में आने वाली लागत और बाहर से खरीदे गए संसाधनों पर निर्भरता कम होगी। हाल ही में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन शुरू करने को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है। इस पर 2,481 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इससे खेती में आने वाली लागत को कम करने के लिए किसानों को सहायता मिलेगी। पहले ग्राम पंचायतों को चिन्हित किया जाएगा। शुरुआत में देश भर में 15,000 समूहों में लागू किया जाएगा। 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती की शुरुआत होगी तथा 1 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे। अलावा आवश्यकता आधारित 10,000 जैव-इनपुट संसाधन केन्द्र एवं लगभग 2,000 प्राकृतिक खेती मॉडल प्रदर्शन फार्मों की स्थापना होगी। इसकी गाइडलाइन मिलते ही अलग–अलग विभागों के जरिए योजना को लागू किया जाएगा। यह खेती में खासकर अपने पूर्वजों से विरासत में मिले पारंपरिक ज्ञान पर आधारित होगी। इसमें किसान रसायन मुक्त खेती के रूप में प्राकृतिक खेती की आदत डालेंगे। ताकि सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा सके। जैविक की तरह मगर प्राकृतिक खेती पड़ेगी सस्ती जैविक खेती में भी किसी तरह का पेस्टिसाइड का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। इसके लिए किसानों का प्रमाणीकरण व सतत निगरानी की जाती है। प्राकृतिक खेती का लक्ष्य भी रसायन मुक्त खेती के साथ–साथ किसानों की खेती में लागत कम करना है। इस योजना में किसानों के यहां पशुओं के गोबर–मूत्र व फसलों के अवशेष से ही खाद–बीज तैयार किए जाएंगे। यानि बाजार से कुछ भी खरीद कर लाने की जरूरत नहीं रहेगी। जबकि जैविक खेती में रोग नियंत्रण आदि के लिए कई उत्पाद बाजार से खरीदने पड़ते हैं। किसानों के फसलों को मिलेगा बाजार, जियो-टैग किया जाएगा किसानों की मदद करने के लिए कृषि सखियों व सीआरपी लगाए जाएंगे। ये प्राकृतिक खेती को पुनर्जीवित के लिए किसानों का मार्गदर्शन करेंगे। कृषि विज्ञान केन्द्रों, कृषि विश्वविद्यालयों और किसानों के खेतों में लगभग 2000 मॉडल फार्म बनाए जाएंगे। किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही सरल प्रमाणन प्रणाली और समर्पित सामान्य ब्रांडिंग की जाएगी। उनके कृषि उत्पादों को बाजार तक पहुंच दी जाएगी। खेती की जियो-टैग भी की जाएगी। इसकी निगरानी के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जाएगी। चारा स्टेशनों पर मॉडल प्रदर्शन फार्मों का विकास किया जाएगा।

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