जालंधर आगामी दिनों में उत्तर भारत में पड़ने वाली भीषण गर्मी के मद्देनजर मौसम विज्ञानियों ने किसानों को फसलों और पशुओं की सेहत संभाल के प्रति आगाह किया है। पीएयू के कृषि मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग प्रमुख डॉ. पीके किंगरा ने बताया कि आने वाले दिनों में ऐसी स्थितियां गंभीर हो सकती हैं, क्योंकि भारतीय मौसम विभाग ने भी आने वाले दिनों में राज्य में अलग-अलग स्थानों पर लू चलने की भविष्यवाणी की है। उन्होंने बताया कि हालांकि समय पर बोई गई रबी फसलें पकने के करीब पहुंच गई हैं, लेकिन देर से बोई गई सब्जियों और फलों की फसलें गर्मी के झटकों के साथ-साथ पानी की बढ़ती मांग से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकती हैं। उन्होंने गर्मी और पानी की कमी को रोकने के लिए फसलों की उचित निगरानी पर जोर दिया। समय-समय पर फसलों को जरूरत के हिसाब से हल्की सिंचाई करनी चाहिए। फलों की फसलों के लिए गर्म मौसम चूंकि असहनीय होता है, इसलिए उन्हें पर्याप्त सुरक्षा की आवश्यकता होती है। बागों में उपज के नुकसान से बचने के लिए सिंचाई प्रदान कर उचित नमी बनाए रखी जानी चाहिए। छोटे और कोमल पौधों पर गर्मी के भार को कम करने के लिए पुआल की मल्च भी मददगार हो सकती है। पशुधन प्रबंधन पर डॉ. पीके किंगरा ने गर्मी के मौसम में पशुओं और पालतू जानवरों पर भी ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि गर्मी के कारण होने वाले तनाव और निर्जलीकरण से बचने के लिए पशुओं को परिसर के अंदर रखें, उन्हें लगातार पानी पिलाएं तथा पौष्टिक आहार दें। पशुओं के शरीर का तापमान बनाए रखने और गर्मी के कारण होने वाले तनाव को कम करने के लिए उन्हें समय-समय पर नहलाएं। पशुओं खास तौर पर विदेशी नस्लों की गायों के लिए कूलर या पंखे की भी व्यवस्था की जा सकती है। उन्होंने आम लोगों से भी आग्रह किया कि वे लंबे समय तक धूप में रहने से बचें, विशेष रूप से व्यस्त समय के दौरान तथा अत्यधिक गर्म मौसम के दौरान स्वयं को हाइड्रेटेड रखें।