भू-माफिया और जमीन दलालों ने सरकारी जमीन को बेचा:महासमुंद में 100 रुपये के स्टांप पर करोड़ों की जमीन का सौदा, पटवारी और शिक्षाकर्मी शामिल

महासमुंद में वन विभाग की बेशकीमती जमीन का बड़ा घोटाला सामने आया है। बीटीआई रोड स्थित वन विद्यालय से सटी शासकीय भूमि को भू-माफिया और जमीन दलालों ने मात्र 100 रुपये के स्टांप पेपर पर बेच दिया। इस जमीन को खरीदने वालों में एक शिक्षाकर्मी और एक पटवारी शामिल हैं। जमीन का खसरा नंबर 102/5 है, जिसका क्षेत्रफल 1898 वर्ग फुट है। राजस्व रिकॉर्ड में यह जमीन ‘बड़े झाड़ का जंगल’ के रूप में दर्ज है। यह जमीन कलेक्टोरेट से मात्र 500 कदम की दूरी पर गौरव पथ सड़क के किनारे स्थित है। पहले इस जमीन पर उषा देवांगन और उनके पति केशव देवांगन का कब्जा था। वे वहां घर बनाकर रहते थे। जिला प्रशासन और वन विभाग ने इस अतिक्रमण पर कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में भू-माफिया और जमीन दलालों ने उषा देवांगन को जमीन बेचने के लिए मजबूर कर दिया। बेशकीमती जमीन कौड़ियों के भाव महासमुंद के कुर्मीपारा निवासी पटवारी अरविंद चंद्राकर ने अपनी पत्नी भूमिका चंद्राकर और भाभी भारती चंद्राकर के नाम पर 16 सितंबर 2024 को खसरा नंबर 102/4 की 598 वर्गफुट जमीन, 100 और 20 रुपये के स्टांप पेपर पर महज़ 10 लाख रुपये में खरीदने का दिखावा किया। लेकिन वास्तविक निर्माण कार्य खसरा नंबर 102/5 में किया जा रहा है, जो शासकीय वन भूमि है। दलालों और अधिकारियों की साझेदारी इसी तरह कृष्णा कुमार साहू (कौशिक कॉलोनी) और विकास कुमार साहू (नेमचंद गार्डन) ने मिलकर 17 सितंबर 2024 को खसरा 102/4 के हिस्से की 1300 वर्गफुट भूमि का सौदा 30 लाख रुपये में किया। यह सौदा भी मात्र 100 रुपये के स्टांप पेपर पर नोटरी से किया गया। लेकिन यहां भी दुकानों का निर्माण खसरा नंबर 102/5 पर किया जा रहा है। सुनियोजित तरीके से रची गई साजिश पटवारी अरविंद चंद्राकर, शिक्षाकर्मी विकास साहू, कृष्णा कुमार साहू और स्थानीय हल्का पटवारी ने मिलकर यह योजना बनाई। सभी जानते थे कि सरकारी भूमि की रजिस्ट्री नहीं हो सकती, इसलिए खसरा नंबर बदलकर सौदेबाजी की गई और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। पटवारी की संदिग्ध भूमिका जमीन की बिक्री के बाद पटवारी खम्मनलाल साहू ने खरीदारों को नजरी नक्शा भी जारी किया। यह नक्शा खसरा 102/4 को ‘आबादी भूमि’ बताकर तैयार किया गया, जबकि मौके पर हो रहा निर्माण 102/5, यानी शासकीय वन भूमि पर पाया गया। वन विभाग द्वारा जब जांच करवाई गई, तो आरआई मनीष श्रीवास्तव के साथ मौके पर मापन कर पुष्टि की गई कि निर्माण वन भूमि पर ही किया जा रहा है। सत्तारूढ़ दल से जुड़े लोगों की संलिप्तता जानकारी के अनुसार, सत्ता से जुड़े सफेदपोश और उनके रिश्तेदार भी इस भू-माफिया नेटवर्क का हिस्सा हैं। राजस्व कार्यालयों में इनका दबदबा इतना है कि कई बार अधिकारी उनके दबाव में काम करने को मजबूर होते हैं। एक पूर्व राजस्व अधिकारी ने ऐसे ही दबावों के चलते अपना तबादला तक करा लिया था। जांच रिपोर्ट के बाद होगी कार्रवाई महासमुंद डीएफओ पंकज राजपूत ने कहा, संबंधित भूमि राजस्व की है, जो लंबे समय से वन विद्यालय के लिए आरक्षित है। हाल ही में वहां अवैध निर्माण देखा गया है, जिसकी सूचना एसडीएम को दे दी गई है। राजस्व टीम से जांच करवाई जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अगर भूमि पर छोटे झाड़ या जंगल पाया जाता है, तो वन संरक्षण अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई होगी।

FacebookMastodonEmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *