शिअद के शहरी- देहाती प्रधानों की कुर्सी पर बना खतरा:पुनर्गठन . सुखबीर प्राथमिकता कोर कमेटी और जिला इकाइयों का दोबारा करेंगे गठन, फिर से होगी प्रधानों की नियुक्ति

गुरमीत लूथरा | अमृतसर शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल को संगठनात्मक ढांचे के गठन के 12 अप्रैल को समस्त अधिकार देने के बाद से ही अकाली दल हलकों में मौजूदा शहरी व देहाती प्रधान को हटाने की चर्चा शुरु हो गई है। 12 को प्रधान बनने के बाद अब सुखबीर की प्राथमिकता कोर कमेटी व जिला इकाईयों का दोबारा गठन करना है। सुखबीर को नए सिरे से पार्टी के गठन के अधिकार देने के बाद से ही मौजूदा शहरी प्रधान सुरजीत सिंह पहलवान व देहाती प्रधान राजविंदर सिंह राजा लदेह पर उन्हें हटाए जाने की तलवार लटक गई है । वजह साफ है, मौजूदा चुनाव में उक्त प्रधानों विशेषकर शहरी प्रधान पहलवान का प्रदशर्न निराशाजनक रहा है। उनकी अगुवाई में कुल 85 कोंसलरों में से केवल चार कोंसलर ही जीत हासिल कर पाए हैं। 21 दिसंबर 2024 को आए चुनाव नतीजों में इन 85 कोंसलरों में से केवल अवतार सिंह ट्रकां वाले, बीबी नगवंत कौर, परमजीत कौर व इंद्रजीत सिंह पंडौरी ही जीत हासिल करने में सफल हुए हैं। अवतार सिंह ट्रकां वाले तो मात्र दो मतों के अंतर से ही जीत हासिल कर पाए थे। हाईकमान की नजर में पहलवान की परफारमेंस शून्य रही है। जबकि राजा लदेह भी चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं को अकाली दल के प्रत्याशियों के पक्ष में मत डलवाने में पूरी तरह विफल रहे थे। इसका खमियाजा विशेष तौर से शहरी प्रधान पहलवान को भुगतना पड़ सकता है, भविष्य में अगर उन्हें पद से हाथ धोना पड़ जाए तो कोई हैरानी नहीं होगी। अकाली कोंसलर अवतार सिंह ट्रकां वालां ने कहा कि यूं उनकी प्रधान बनने की कोई इच्छा नहीं है लेकिन माझे के जरनैल व वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया जो भी आदेश करेंगे, जो भी सेवा लगाएंगे, वह उन्हें मंजूर होगी। उन्होंने कहा कि वह मजीठिया के प्रत्येक आदेश का पूरी तरह से पालन करेंगे। बकौल अवतार सिंह, पहलवान ने अकाली नेताओं को एकजूट करने में अहम भूमिका निभाई है, उनके नेतृत्व में अकाली दल ने विशेष उपलब्धियां हासिल की हैं, इसलिए शहर का हरेक अकाली उनके ही पक्ष में हैं लेकिन मजीठिया जिसकी जो भी डयूटी अथवा सेवा लगाएंगे, हम सभी को यह सेवा स्वीकार होगी।

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