राज्यपाल बागड़े ने कहा:गुरु दक्षिणा में विश्वविद्यालय में एक-एक पेड़ लगाने का संकल्प लें विद्यार्थी

राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागडे ने कहा कि संस्कृत भाषा नहीं, भारत की महान संस्कृति और मानव संस्कारों की जननी है। डिग्री लेने वाले छात्र-छात्राओं को गुरु दक्षिणा के अंतर्गत अपने विश्वविद्यालयों में पेड़ लगाने का आह्वान किया। पेड़ पर नाम भी होगा, जिससे उनका नाम हमेशा याद रहेगा। बागडे गुरुवार को झालाना स्थित आरआईसी में जगदगुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के सप्तम दीक्षांत समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि संस्कृत और संस्कृति के संरक्षण के लिए सभी मिलकर कार्य करे। संस्कृत ग्रंथों के जरिए भारतीय ज्ञान परम्परा को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संस्कृत भाषा के प्रसार के साथ उसके ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाना चाहिए। संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी रही है। महापुरुषों ने भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा को संस्कृत भाषा में ही रचा। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि संस्कृत विश्व की प्राचीन भाषाओं की सूत्रधार है। उन्होंने संस्कृत शिक्षा को आधुनिक ज्ञान विज्ञान का आधार बताया। मंच का संचालन शास्त्री कौसलेन्द्र दास ने किया। इस मौके पर रजिस्ट्रार नरेन्द्र कुमार वर्मा, विधायक बालमुकुन्दाचार्य एवं महेन्द्र पाल मीना समेत अनेक पदाधिकारी उपस्थित थे। कुलगुरु तो बना दिया, अब सम्मान भी मिले, लगातार बेइज्जत हो रहे कुलपति राज्यपाल के सामने ही संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे ने कुलपतियों के सम्मान को लेकर मामला उठाया। उन्होंने कहा कि कुलपति को कुलगुरु तो बना दिया है, लेकिन उन्हें इज्जत भी मिले क्योंकि कुलपति लगातार बेइज्जत हो रहे हैं। ऐसे में कुलपति को कुलगुरु बनाने के साथ ही उनके पद और स्थिति को सम्मान जनक बनाया जाना चाहिए। समारोह में राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा, पत्रकारिता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुधि राजीव, विश्वकर्मा कोशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. देवस्वरूप सहित कई लोग उपस्थित थे। 6461 विद्यार्थियों को मिली उपाधि, 10 को गोल्ड मेडल अवधेशानंद गिरि को विद्या वाचस्पति की उपाधि राज्यपाल एवं लोकसभा अध्यक्ष ने दीक्षांत समारोह में जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि को विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि प्रदान कर उनका सम्मान किया। इससे पहले उन्होंने विश्वविद्यालय के न्यूज लेटर ‘प्रवृत्ति’ के दीक्षांत समारोह विशेषांक का लोकार्पण भी किया। इससे पहले जूना अखाड़े के अवधेशानंद गिरि ने सनातन भारतीय संस्कृति के प्राचीन ग्रंथों में निहित ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने पर जोर दिया।

FacebookMastodonEmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *