डीसी ने बूथों पर मतगणना प्रक्रिया की समीक्षा की:नगर परिषद भोगपुर में 71.81 प्रतिशत वोटिंग

जालंधर| डिप्टी कमिश्नर डॉ . हिमांशु अग्रवाल ने विभिन्न मतदान केंद्रों का दौरा किया जहां उन्होंने मतदान प्रक्रिया और मतगणना प्रक्रिया की समीक्षा की । डीसी ने बताया कि नगर निगम जालंधर के 85 वार्ड, नगर परिषद भोगपुर के 13, नगर परिषद गोराया के 13, नगर परिषद फिल्लौर के 1, नगर पंचायत बिलगा के 11, नगर पंचायत शाहकोट के 13 और नगर पंचायत मेहतपुर के 1 वार्ड सहित कुल 137 वार्डों के लिए चुनाव हुए। उन्होंने कहा कि नगर पंचायत बिलगा के 13 वार्डों में से 2 वार्डों (वार्ड नंबर 1 और 3) पर पहले ही सहमति बन चुकी है। मतदान केंद्रों पर मतदान कर्मियों का उत्साहवर्धन करते हुए जिला चुनाव अधिकारी ने कहा कि चुनाव को सुचारु, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न करवाने में मतदान कर्मियों की अहम भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायतों के चुनाव के लिए लगभग तीन हजार कर्मचारी नियुक्त किए गए थे। इसके अलावा सुरक्षा के मद्देनजर 3404 जिला पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को तैनात किया गया था। डॉ.अग्रवाल ने बताया कि जिले में 54.90 प्रतिशत मतदान उचित व शांतिपूर्वक संपन्न हुआ, जिसमें नगर निगम जालंधर में करीब 50.27 प्रतिशत, नगर परिषद भोगपुर में 71.81 प्रतिशत, नगर परिषद गोराया में 65.14 प्रतिशत, नगर कौंसिल फिल्लौर में 55.92 प्रतिशत, नगर पंचायत बिलगा में 66.54 प्रतिशत, नगर पंचायत शाहकोट में 63.90 प्रतिशत और नगर पंचायत मेहतपुर में 61.55 प्रतिशत मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। जालंधर| अकाली दल की जालंधर में पकड़ ढीली पड़ चुकी है। पार्टी का ग्राफ गिर रहा है। इस बार अकाली दल की तरफ से 31 उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा गया था जबकि वार्ड 10 से आजाद उम्मीदवार ने अकाली दल का दामन थामा था। लेकिन हैरानी की बात रही कि इनमें से एक भी अकाली दल का उम्मीदवार जीत नहीं पाया और न ही किसी ने कोई बेहतर प्रदर्शन किया है जबकि इसमें पार्टी के स्टेट कार्यकारिणी से लेकर सेंट्रल हलका इंचार्ज, यूथ प्रधान से लेकर पालिटिक्ल अफेयर कमेटी मेंबर तक को चुनाव मैदान में उतारा गया था। इनमें मुख्य रूप से कुलदीप भाटिया, अरविंदर कौर ओबराय, रितू चोपड़ा, रणजीत सिंह राणा, परमिंदर कौर जैसे बड़े टकसाली परिवारों के नाम है। शिरोमणि अकाली दल के जिला शहरी प्रधान कुलवंत सिंह मन्नण पर एक बार फिर से बड़ा सवाल खड़ा हुआ है क्योंकि लोकसभा उप-चुनाव के बाद, इस साल लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव और जालंधर वेस्ट उप-चुनाव के बाद अब नगर निगम चुनाव में लगातार उनकी अगुआई में पार्टी कमजोर साबित हो रही है।

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