रायसेन में विवाद के बाद गिराया मदरसा:मुस्लिम पक्ष बोला- हिंदू संगठन ने तोड़ा; प्रशासन का दावा- लोगों ने खुद गिराया

रायसेन जिले में एक मदरसे जैसे स्ट्रक्चर को रातोंरात जमींदोज कर दिया गया। कुछ लोगों का कहना था कि मदरसा बजरंग दल के लोगों ने तोड़ा है। तोड़ने से पहले विवाद और तनाव की स्थिति भी बनी। प्रशासनिक दावों में कहा गया कि ये सरकारी जमीन पर बना स्ट्रक्चर था, जिसे लोगों ने खुद ही गिरा दिया। ये भी दावा किया जा रहा है कि ये मदरसा नहीं एक घर था। आखिर क्या है इस मामले की हकीकत…जिस स्ट्रक्चर को गिराया गया है क्या वो सचमुच मदरसा था या किसी का घर? गिराने वाले हिंदू संगठन के लोग थे या जिनका घर था उन्होंने खुद ही गिराया? मामले में अब तक प्रशासन का रोल क्या रहा है? इन सारे सवालों के जवाब जानने के लिए भास्कर टीम मौके पर पहुंची। 300 घरों में ज्यादातर हिंदू परिवार रहते हैं
रायसेन जिले में बैरसिया से करीब 3 किलोमीटर दूर भोजपुर रोड पर मेंदुआ गांव है। इसी गांव में बुधवार रात एक स्ट्रक्चर को गिरा दिया गया है। करीब 300 घरों के इस गांव में ज्यादातर हिंदू परिवार रहते हैं। गांव के एक कोने में 10-15 घरों में मुस्लिम परिवार के लोग रहते हैं। गांव की ज्यादातर जमीन पथरीली और ऊंचाई वाली है। शुक्रवार को जब हम गांव पहुंचे तो सन्नाटा नजर आया। सड़कों पर कम ही लोग दिखे। कच्ची सड़कों से जाने पर गांव के सबसे अंतिम वाले हिस्से में जमीन पर गिरे हुए मकान का दरवाजा, टीन शेड्स और मलबा नजर आया। मलबे की दीवारों का रंग नया दिखा। आसपास के लोगों ने हमें बताया कि ये वही स्ट्रक्चर है जो बुधवार को गिराया गया। अचानक 50 लोगों ने घर पर हमला कर दिया
मलबे के पास खड़ी अन्नू बी कहती हैं कि बुधवार शाम करीब 6 बजे मैं यहीं अपने घर के बाहर ही बैठी थी। तभी अचानक देखते-देखते करीब 50 लोग इकट्ठे हो गए। चिल्लाते हुए उन्होंने सबसे पहले पत्थर से इस घर का दरवाजा तोड़ दिया। कुछ लोगों ने पत्थर मारकर खिड़की तोड़ दी। हम लोगों ने जब पूछा कि भैया ये क्यों तोड़ रहे हो? तो वो लोग गालियां देने लगे। कहने लगे कि तुम लोग जगह-जगह मदरसा और मस्जिद बना लेते हो। अब ये सब नहीं चलेगा। अगर कोई बीच में आया तो उसे भी नहीं छोड़ेंगे। हम लोग डरकर पीछे हट गए। उन्हीं लोगों में से चार-पांच लड़के अंदर गए और हमारी धार्मिक किताब और बच्चों के सिपारे (कुरान का एक हिस्सा) उठाकर ले आए। उन्हें बाहर फेंक दिया। ऐसा वो कैसे कर सकते हैं? हर बच्चे का 100 रुपए, इससे चुकाते थे किराया
बिस्मिल्ला कहती हैं कि ये जो मलबा आप देख रहे है, ये कल तक दो कमरे का घर था। हमारे छोटे बच्चों के लिए तालीम देने के लिए हमारे पास कोई जगह नहीं थी। तो हम सबने मिलकर ये घर किराए से लिया था। यहीं बैरसिया से हाफिज जी रोज सुबह 8 बजे यहां आते थे। 9 बजे तक यहां बच्चों को दीनी तालीम देते थे। गांव के 12-13 छोटे बच्चे यहां पढ़ते थे। हम सब मिलकर हर बच्चे के हिसाब से 100 रुपए देते थे, जिससे इसका किराया चलता था। एक साल पहले ही यहां पढ़ाई शुरू हुई थी। भीड़ में गांव के भी कई लोग शामिल
शब्बीर मियां कहते हैं कि जब ये सब हुआ तो उसमें हमारे गांव के भी कई लोग शामिल थे। वो सब नारे लगा रहे थे। कह रहे थे कि कोई भी हिंदुओं पर उंगली उठाएगा तो उसकी उंगली काट देंगे। ये जो घर तोड़ा उसके ऊपर उन लोगों ने एक भगवा झंडा भी फहराया था। जब ओबैदुल्लागंज से पुलिस आई तो पुलिस ने वो झंडा उतरवाकर रख लिया। जो भीड़ आई थी उसमें बजरंग दल वाले तो कम ही लोग थे, हमारे आसपास के गांव वाले कई लोग शामिल थे। उसके अलावा भी वो तोड़फोड़ कर रहे थे। हमारी टपरियां तोड़ दी, बागड़ तोड़ दी। यहीं पर पानी की टंकी रखी थी, इसको भी तोड़ डाला। मेरे हाथ में पहले से चोट लगी थी। घर टूट गया, अब कहां पढ़ाई होगी
आठ साल का अल्फाज कहता है कि उस दिन लोगों ने घर तोड़ दिया। मटके भी तोड़ दिए। मैं रोज यहीं पढ़ने आता था। हाफिज जी पढ़ाते थे। उन्होंने हमें अलीफ-बा(अरबी की वर्णमाला) पढ़ना और कलमा (इस्लाम की बुनियादी शपथ) पढ़ना सिखाया था। मुझे अली-बा पूरा याद भी हो गया है। अब ये घर टूट गया है। हम यहीं पढ़ते थे। पता नहीं अब यहां पढ़ाई कब चालू होगी। मैं यहीं गांव में स्कूल भी जाता हूं। अभी पहली क्लास की परीक्षा दी है। अब दूसरी क्लास में जाऊंगा। पुलिस ने कहा- ये अवैध घर है, तुम खुद गिरा लो
बानो बी कहती हैं कि हमारा परिवार लगभग 50 सालों से यहां रह रहा है। हम शुरू में यहां काम ढूंढते हुए आए थे। अभी हम लोग यहीं आसपास मजदूरी करते हैं। रहने के लिए छोटे-छोटे टप्पर के घर बना लिए हैं। जो भीड़ आई थी, उनसे कहा कि बेटा हमने अपने बाल-बच्चों की पढ़ाई के लिए किराए से ये घर लिया है। जैसा तुम लोग समझ रहे हो, यहां वैसा कुछ नहीं है। उनमें से एक ने कहा कि हम पर उंगली उठाई तो ऐसी-तैसी कर देंगे। तुम भी चुपचाप अपने घर चली जाओ। नहीं तो तुम्हारा भी घर गिरा देंगे। जब पुलिस और प्रशासन के लोग आए तो उन्होंने हमसे कहा कि ये जो घर है, ये सरकारी जमीन पर बना है। अवैध घर है। तुम लोग खुद ही इसे गिरा दो, नहीं तो अगर बुलडोजर आया तो तुम सब के घर गिरा देंगें। इसके बाद हम लोगों ने खुद ही जो बचा हुआ घर का हिस्सा था, उसको गिरा दिया। दरवाजे, खिड़की वो लोग पहले ही तोड़ चुके थे। रात में हम लोगों ने डर के मारे दीवार, पिलर और टीन की बनी छत सब गिरा दी। मेंदुआ सरपंच के पति चमन सिंह अहिरवार कहते हैं कि जब ये घटना हुई तब मैं यहां नहीं था। मुझे गांव के लोगों ने बताया कि वहां मदरसा था। बुधवार की शाम कुछ बजरंग दल वाले आए थे। उन्होंने देखा कि वहां मदरसा बना हुआ है। घर को मदरसा समझ कर गिरवा दिया
जो घर गिराया गया। वह गांव की ही रहने वाली रफीका का है। जब हम रफीका से मिलने उनके घर पहुंचे तो उन्होंने कैमरे पर बात करने से मना कर दिया। उसके बाद रफीका ने हमसे कहा कि हम गरीब लोग हैं बड़ी मुश्किल से जिंदगी भर मजदूरी करके कुछ पैसे जोड़े थे। तब बड़ी मुश्किल से वो घर बना था। अभी कुछ समय के लिए बच्चों को पढ़ने के लिए दे दिया था। पता नहीं क्यों उन लोगों को गलतफहमी हो गई। मेरा नया घर गिरा दिया। मैंने तो किसी का कुछ बुरा नहीं चाहा था। मेरी उन लोगों से कभी कोई लड़ाई भी नहीं हुई थी। फिर भी उन लोगों ने मेरे साथ ये सब किया। अब तो बस अपनी किस्मत पर रोने के अलावा कुछ नहीं है। खून पसीने का सब पैसा हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर झगड़े में बर्बाद हो गया। हमारे लिए तो अल्लाह और भगवान एक ही है। मदरसे को मस्जिद का रूप देने की तैयारी थी
इस मामले में हमने दूसरा पक्ष समझने के लिए हिंदू संगठनों से भी बात की। विश्व हिंदू परिषद के भोजपुर जिला मंत्री अरविंद खरे कहते हैं कि हमारे बजरंग दल कार्यकर्ता एक गाय के मामले में उसी क्षेत्र में गए हुए थे। वहीं उनको इस मदरसे की सूचना मिली। वहां पहले ही गांव के लोग पहुंच चुके थे। गांव के लोग तोड़फोड़ कर रहे थे। उसके बाद हमारे कार्यकर्ता वहां पहुंचे। हमारे कार्यकर्ताओं ने पुलिस को इसकी सूचना दी। हमें जानकारी मिली कि जो मदरसा वहां चल रहा था उसको मस्जिद का रूप देने की तैयारी थी। छत डालने की तैयारी थी। इसकी शिकायत हमने एडीएम से की। सरकारी जमीन पर स्ट्रक्चर था, लोगों ने खुद ही गिराया
मामले में अब तक प्रशासन की भूमिका क्या रही है ये समझने के लिए हमने तहसीलदार से बात की। तहसीलदार हेमंत शर्मा ने बताया कि मेंदुआ गांव में पठार की एक जमीन थी, जिस पर कुछ लोगों ने टीन शेड लगाकर एक स्ट्रक्चर खड़ा कर लिया था। जब हम वहां पहुंचे तो लोगों ने शिकायत की कि यहां मदरसा चल रहा है, लेकिन वो लोग वहां अपने बच्चों को सिर्फ पढ़ा रहे थे। मोहल्ले वालों का कहना था कि हमारे पास इस जमीन के दस्तावेज हैं, लेकिन जब हमने चेक किया तो उन लोगों के पास उस जमीन का कोई डॉक्यूमेंट नहीं था। हमने समझाया तो उन लोगों ने खुद ही वो स्ट्रक्चर गिरा दिया। बजरंग दल के द्वारा तोड़फोड़ की कोई भी शिकायत हमें नहीं मिली है। फिलहाल इलाके में पूरी तरह शांति है और स्थिति सामान्य है।

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