छत्तीसगढ़ में धान खरीदी केंद्रों के लिए तिरपाल खरीदी में 6 करोड़ का घोटाला हुआ है। मार्कफेड ने 12,685 रुपए प्रति नग की दर से खरीदे। जबकि तमिलनाडु ने इसी फर्म से यही तिरपाल 9390 रुपए प्रति नग की दर से खरीदे। इस तरह छत्तीसगढ़ ने प्रति तिरपाल 3295 रुपए अधिक चुकाए। कुल 18,500 तिरपाल 23.46 करोड़ रुपए में खरीदे गए। तमिलनाडु की तुलना में छत्तीसगढ़ ने 6 करोड़ रुपए अधिक चुकाए गए। भास्कर पड़ताल में ये भी पता चला कि तिरपाल मानकों पर खरे नहीं थे, इसलिए कई जगहों पर फटे मिले। 4 साल से तिरपाल नहीं खरीदी गई थी, इसलिए बीते साल 30 सितंबर को मार्कफेड ने जेम पोर्टल पर इसका टेंडर निकाला। जिन फर्मों को सप्लाई का वर्क ऑर्डर मिला, उनमें से बैग पॉली इंटरनेशनल लिमिटेड ने यही तिरपाल तमिलनाडु में कम रेट पर दिया। छत्तीसगढ़ में जिन्हें ठेका मिला, उन पर 2023 में कार्टेल बनाकर टेंडर में शामिल होने पर खाद्य निगम कार्रवाई कर चुका है। तब फर्म की अमानत राशि जब्त हुई थी। ग्राउंड पर भास्कर: खुले में धान, सप्लाई के कई तिरपाल फटे ऐसे हुआ घोटाला मार्कफेड से सस्ते दाम पर समिति ने खुद खरीद लिए भास्कर टीम को बेमेतरा जिले के टेमरी धान खरीदी केंद्र पर 83 क्विंटल धान खुले में दिखा। यहां समिति के सहायक प्रबंधक गजरतन बंजारे ने बताया कि मार्कफेड से तिरपाल सप्लाई नहीं हुई। तब समिति ने बाजार से 60X60 मीटर के 64 तिरपाल 7800 रुपए से लेकर 8100 रुपए प्रतिनग की दर से खरीदे। हमने प्रक्रिया का पालन किया ज्यादा रेट में खरीदी नहीं की। टेंडर प्रक्रिया में जो रेट थे, उसी आधार पर वर्क ऑर्डर दिया है। हमने पूरी प्रक्रिया का पालन किया है।- रमेश कुमार शर्मा, तत्कालीन, मार्कफेड एमडी अधिक दाम पर खरीदी के लिए ये जिम्मेदार चिटौद में फटे तिरपाल: भास्कर टीम धमतरी जिले के चिटौद खरीदी केंद्र गई। बताया गया कि 5 महीने पहले कैप कवर मिले। इनमें से कुछ बोरे में बंद थे। जबकि धान के ऊपर फटे हुए कैप कवर दिखे। उधर,भास्कर टीम रायपुर से सटे कूंरा गांव पहुंची, जहां खरीदी केंद्र के बाहर गेट बंद था। यहां भी उठाव के बाद बचा हुआ धान बड़ी मात्रा में खुले में था, जो तिरपाल से नहीं ढंका था।