भास्कर न्यूज | बालोद शनिवार को राष्ट्रीय विचार मंच के तत्वावधान में सिटी मॉल बालोद के प्राची सिनेमा हॉल में एक राष्ट्र एक चुनाव विषय पर विचार गोष्ठी हुई। कार्यक्रम में जिले भर से बड़ी संख्या में प्रबुद्ध वर्ग, समाजसेवी, डॉक्टर, वकील, व्यवसायी, शिक्षक, पेंशनर, सेवा निवृत्त अधिकारी-कर्मचारी शामिल हुए। मुख्य वक्ता पूर्व सांसद अभिषेक सिंह रहे। अध्यक्षता सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी जीआर चुरेन्द्र ने की। विशिष्ट अतिथि डॉक्टर प्रदीप जैन, समाजसेवी चेमन देशमुख, राकेश द्विवेदी रहे। अभिषेक सिंह ने कहा कि वैभवशाली भारत के निर्माण के लिए एक देश एक चुनाव जरूरी है। यह कोई नया विचार नहीं है। 1952 से 1967 तक सभी चुनाव एक साथ हुए। 1960 में युद्ध और अकाल के कारण हालात बदले। 1967 के बाद राज्यों में गठबंधन सरकारें बनीं। कई बार मध्यावधि चुनाव हुए। 1991 से 2025 तक कई बार केंद्र और राज्यों के चुनाव एक साथ हुए। जनता ने केंद्र में भाजपा और राज्यों में कांग्रेस की सरकारें एक साथ चुनीं। उन्होंने कहा कि देश का सालाना बजट करीब 50 लाख करोड़ है। सभी चुनाव एक साथ होने से 4.5 से 8 लाख करोड़ की बचत हो सकती है। यह कुल बजट का 10 से 15% है। इससे देशभर में छोटे-बड़े विकास कार्य हो सकते हैं। बार-बार चुनाव से आचार संहिता लगती है। इससे आम जनता के जरूरी काम जैसे नामांतरण, बिजली, पानी रुक जाते हैं। एक साथ चुनाव से इस पर भी रोक लगेगी। बार-बार चुनाव से अस्थिरता आती है जीआर चुरेन्द्र ने कहा कि बार-बार चुनाव से राजनीतिक अस्थिरता आती है। मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए यह प्रस्ताव रखा था। 2024 के लोकसभा चुनाव में खर्च 1.35 लाख करोड़ हुआ। यह 2019 से दोगुना है। यह राशि देश के विकास में लगनी चाहिए। यह देश की जीडीपी का 1.5% है। समाजसेवी चेमन देशमुख ने कहा कि इससे सरकारी संसाधनों की बर्बादी रुकेगी। सुरक्षा बलों पर दबाव कम होगा। नागरिक एक साथ मतदान करेंगे। इससे लोकतंत्र मजबूत होगा। डॉक्टर प्रदीप जैन ने कहा कि यह जन-जन की आवाज है। देश का हर व्यक्ति इस बिल के साथ है। चिकित्सा जगत और बालोद की जनता इसका समर्थन करती है। डॉक्टर चावड़ा ने कहा कि पेंशनर समाज इसका समर्थन करता है। हम मतदाताओं तक इसके लाभ पहुंचाएंगे। चुनाव से खर्च का बोझ बढ़ता है व्यवसायी मोहन नाहटा ने कहा कि अधिकारी-कर्मचारी का समय बहुमूल्य होता है। चुनाव में वाहनों के अधिग्रहण से ट्रांसपोर्ट और आम जनता को परेशानी होती है। इससे बचा जा सकता है। शिक्षक जितेंद्र सोनी ने कहा कि मोदी जी की संकल्पना राष्ट्रहित में है। हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होते हैं। इससे खर्च और संसाधनों पर बोझ बढ़ता है। एक साथ चुनाव से यह बचत देश के विकास में लग सकती है। मानस परिवार की प्रतिमा यादव ने कहा कि यह निर्णय राष्ट्रहित में परिवर्तनकारी कदम है। युवा आशुतोष कौशिक ने कहा कि इससे आर्थिक बचत होगी।