चाइना को टक्कर दे रहे जयपुर के बिजनेसमैन:स्टार्टअप के फाउंडर रितेश खंडेलवाल बोले- हम भारतीय फेब्रिक्स पर कर रहे काम

जयपुर से शुरू हुआ स्टार्टअप जायोड आज दुनियाभर में जगह बना रहा है। 20 से ज्यादा देशों में अपने इनोवेशन और क्रिएटिव डिजाइंस के साथ आगे बढ़ रहा यह स्टार्टअप अब नए बदलावों के साथ नजर आने वाला है। हालही में इस स्टार्टअप को ए फंडिंग राउंड सीरीज में करीब 150 करोड़ रुपए जुटाए हैं। इसके जरिए अब स्टार्टअप को टेक्नोलॉजी और ग्लोबली मार्केट के अनुसार तैयार कर रहे हैं। इस स्टार्टअप के को-फाउंडर रितेश खंडेलवाल ने अपनी जर्नी को दैनिक भास्कर के साथ शेयर की। उन्होंने यह स्टार्टअप अंकित जयपुरिया के साथ मिलकर 2023 में तैयार किया था। अपनी जर्नी के बारे में बताएं, किस तरह आपने शुरुआत की थी और कैसे आगे बढ़े हैं? रितेश खंडेलवाल ने बताया- यह जर्नी बहुत अच्छी रही, हमने 2023 में इस जर्नी की शुरुआत की थी और एक सोच के साथ हमने शुरुआत की थी कि कैसे हम इंडिया की अप्रेजल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को बढ़ा सकते हैं। मन में एक दर्द था कि आज हम वहीं 4% के साथ एक्सपोर्ट के शेयर में है। उस शेयर को हम और कैसे बढ़ा सकते हैं। इस सोच के साथ हमने इस स्टार्टअप को शुरुआत की और जब हमने इसका पूरा रिसर्च किया, तो हमने देखा कि पूरे वर्ल्डवाइड ब्रांड को बहुत दिक्कत हो रही थी। खास तौर पर कोविड के बाद इन्वेंटरी के बहुत इश्यूज आ रहे थे। मैन्युफैक्चरिंग स्लो हो गई थी। हम लोग चीन से कंपीट नहीं कर पा रहे थे। इस चीज को सॉल्व करने के लिए हमने जायोड की स्थापना की। आप फैशन मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, यह किस तरह का काम है और अपने जयपुर से शुरुआत की इसके बारे में बताइए? रितेश खंडेलवाल ने बताया- हम लोग मैन्युफैक्चरिंग को डिफरेंट तरीके से सॉल्व कर रहे हैं। जितने भी वर्ल्डवाइड ट्रेंड्स होते हैं, उनकी हम हमारे टेक्नोलॉजी से हम पूरी रिसर्च करते हैं। उसके बाद यहां से हम उन डिजाइंस को बनाकर जो ग्लोबल के बेस्ट ब्रांड है जैसे नेक्स्ट, मैंगो है। इन सभी ब्रांड के लिए हम डिजाइंस को उपलब्ध कराते हैं और यह कोशिश करते हैं कि कैसे दुनिया को बेहतर से बेहतर डिजाइंस हम लोग इंडिया से बना कर हम लोगों को दे पाए। अब तक आप 18 मिलियन की फंडिंग प्राप्त कर चुके हैं, अब उस फंडिंग को कैसे यूज कर रहे हैं और कैसे स्टार्टअप को मजबूत करने में लगे हुए हैं। इसके बारे में बताएं? रितेश खंडेलवाल: हमारे फंड्स के दो राउंड हुए हैं। पहले सीड में हमने 2023 की शुरुआत में 3.5 मिलियन के करीब, यानी लगभग 28 करोड़ के करीब फंड प्राप्त किया था। उसके बाद सीरीज ए के तहत 18 मिलियन फंड हमें मिला है। इस फंड का उपयोग हम लोग तीन चीजों में कर रहे हैं। सबसे पहले हम टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं कि कैसे मैन्युफैक्चरिंग को फास्ट किया जा सकता है। कैसे ट्रेंड्स को एनालिसिस कर सकते हैं और कैसे एआई का इसमें यूज कर सकते हैं। दूसरा यह है कि हम लोग मैनपॉवर को ट्रेंड कर रहे हैं। उन्हें स्किल कर रहे हैं। ताकिं वे ग्लोबल तरीके से काम कर सके। हम खास तौर पर महिलाओं पर काम कर रहे हैं, उन्हें स्किलफुल बना रहे हैं। कोशिश करते हैं कि हम उनका उपयोग करके एक्सपोर्ट को बढ़ा सके। जिस क्षेत्र में आप काम कर रहे हैं, उस क्षेत्र में इंडिया की चीन से टक्कर है। उसको किस तरह से देख रहे हैं और कैसे कंपीट कर रहे हैं? रितेश खंडेलवाल: बिल्कुल आप सही कह रहे हैं कि चीन से हम लोग कंपीट कर रहे हैं। मैं आपको बताऊं कि अभी कुछ दिनों पहले लंदन था, वहां पर हमारा कंपटीशन था एक चीनी सप्लायर के साथ। तो एक तरीके से भारतीय होने पर मेरा खून खौल जाता है कि जब कोई कहता है कि आपका गारमेंट्स चीन से थोड़े से कम है। ऐसे में हम लोग कोशिश करते हैं कि कैसे हम उन फैब्रिक को उस मैन्युफैक्चरिंग टेक्निक्स को जिसमें चीन ने एक्सीलेंस प्राप्त किया हुआ है। कोशिश करते हैं कि उन्हें इंडिया में बना सकते हैं। हमारे पास भी दो ऑप्शन थे कि हम चीन से इंपोर्ट करते लेकिन हमने उस रास्ते को नहीं चुना। हमने इंडियन इकोसिस्टम को चुना और यहां के फैब्रिक और सॉफ्टनेस पर हमने काम किया। यहीं पर हमने टेक्नोलॉजी का निर्माण किया। यहीं कारण है कि अब चीन से बराबर कंपीट कर रहे हैं। इंडियन मैन्युफैक्चरर्स को हम एंपावर भी कर रहे हैं कि वह कैसे हमारे साथ आकर हमारे टेक्नोलॉजी को यूज कर हमारे प्रक्रिया को यूज कर चाइनीस इकोसिस्टम को एक चैलेंज देने का काम कर सकते हैं। जॉब अपॉच्युनिटीज की बात करें तो किस तरह की जॉब्स आप यहां उपलब्ध करा रहे हैं, खास तौर पर महिलाओं के लिए किस तरह का काम कर रहे हैं? रितेश खंडेलवाल: आज हम पिछले 2 साल की जर्नी में 20 से ज्यादा देशों में हमारा व्यापार को फैलाया है। अभी हमने करीबन 350 से ज्यादा ब्रांड को सर्व कर चुके हैं। अभी हमारे साथ 3500 से ज्यादा लोग डायरेक्टली काम कर रहे हैं और इनमें महिलाओं का रोल बहुत बड़ा रहा है। आज भारतीय महिलाओं का सहयोग हमें सबसे ज्यादा मिल रहा है। हमारे वर्कफाॅर्स में आधी संख्या महिलाओं की है।

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