अपराधियों द्वारा पत्रकारों और नेताओं का नाम लेना कहीं साजिश का हिस्सा तो नहीं-गजेन्द्र सिंह सिकरवार
राजनगर। भाजपा के वरिष्ठ नेता व राजनगर में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा है कि संभव है कि जिन पत्रकारों का नाम यह आरोपी ले रहा है उसमें तनिक भी सच्चाई नहीं हो। कई बार ऐसा ही होता है चोर,बेईमान,फ्रॉड,कोयला,रेता चोरी,पशु तस्करी, ड्रैग तस्करी इत्यादि आपराधिक कार्यों में संलग्न ऐसे लोग जानबूझकर पत्रकारों,नेताओं,सामाजिक कार्यकर्ताओं का नाम इसलिए भी लेते हैं क्योंकि ऐसे अवांछनीय तत्व इनसे बहुत परेशान होते हैं।इनकी यह झूठी कोशिश एक समझी-बुझी योजना होती है।साथ ही यह भी कड़वा सत्य है के ऐसे घिनाने अवैधानिक धंधों में नेतागण,राजनीतिक कार्यक्रता गण,सामाजिक संगठनों के कार्यक्रता गण,पुलिस प्रशासन एवं प्रशासन के अन्य विभाग के बिना सहयोग के ये कार्य हो नही सकते।इन तबके के कुछ लोग(सभी नही) इन्हें पैसे के लालच में सहयोग करते ही हैं।बल्कि यह भी होता है कि कई नेतागण, कुछ राजनीतिक कार्यक्रता गण,कई पत्रकार गण, कई सामाजिक कार्यक्रता गण, कई पुलिस और प्रशासन के लोग सीधे ऐसे धंधों से जुड़े हैं।उन्हें केवल पैसे से मतलब है।इसी लिए ऐसे लोग राजनीति, पत्रकारिता, समाजसेवा इत्यादि से जुड़ते भी हैं। हालांकि इनकी संख्या बहुत नही होती है फिर भी ये लोग पवित्र राजनीति, पत्रकारिता, समाजसेवा और पुलिस प्रशासन के लिए धब्बा हो जाते हैं जबकि अधिकतर नेतागण, राजनीतिक कार्यक्रता गण, पत्रकार गण और पुलिस प्रशासन के लोग ऐसे सभी गैरकानूनी धंधों का भरपूर विरोध भी करते हैं। पशु तस्करी (गौ वध) में शामिल हिंदी-सनातनी व्यक्तियों पर मुझे घिन आती है। मेरे इस पोस्ट से इस धंधे में शामिल लोगों को मिर्ची लगना भी स्वाभाविक है।