ऐसे तो 3 साल में खत्म होगा 8 लाख एमटी कचरा, करीब इतना ही बचेगा

कपिल कुमार | जालंधर वरियाणा में निगम ने कचरे की प्रोसेसिंग शुरू की है। चार स्लैडर मशीनें लगाई गई हैं। रोज 800 टन कचरे की प्रोसेसिंग की जा रही है। इस हिसाब से 30 दिनों में 24 हजार टन कचरा प्रोसेस हो रहा है, लेकिन अगर यही स्पीड रही तो कंपनी तीन साल में आठ लाख मीट्रिक टन कचरा ही खत्म कर पाएगी, जबकि ड्रोन सर्वे में यहां 14 लाख मीट्रिक टन कचरे का पहाड़ है। अब बड़ा सवाल है कि कंपनी का निगम के साथ एग्रीमेंट तीन साल का ही है। ऐसे में छह टन कचरा फिर भी बच जाएगा। हालांकि कंपनी बड़ी बायो-माइनिंग मशीन इंस्टॉल कर रही है, जो एक घंटे में 100 टन यानी रोज 2400 टन कचरे की प्रोसेसिंग करेगी। इस मशीन के शुरू होने से कचरा प्रोसेसिंग की क्षमता तीन गुना हो जाएगी। इसके बाद कचरा खत्म करने की प्रक्रिया में तेजी आ सकती है। निगम ने वरियाणा में कूड़े का पहाड़ खत्म करने के लिए बायो-माइनिंग का 32 करोड़ रुपए का टेंडर किया है। इसमें कंपनी ने कचरा प्रोसेसिंग के लिए मशीनें इंस्टॉल कीं और अप्रैल में ट्रायल रन शुरू किया। दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड पर कचरा प्रोसेसिंग देखने पहुंची तो कूड़े के पहाड़ से कचरा पोकलेन मशीन से टिप्पर में भरकर स्लैडर मशीन के पास डंप किया जा रहा है। दो से तीन दिन कचरा यहीं सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है, उसके बाद स्लैडर मशीन में प्रोसेसिंग होती है। क्योंकि गीले कचरे को सीधे मशीन में गिराने से प्रोसेसिंग का काम प्रभावित होता है। इस संबंध में नगर निगम के एक्सईएन एवं नोडल अधिकारी जसपाल ने कहा कि कंपनी वर्तमान में जिस स्पीड से चल रही है, उससे तीन साल में आठ लाख मीट्रिक टन कचरा ही प्रोसेस होगा। फिलहाल कंपनी का दावा है कि एग्रीमेंट के हिसाब से काम पूरा किया जाएगा। बड़ी मशीन इसे कंप्लीट करेगी। प्रोसेसिंग के दौरान निकलने वाले पदार्थ कचरा प्रोसेसिंग के लिए लगाए गए स्लैडर में पत्थर, पॉलिथीन, भराई के लिए मिट्टी और अंत में खाद निकलती है। इनमें से खाद को हरियाली के लिए, पॉलिथीन किसी कंपनी को भेजा जाएगा, भराव वाली मिट्टी घरों में भराई के लिए और पत्थरों को गड्ढे भरने के िलए इस्तेमाल किया जाएगा। कचरा लेकर आते टिप्पर। (दाएं) वरियाणा डंप पर कचरा प्रोसेसिंग के लिए लगी स्लैडर मशीन। एग्रीमेंट की शर्तों के मुताबिक खत्म करेंगे काम ^वरियाणा में कचरा प्रोसेसिंग के लिए 4 स्लैडर मशीनें लगी हैं, जो एक िदन में 800 टन कचरे की प्रोसेसिंग करती हैं। अब बायो-माइनिंग की बड़ी मशीन इंस्टॉल करवाई जा रही है। महाराष्ट्र से इंजीनियर आए हैं, जो तीन दिन से काम में जुटे हैं। इस मशीन से एक घंटे में 100 टन कचरे की प्रोसेसिंग होगी और रात में मशीन से काम जारी रहेगा। ऐसा होने से कंपनी की एग्रीमेंट शर्तों के हिसाब से कचरे की प्रोसेसिंग का काम पूरा करेगी।’ -विपिन बत्रा, प्रोजेक्ट प्रभारी

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