हलफ़नामे में ज़िंदा को मृत बताया, फिर मंदिर का पुजारी बन बेच दी 100 करोड़ रु. की ज़मीन ठाकुर राम यादव की रिपोर्ट कुशालपर चौक के पास रिंग रोड से लगी हुई सिरवेश्वर महादेव मंदिर की 4.40 एकड़ जमीन को पुजारी जयलाल पुरी ने भूमाफियाओं के साथ मिलकर बेच दी। इसके लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए। भूमाफियाओं से सांठगांठ की गई। जमीन की वर्तमान कीमत 100 करोड़ रुपए से ज्यादा है। अब इसमें प्लॉटिंग की तैयारी चल रही है। प्रीकॉस्ट बाउंड्री बना ली गई है। जमीन में प्लींथ बनाकर अलग-अलग टुकड़ों में उसकी मार्किंग भी हो गई है। मंदिर के पुराने सर्वराकार के परिवार और गांव वाले फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हुई इस रजिस्ट्री को शून्य कराने के लिए सरकार के चक्कर लगा रहे हैं। अलग-अलग कोर्ट में जमीन की रजिस्ट्री को अवैध बताया गया। इसके बावजूद पूर्व में हुई इस खरीदी-बिक्री और रजिस्ट्री को शून्य नहीं किया जा रहा है। ताज्जुब तो यह है कि रसूखदारों के दबाव में प्रशासन आदेश होने के बाद भी जमीन का सीमांकन नहीं कर रहा है। यह जमीन डॉ. खूबचंद बघेल वार्ड में कुशालपुर चौक से महज 100 मीटर दूर अभिनंदन पैलेस के बाजू में रिंग रोड से लगी हुई है। इस बेशकीमती जमीन का मामला हाल में तब सुर्खियों में आया जब 100 से ज्यादा गांव वालों ने कलेक्टोरेट में प्रदर्शन किया। इसकी शिकायत राजस्व व आपदा मंत्री टंकराम वर्मा से की। उन्होंने इस मामले में सप्ताहभर के भीतर जांच और दोषियों पर कार्रवाई के आदेश दिए। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जमीन खरीदने वाले अब प्रीकॉस्ट दीवार खड़ी कर उसमें मालिकाना हक का दावा कर रहे हैं। पूर्व विधायक के बेटे ने परिवार के 12 सदस्यों के नाम रजिस्ट्री करवा ली जानिए: इन दो बिंदूओ से समझिए जमीन की खरीदी-बिक्री में कूटरचना हुई जिस गोविंदधर को नि:संतान बताया उनके वारिस जीवित : गोविंदधर दीवान के पुत्र बलरामधर दीवान और उनके पुत्र प्रणव कुमार दीवान अभी भी ब्राह्मणपारा में रहते हैं। गोविंदधर की मौत के बाद पुत्र बलरामधर दीवान को सर्वराकार बनाया गया। उसके बाद बलरामधर दीवान ने अपने पुत्र प्रणव कुमार को सर्वराकार बनाया। जिसे 1976 में मृत बताया वो जिंदा था : 10 अक्टूबर 1977 गोविंदधर की मृत्यु हुई लेकिन पुजारी जयलाल ने 1976 में हलफनामे में बताया कि गोविंदधर की मृत्यु के बाद उनका उत्तराधिकारी मैं हूं।
जानकारी गोविंदधर व गांव वालों को नहीं लगने दी। 1929-30 के रिकॉर्ड के अनुसार ब्राह्मणपारा निवासी सिरवा बाई चंगोराभाठा की मालगुजार थी। इन्होंने 11 एकड़ जमीन साहू बस्ती को दान दी थी जिसमें 4 एकड़ में तालाब खुदवाया था व 2 एकड़ तालाब के चारों ओर आने-जाने के लिए छोड़ा था। 4.40 एकड़ कृषि भूमि पटवारी हल्का नंबर 105 व खसरा नंबर 84 पर रिंग रोड से लगी जमीन सिरवाबाई ने मंदिर की वय्वस्था के लिए दान की। 1941 के पटवारी रिकार्ड में सिरवा की बहन के बेटे गोविंदधर पिता कपिलधर को सर्वराकार बनाया। जयलाल पुरी को पूजा-पाठ के लिए अधिकृत किया। 11 अप्रैल 1989 को अपर कलेक्टर से जमीन बेचने की अनुमति ले ली। पूर्व विधायक के बेटे संजय ने अगले दिन जमीन की बिक्री शुरू कर दी। एक सप्ताह के भीतर जमीन का नामांतरण भी करा लिया गया। ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर फर्जी ट्रस्ट भंग कर रजिस्ट्री शून्य करने की मांग की गई। जबलपुर कोर्ट तक ने माना कि बिक्री गलत है। जानिए: पूरे मामले में क्या कह रहे हैं पक्षकार ^ इस मामले में हाईकोर्ट का 2012 में अंतिम फैसला आ चुका है। संबंधित पक्ष को इस मामले में विवाद करने से प्रतिबंधित किया गया है। जमीन बेचने की अनुमति लेने और खुद को सर्वराकार घोषित करने के आरोपों पर कोर्ट ने हमारे पक्ष में निर्णय दिया है। कोर्ट ने विक्रय को अवैध घोषित नहीं किया और ना ही रजिस्ट्री शून्य करने का आदेश दिया।
नरेंद्र गोस्वामी, नाती जयलाल पुरी (विक्रेता) ^ एसडीएम, एडीएम, कलेक्टर, सिविल कोर्ट, रेवेन्यू बोर्ड, सेशन कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक इस मामले में 15 निर्णय आ चुके हैं। सभी ने हमारे पक्ष में फैसला दिया है। जयलालपुरी को जमीन बेचने का हक था या नहीं, इसपर भी निर्णय हुआ है। 1964 से जमीन उनके नाम थी। 1984 में जमीन का नामांतरण हुआ है। उन्होंने एडीएम से अनुमति ली थी। ट्रस्ट को जमीन के बदले जमीन दी गई थी।
संजय अग्रवाल, जमीन क्रेता (क्रेता) ^ एसडीएम ने इस मामले की जांच की है। जांच में प्रथम दृष्टया यह सामने आया है कि क्रेता अग्रवाल के पक्ष में हाईकोर्ट का फैसला आया है। फिर भी मुझे एक-दो अन्य बिंदुओं पर जांच की आवश्यकता महसूस हो रही है। इसलिए मैंने मामले को फिर से जांच के लिए एसडीएम को भेजा है।
कीर्तिमान राठौर, एडीएम रायपुर ^ अभी मामले की जांच प्रक्रियाधीन है। इसकी फाइनल रिपोर्ट सबमिट नहीं हुई है। रिपोर्ट आने के बाद ही इसमें कुछ कह पाऊंगा।
गौरव कुमार सिंह कलेक्टर रायपुर