बहुत गंभीर मरीज भी आवेदन करने के बाद स्वीकृति के इंतजार में बैठे गरीबों के लिए कल्याणकारी योजना के रूप में राज्य में मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना की शुरुआत की गई थी, ताकि जरूरतमंदों का इलाज पैसे के अभाव में बाधित न हो। बावजूद इसके मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के लाभ से लोग वंचित रह जा रहे हैं। बहुत गंभीर मरीज भी मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना का आवेदन करने के बाद स्वीकृति के इंतजार में बैठे हैं। लेकिन जब तक स्वीकृति मिले, स्थिति बिगड़ जा रही है। ऐसे मामले हर दिन सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे हैं। संतोष कुमार महतो… रांची के रहने वाले हैं। कैंसर से पीड़ित संतोष ने करीब एक माह पूर्व योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन दिया था। करीब 15 दिन बाद स्वीकृति मिली। लेकिन जबतक स्वीकृति मिली, संतोष की मौत हो गई। संतोष का इलाज रांची के ही एक निजी अस्पताल में चल रहा था। यह एकमात्र उदाहरण नहीं है। ऐसे कितने संतोष हैं जो योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करने के बाद जिंदगी जीतने के इंतजार में हैं। वर्तमान में एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित, कैंसर और किडनी रोग से ग्रस्त मरीज योजना का लाभ लेने की आस में इंतजार कर रहे हैं। दो मरीजों की स्थिति से जानिए रोगियों का दर्द… अबुआ स्वास्थ्य योजना के साथ जोड़ी जाएगी मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना
दो मरीजों की स्थिति से जानिए रोगियों का दर्द… मरीज-2 : एप्लास्टिक एनीमिया पीड़ित तौसिफ को बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए 20 लाख रु. लगेंगे तौसिफ अंसारी… उम्र 21 वर्ष। मांडर का रहने वाला है। तौसिफ पिछले कुछ सालों से एप्लास्टिक एनीमिया से ग्रस्त है। शुरुआत में एचसीजी अस्पताल में इलाज चला, इसके बाद सीएमसी वेल्लोर से इलाज जारी है। करीब 20 दिन पहले तक तौसिफ की स्थिति थोड़ी बेहतर थी। लेकिन मुख्यमंत्री गंभीर बीमार योजना के लाभ के इंतजार में स्थिति इतनी बिगड़ गई कि अब उसके पास बोन मेरो ट्रांसप्लांट कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सीएमसी वेल्लोर में बोन मेरो ट्रांसप्लांट का खर्च 20 लाख रुपए बताया गया है। तौसिफ अंसारी ने बताया कि मेरी स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ रही है। मैंने करीब 20 दिन पहले ही मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के लिए आवेदन किया है, लेकिन अबतक राशि स्वीकृत नहीं हुई है। प्रक्रिया क्यों पूरी नहीं हो रही, क्यों समय लग रहा है, इसकी जानकारी भी नहीं दी जा रही है। मरीज-1 : सप्ताह में दो बार डायलिसिस, प|ी किडनी देने को तैयार- दो माह से लाभ का इंतजार मरीज धर्मेंद्र साव… उम्र 32 साल। पिछले करीब एक साल से किडनी संबंधी रोग से ग्रस्त। धर्मेंद्र को सप्ताह में दो बार डायलिसिस कराने की जरूरत पड़ती है। स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ रही है। क्रिटनिन का स्तर 16.1 हो गया है। हीमोग्लोबिन लगातार गिरता जा रहा है, वर्तमान में 6.6 है। डॉक्टरों ने बगैर देर किए किडनी ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी है। मरीज धर्मेंद्र ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि मैं लास्ट स्टेज पर हूं। अब किडनी ट्रांसप्लांट ही बचने का एक मात्र उपाय है। महीने में दो बार डायलिसिस से हर दिन टूटता जा रहा हूं। प|ी किडनी देने को तैयार है। मैंने मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के लिए आवेदन किया है। लेकिन डेढ़ महीने हो गए, अबतक एक पैसा नहीं मिला है। शुरुआत में ये अस्पताल सूचीबद्ध नहीं है, वो अस्पताल सूचीबद्ध है, कहकर मेडिका कोलकाता से एस्टिमेट लाने को कहा गया। इसके बाद भी आवेदन की स्थिति जस की तस है। स्थिति : पूरे साल 2024 में 181 आवेदन पहुंचे, 101 आवेदन हो गए रिजेक्ट, 80 को ही मिली सहायता… मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना की जानकारी तो अमूमन लोगों को है। मगर इसे लेने की प्रक्रिया नहीं मालूम। इसी का नतीजा है कि योजना का लाभ लेने के लिए करीब 141 आवेदन सिविल सर्जन कार्यालय में और 40 आवेदन जिला कल्याण विभाग में प्राप्त हुए। जबकि योजना का लाभ सभी को नहीं मिल सका। इनमें करीब 55% यानी 101 आवेदन रिजेक्ट हो गए। जबकि सिर्फ 80 लोगों को ही लाभ दिया जा सका। सोशल मीडिया में मामला आने पर मंत्री ने निर्देश दिया, फिर भी नहीं मिला लाभ… इधर, धर्मेंद्र के भाई विक्रम द्वारा सोशल मीडिया पर पूर्व विधायक कुणाल षड़ंगी ने टैग कर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी से इलाज में मदद करने का अनुरोध किया। यह भी कहा कि अपने स्तर से मेडिका कोलकाता को हर संभव मदद करने के लिए निर्देशित करें। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने सोशल मीडिया पर ही डीसी को निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना से शीघ्र जोड़कर मदद करने का निर्देश दिया। एक सप्ताह हो गए, लाभ नहीं मिल सका है।