पिछले सात साल में महंगाई में बेतहाशा वृद्धि हुई है। लेकिन कल्याण विभाग अपने आवासीय स्कूलों के बच्चों को अभी भी 2017 में तय 2500 रुपए की कीमत पर ही स्कूल किट दे रहा है। नतीजा यह है कि यह सामान बेहद घटिया है। विभाग की ओर से हर साल इसी कीमत के हिसाब से जिलों को पैसे भेजते गए और जिलास्तर पर इसकी खरीदारी होती रही। लेकिन इसकी गुणवत्ता पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। हाल ही में जब कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने गुमला में स्कूलों का निरीक्षण किया तो यह मामला सामने आया। किसी किट के जूते फटे थे तो किसी किट से ब्लेजर या स्वेटर गायब थे। यूनिफॉर्म भी घटिया स्तर के मिले। मंत्री ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक में इस पर नाराजगी जताई तो अब कल्याण विभाग सक्रिय हुआ है। विभागीय सचिव केएन झा ने कहा कि इसकी समीक्षा होगी। आदिवासी कल्याण आयुक्त से इस पर चर्चा हो चुकी है। कीमत में भी संशोधन किया जाएगा। इधर, कल्याण मंत्री के साथ बैठक के बाद आदिवासी कल्याण आयुक्त अजय नाथ झा ने कल्याण सचिव केएन झा से कीमत में संशोधन का आग्रह किया है। कल्याण सचिव को भेजे पत्र में उन्होंने कहा है कि मंत्री के निरीक्षण में सामग्री की गुणवत्ता सही नहीं पाई गई। उन्होंने खुद भी स्वीकार किया है कि बाजार दर को देखते हुए 2500 रुपए में इन सामग्री की गुणवत्ता कायम रखना संभव नहीं है। इसलिए इसमें संशोधन अत्यंत जरूरी है। कल्याण आयुक्त का ठेकेदार का पेमेंट रोकने व काली सूची में डालने का निर्देश गुमला के आपूर्तिकर्ता को शोकॉज किया गया है। गुमला के परियोजना निदेशक और जिला कल्याण पदाधिकारी को आदिवासी कल्याण आयुक्त ने निर्देश दिया है कि वे सात दिन के भीतर इस पूरे प्रकरण की जांच कर अपनी रिपोर्ट दें। संवेदक को काली सूची में डालने की कार्रवाई करें और उसका भुगतान तत्काल प्रभाव से रोकें। 2500 रुपए की किट में ये सामग्री
दो जोड़ी स्कूल यूनिफॉर्म
एक ब्लेजर व एक स्वेटर
एक-एक जोड़ी जूते-मौजे
एक स्कूल बैग
एक ट्रैक पैंट व एक टीशर्ट
एक पाजामा और एक टीशर्ट
दो जोड़ी अंडर गार्मेंट
एक बेल्ट
एक जोड़ी स्लीपर