भास्कर न्यूज | अमृतसर सर्दी बढ़ने का असर अस्पतालों में भी देखने को मिल रहा है। गुरु नानक देव अस्पताल की ओपीडी 50 प्रतिशत कम हो गई है, वहीं सिविल अस्पताल में सर्दी- खांसी के मरीज 10 प्रतिशत बढ़ गए हैं। ठंड लगने के कारण बुखार व सांस की समस्या के मरीज सिविल अस्पताल आ रहे हैं। बीते एक सप्ताह में मौसम का पारा लुढ़कने से लोग बीमार पड़ने लगे हैं। किसी के गले में इंफेक्शन, बुखार और खांसी है तो किसी को सांस लेने में समस्या आ रही है। गुरु नानक देव अस्पताल में रोजाना 2 हजार के करीब ओपीडी होती थी, लेकिन सर्दी के कारण ओपीडी में केवल 50 प्रतिशत लोग ही आ रहे हैं। वहीं सिविल अस्पताल में ओपीडी पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। यहां फीवर सर्दी- खांसी के मरीज 10 प्रतिशत बढ़ गए हैं। सिविल अस्पताल में रोजाना एक हजार से 1200 की ओपीडी रहती है। इसमें 100 से ज्यादा मरीज केवल सर्दी खांसी के आ रहे हैं। कभी-कभी यह संख्या 150 तक भी पहुंच रही है। जीएनडीएच के डॉक्टर मनदीप सिंह के मुताबिक सर्दियों में सीजनल बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इस मौसम में कॉमन कोल्ड, बुखार, पेट दर्द जैसी समस्याएं होना आम हैं। दरअसल ठंड बढ़ने और धूप न निकलने के कारण हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इससे हम जल्दी संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि ठंड में वायरस ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। इसलिए सर्दियों में सेहत का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। सर्दियों में बीमारियां आम हैं क्योंकि जब कोई बीमार व्यक्ति खांसता या छींकता है तो बैक्टीरिया ड्राई हवा में आसानी से फैलते हैं। कॉमन कोल्ड से बचने के लिए हाथों को नियमित रूप से धोते रहें। सर्दी-खांसी या बुखार से पीड़ित लोगों के संपर्क में आने से बचें। यह खांसने या छींकने से भी आपको अपनी चपेट में ले सकता है। आमतौर पर कॉमन कोल्ड का असर 2-3 दिन तक रहता है। इसमें पर्याप्त आराम करने की सलाह दी जाती है। अगर 3 दिन से ज्यादा लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ठंडी चीजें खाने से परहेज करें। सूप, गर्म पानी, चाय का सेवन वायरल में काफी आराम देता है। सावधानियां ही कॉमन कोल्ड से बचने का हल हैं।