रायपुर सेंट्रल जेल के सामने काली-पट्टी बांधकर प्रदर्शन:जेल में हुई थी कुनबी समाज के पदाधिकारी से मारपीट, आरोपी शिक्षक पर FIR की मांग

रायपुर में कुनबी समाज के पदाधिकारी श्याम देशमुख के साथ रायपुर सेंट्रल जेल में हुई मारपीट मामले में विरोध प्रदर्शन किया गया। पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए रविवार को समाज के लोगों ने रायपुर सेंट्रल जेल के सामने मुंह पर काली पट्टी बांधकर मौन प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि श्याम देशमुख को 4 जून को एक सामाजिक विवाद के तहत न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया था। वहां जेल में पदस्थ शिक्षक नेतराम नाकतोड़े ने बंदियों के साथ मिलकर उनके साथ मारपीट की। पीड़ित का एक पैर टूट गया और शरीर पर कई गंभीर चोटें आईं। गिरफ्तारी नहीं हुई तो आंदोलन तेज होगा देशमुख ने बताया था कि मारपीट से पहले उन्हें धमकाया गया और उनकी पत्नी व बच्चों की तस्वीरें दिखाकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इसके बाद जब वे गंज थाना पहुंचे, लेकिन 25 दिनों से ज्यादा वक्त बीत जाने के बावजूद FIR दर्ज नहीं की गई। प्रदर्शन के दौरान समाज के लोगों ने प्रशासन की चुप्पी और लापरवाही पर नाराजगी जताई। उन्होंने सवाल उठाया कि जेल जैसी सुरक्षित मानी जाने वाली जगह में एक पदस्थ कर्मी द्वारा बंदियों से हमला करवाना बेहद गंभीर अपराध है, और अब तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होना प्रशासनिक पक्षपात का संकेत है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द FIR दर्ज नहीं हुई और आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। बता दें कि मारपीट की घटना के बाद समाज के लोगों ने गृहमंत्री से मुलाकात की, जिसके बाद शिक्षक को निलंबित किया गया था। इस मामले में कुनबी समाज ने FIR दर्ज करने की मांग की है। लेकिन घटना के करीब एक महीने होने के बाद भी आरोपी शिक्षक पर FIR नहीं हुई है। जेल के शिक्षक ने कैदियों से पिटवाया कुनबी समाज के सचिव श्याम देशमुख, समाज के अध्यक्ष देवराज पारधी और पुरुषोत्तम तोंडरे 4 जून से न्यायिक रिमांड पर जेल में बंद थे। तीनों 6 जून को देर शाम जेल से रिहा हुए। जेल से बाहर निकलने के बाद श्याम देशमुख सीधे अपने परिवार के साथ अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने अपने परिजनों को जेल के भीतर हुई मारपीट की घटना की जानकारी दी। श्याम देशमुख ने पुलिस थाने पहुंचकर बताया कि, जेल के शिक्षक नेतराम नाकतोड़े ने उनके साथ मारपीट कर जान से मारने की धमकी दी। साथ ही अन्य कैदियों से पिटाई करवाई। जिससे उनके पैर में गंभीर चोट आई है। समाज ने कहा पीड़ित को न्याय मिले प्रदर्शनकारी समाज के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा है कि यह केवल एक व्यक्ति पर अत्याचार का मामला नहीं, बल्कि न्यायिक और प्रशासनिक संवेदनहीनता का उदाहरण है। जेल के अंदर किसी को बर्बरता से वे मांग कर रहे हैं कि जेल प्रशासन और दोषी कर्मी पर सख्त कार्रवाई हो और पीड़ित को न्याय मिले। ये है प्रमुख मांगें:

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