छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार में हुए 3200 करोड़ के घोटाला में सिंडिकेट बनाकर काम करने वाले आबकारी अफसरों को 88 करोड़ से ज्यादा मिला है। EOW के अधिकारियों ने चालान में इस बात की जानकारी दी है। EOW के अफसरों के अनुसार आबकारी अधिकारियों ने शराब घोटाले से मिले पैसे से संपत्ति, कारोबार में इन्वेस्ट किया है। EOW की जांच में अभी 11 आबकारी अफसरों के संपत्ति की जानकारी मिली है। शेष अफसरों के खिलाफ EOW की जांच जारी है। किस अधिकारी को कितना कमीशन मिला, किसने कौन सी संपत्ति खरीदी समेत कई जानकारियां डिटेल से इस रिपोर्ट में पढ़िए… अब पढ़े किन अफसरों को मिला है कितना पैसा 200 लोगों के बयान लेकर EOW ने किया खुलासा शराब घोटाले का खुलासा करने के लिए EOW के अधिकारियों ने 200 लोगों का बयान लिया है। बयान देने वालों में कारोबारी, आबकारी विभाग के अधिकारी, पैसा पहुंचाने वाले एजेंट, पैसा ठिकाने वाले हवाला कारोबारी समेत अन्य लोग शामिल है। सरकारी कागजों में रिकॉर्ड ना चढ़ाने की हिदायत शराब खपाने का रिकॉर्ड सरकारी कागजों में न चढ़ाने की नसीहत दुकान संचालकों को दी गई। डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब बिना शुल्क अदा किए दुकानों तक पहुंचाई गई। जांच एजेंसी ने चार्जशीट में बताया है कि फरवरी 2019 से आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार शुरू हुआ। शुरुआत में हर महीने 800 पेटी शराब से भरी 200 ट्रक डिस्टलरी से हर माह निकलती थी। एक पेटी को 2840 रुपए में बेचा जाता था। उसके बाद हर माह 400 ट्रक शराब की सप्लाई शुरू हो गई। प्रति पेटी शराब 3,880 रुपए में बेचा जाने लगा। ईओडब्ल्यू की शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि तीन साल में 60 लाख से ज्यादा शराब की पेटियां अवैध रूप से बेची गई। क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।