कांगड़ा में कांग्रेस विधायक केवल सिंह ने शनिवार को जनता की शिकायतें सुनीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार के पक्ष में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कड़छम-वांगतू जलविद्युत परियोजना में अब जेएसडब्ल्यू एनर्जी को राज्य को 12 की बजाय 18 प्रतिशत रॉयल्टी देनी होगी। 1045 मेगावाट की इस परियोजना से प्रदेश को सालाना 150 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय प्राप्त होगी। यह फैसला प्रदेश की अन्य जल विद्युत परियोजनाओं पर भी लागू होगा, जो 12 साल पूरे कर चुकी हैं। इससे राज्य के खजाने में प्रति वर्ष 250 करोड़ रुपए से अधिक की आय होने की संभावना है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस मुद्दे को विशेष प्राथमिकता दी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के पलटा वर्ष 1999 में कंपनी और सरकार के बीच हुए समझौते के अनुसार पहले 12 साल 12 प्रतिशत और उसके बाद 18 प्रतिशत रॉयल्टी तय की गई थी। मई 2024 में हाईकोर्ट ने कंपनी को 12 प्रतिशत रॉयल्टी देने की अनुमति दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया। ऊर्जा नीति का पालन कर रही निजी कंपनियां डिप्टी चीफ व्हिप केवल सिंह ने बताया कि निजी कंपनियां हिमाचल की ऊर्जा नीति का पालन कर रही हैं। हालांकि केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों ने ऐसा नहीं किया है। यदि सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड इस नीति का पालन नहीं करता है, तो प्रदेश सरकार लुहरी चरण-1, सुन्नी और धौलासिद्ध परियोजनाओं को अपने अधीन लेने की तैयारी कर रही है। शानन परियोजना पर भी प्रदेश का हक
केवल सिंह ने कहा कि मंडी जिले की 110 मेगावाट की शानन परियोजना की लीज अवधि समाप्त हो चुकी है और यह क्षेत्र कभी पंजाब का हिस्सा नहीं रहा। इसलिए यह परियोजना पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के तहत नहीं आती। केंद्र सरकार को इसका स्वामित्व हिमाचल को सौंपने में हस्तक्षेप करना चाहिए। BBMB से 13066 मिलियन यूनिट बिजली की मांग
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह भाखड़ा बांध प्रबंधन बोर्ड (BBMB) को 1996 से 2011 तक की अवधि की 13066 मिलियन यूनिट बिजली का एरियर प्रदेश को देने का निर्देश दे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद हिमाचल को इसका उचित हिस्सा नहीं मिला है और अभी तक BBMB प्रदेश को 4500 करोड़ रुपए का बकाया नहीं दे सका है। यदि यह राशि मिल जाए तो राज्य आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा सकता है। खनन से भी आय बढ़ाई, 360 करोड़ का लक्ष्य
डिप्टी चीफ व्हिप ने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल में प्रदेश को खनन से सिर्फ 240 करोड़ रुपए की आय हुई थी। जबकि वर्तमान सरकार की सक्रिय नीतियों के चलते यह राशि 314 करोड़ तक पहुंच गई है और इस साल के अंत तक 360 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। यानि केवल ढाई वर्षों में खनन राजस्व में 140 करोड़ की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाने का लक्ष्य
केवल सिंह ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार हिमाचल को 2027 तक आत्मनिर्भर और 2032 तक देश के सबसे समृद्ध राज्यों में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार हर मोर्चे पर जनहित और राज्य हित में निर्णायक भूमिका निभा रही है।