बांग्लादेश में जमात-ए- इस्लामी पार्टी ने रैली निकाली:राजधानी ढाका में शक्ति प्रदर्शन किया; यूनुस सरकार से निष्पक्ष चुनाव की मांग की

बांग्लादेश की इस्लामिक पार्टी जमात-ए- इस्लामी ने शनिवार को राजधानी ढाका में विशाल रैली कर अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन किया। इस रैली में लाखों समर्थक जुटे। माना जा रहा है कि यह प्रदर्शन अगले साल होने वाले आम चुनावों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। जमाते इस्लामी ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह शनिवार को 10 लाख लोगों को जुटाएगी। शुक्रवार रात से ही हजारों समर्थक ढाका यूनिवर्सिटी कैंपस में डटे रहे। शनिवार सुबह वे ऐतिहासिक सुवर्रवर्दी उद्यान के लिए रवाना हुए। यह वही जगह है जहां 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना और मुक्ति वाहिनी के सामने पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण किया था। 66 वर्षीय पार्टी प्रमुख शफीकुर रहमान ने भाषण के दौरान दो बार बेहोश हो गए। उन्हें बाद में जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया। अंतरिम सरकार के सामने 7 सूत्रीय मांग पेश की पार्टी ने अंतरिम यूनुस सरकार के सामने 7 प्रमुख मांगें रखीं हैं। जो इस तरह हैं… रैली में इस्लाम की बुनियाद पर नए बांग्लादेश की मांग उठी रैली में शामिल 40 वर्षीय इकबाल हुसैन ने कहा, हम एक ऐसे नए बांग्लादेश के लिए यहां हैं, जहां शासन इस्लाम के सिद्धांतों पर आधारित हो, ईमानदार लोग सत्ता में हों और भ्रष्टाचार न हो। जरूरत पड़ी तो जान भी देंगे। 20 वर्षीय छात्र मोहिदुल मोर्सलीन सय्यम ने कहा, हम कुरान के रास्ते पर चलते हैं, इसलिए जमात के राज में किसी से भेदभाव नहीं होगा। सभी को अधिकार मिलेंगे। 1971 के बाद पहली बार मिली रैली की इजाजत यह पहला मौका है जब 1971 के बाद जमाते इस्लामी को सुवर्रवर्दी उद्यान में रैली की इजाजत मिली। माना जा रहा है कि यूनुस सरकार इस्लामी ताकतों को बढ़ावा दे रही है और लिबरल पार्टियों का प्रभाव घट रहा है। जमाते इस्लामी 300 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है और बीएनपी समेत अन्य इस्लामी पार्टियों के साथ गठबंधन बनाने की कोशिश कर रही है। 2001-2006 में बीएनपी सरकार में जमात के दो मंत्री भी थे। पूर्व प्रधानमंत्री हसीना की पार्टी अवामी लीग ने इस फैसले की तीखी आलोचना की। पार्टी ने इसे राष्ट्र की अंतरात्मा के साथ विश्वासघात बताया और कहा कि यह 1971 के शहीदों का अपमान है। पिछले साल आरक्षण के खिलाफ आंदोलन ने किया था तख्तापलट बांग्लादेश में पिछले साल छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए थे। भीड़ ने 5 अगस्त, 2024 को तत्कालीन प्रधानमंत्री, 77 साल शेख हसीना के आवास पर हमला कर दिया था। भीड़ के पहुंचने से पहले हसीना बांग्लादेश से भागकर भारत आ गई थीं। वे तब से भारत में रह रही हैं। इसी के साथ बांग्लादेश में अवामी लीग की 20 साल पुरानी सरकार भी गिर गई। इसके बाद मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार की स्थापना की गई। हसीना के खिलाफ देशभर में छात्र कोटा सिस्टम को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। दरअसल, बांग्लादेश में 5 जून, 2024 को हाईकोर्ट ने जॉब में 30% कोटा सिस्टम लागू किया था। यह आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिया जा रहा था। लेकिन हसीना सरकार ने यह आरक्षण बाद में खत्म कर दिया था। इसके बाद छात्र उनके इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने लगे।

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