रायपुर के पं.जवाहरलाल नेहरू स्मृति मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. आशीष सिन्हा और उनके खिलाफ सेक्सुअल हैरेसमेंट का केस करने वाली छात्रा के बीच बातचीत का एक ऑडियो भास्कर के हाथ लगा है। इस ऑडियो में डॉ सिन्हा पीड़िता को डार्क कलर के कपड़े पहनने के लिए कह रहे हैं। इसके अलावा एग्जाम में पास कराने और ड्रिंक लेने को लेकर भी बातचीत कर रहे हैं। इतना ही नहीं ये बात भी सामने आई है कि डॉ सिन्हा अपनी स्टूडेंट को केबिन में बुलाकर उसे अश्लील तस्वीरें दिखाते थे। मना करने पर जबरन उसके हाथ पकड़कर अपने केबिन में बैठा लेते थे। कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. आशीष सिन्हा पर उनके ही डिपार्टमेंट की स्टूडेंट ने 4 जुलाई को सेक्सुअल हैरेसमेंट का केस किया था। इस मामले में डॉ आशीष ने अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई थी। सिन्हा की जमानत डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट ने पहले ही ठुकरा दी थी। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई, लेकिन यहां भी उन्हें राहत नहीं मिली। HC ने बेल डिनाइड कर दिया। इस रिपोर्ट में विस्तार से पढ़िए डॉ आशीष और पीड़िता के बीच क्या-क्या बातें हुईं हैं:- तीन बार हेल्थ सेक्रेटरी से शिकायत प्रोफेसर की इन हरकतों के बाद पीड़िता के लिए ये सारी चीजें अकेले हैंडल कर पाना कठिन होता जा रहा था, वो मेंटली वीक हो रही थी। इसलिए उसने सबसे पहले अपने ही मेडिकल कॉलेज में शिकायत की, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया। हेल्थ सेक्रेटरी अमित कटारिया से भी तीन बार लिखित में शिकायत छात्रा ने की। केबिन में बुलाया, शिकायतें वापस लेने का दबाव बनाया बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बीच एक दिन डॉ सिन्हा ने छात्रा को अपने केबिन में बुलाया। जबरदस्ती उसका हाथ पकड़ा। और सारी शिकायतें वापस लेने का दबाव बनाने लगे। यहां से किसी तरह पीड़िता भागने में कामयाब हुई और इसके बाद FIR दर्ज कराई। भास्कर के हाथ जो ऑडियो लगे हैं वो तीन अलग-अलग दिनों के हैं। तीनों में अलग बातें हैं। एक चीज जो कॉमन है कि डॉ सिन्हा पीड़ित छात्रा से तीनों बार ही अनयूजुअल बात कर रहें है। अब पूरे मामले पर हाईकोर्ट का कमेंट पढ़िए HC के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने दोनों पक्षों का मत सुनने के बाद कमेंट किया आवेदक कम्युनिटी डिपार्टमेंट में हेड ऑफ डिपार्टमेंट थे। जहां शिकायतकर्ता PG के सेकेंड ईयर में थी। केस डायरी जो डॉक्यूमेंट अटैच हैं उससे पता चलता है कि पहले भी डॉ आशीष के खिलाफ शिकायतें दर्ज की गई थीं। विशाखा समिति ने इस मामले की जांच कर एक रिपोर्ट पेश की है। हालांकि, उस रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा गया है कि आवेदक दोषी है। लेकिन वॉट्सएप चैट के स्क्रीनशॉट से ऐसा लगता है कि डॉ सिन्हा ने पीड़िता पर ऐसे कमेंट किए हैं, जो एक चिकित्सक जैसे उच्च मर्यादित पेशे के अनुरूप नहीं है और वह भी तब, जब वह विभागाध्यक्ष के पद पर पदस्थ थे। पहले की तीन-चार कथित घटनाओं का FIR में जिक्र नहीं है, सिर्फ इस तर्क पर डॉ सिन्हा को क्लीन चिट नहीं दी जा सकती। सारे फैक्ट के आधार पर उनका व्यवहार प्रथम दृष्टया अस्वीकार्य प्रतीत होता है।” पिछले एक साल से लगातार परेशान कर रहे थे डॉ सिन्हा इस फॉलोअप से पहले भी भास्कर ने पूरे मामले की पड़ताल की थी। जिसमें सामने आया था कि सिन्हा अपनी स्टूडेंट को पिछले एक साल से परेशान कर रहे थे। केबिन में बुलाकर बैड टच करने के अलावा, वॉट्सऐप पर लगातार मैसेज किया करते थे। कुछ चैट्स भास्कर के हाथ लगे थे, जिनमें डॉ सिन्हा अपनी स्टूडेंट को कॉकटेल पिलाने और डिनर पर चलने का ऑफर दे रहे हैं। इतना ही नहीं सिन्हा ये कहते हुए स्टूडेंट को डीपी बदलने के निर्देश दे रहे हैं कि पुरानी डीपी ज्यादा बेहतर थी। डॉ सिन्हा अपनी इस स्टूडेंट के हर एक्टिविटी पर नजर रखते थे। वो कब-क्या कर रही है, इसकी पूरी निगरानी वो कर रहे थे। कॉलेज के एक फंक्शन के बाद उन्होंने लिखा – “तुम बड़ी शिद्दत से मजे लेकर वीडियो बना रही थी”। हमारी पड़ताल में ये भी सामने आया था कि डॉ सिन्हा का विवादों से पुराना नाता रहा है। सिकल सेल संस्थान की पूरे कर्मचारी उनके खिलाफ प्रताड़ना की शिकायत कर चुके हैं। वित्तीय अनियमितता और एक मामले में सरकार ने उनके खिलाफ ‘ब्रेक इन सर्विस’ का भी एक्शन लिया है। शिकायत के बाद HOD का पद भी गंवाया डॉ सिन्हा के खिलाफ फरवरी में स्टूडेंट ने पॉश एक्ट की पहली शिकायत डॉ सिन्हा के खिलाफ की थी। इंटरनल कमेटी ने जांच की और शिकायत सही पाई गई। इसके बाद उन्हें कम्युनिटी डिपार्टमेंट के HOD के पद से हटा दिया गया। हेल्थ सेक्रेटरी ने शिकायत के बाद भी नहीं लिया एक्शन इस पूरे मामले में पीड़ित छात्रा तीन दफा हेल्थ सेक्रेटरी अमित कटारिया के पास अपनी शिकायत लेकर पहुंची थीं। लेकिन डॉ सिन्हा पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। पीड़िता के मुताबिक इससे ही डॉ सिन्हा को मनोबल मिला। हालांकि पिछले माह जरूर उन्हें सभी तरह के शैक्षणिक कार्यों से दूर रखने के निर्देश दिए गए थे। नंबर बंद आ रहा, हेल्थ सेक्रेटरी ने प्रतिक्रिया नहीं दी वो लगातार पीड़िता को अपने उसी चैंबर में बुलाते और अपने पावर का शो ऑफ करते। लेकिन FIR के बाद से डॉ सिन्हा फरार हैं। पूरे मामले पर उनका पक्ष जानने के लिए हमने उनसे संपर्क करने का प्रयास किया। लेकिन उनका नंबर बंद आ रहा है। वहीं हेल्थ सेक्रेटरी अमित कटारिया ने भी पूरे मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। सिकल सेल संस्थान के पूरे कर्मचारियों ने लगाया था मानसिक प्रताड़ना का आरोप 2020 में डॉ सिन्हा पर डायेक्टर मेडिकल, सिकल सेल संस्थान का अतिरिक्त प्रभार था। इस दौरान पूरे कर्मचारियों ने महानिदेशक से शिकायत की थी कि सिन्हा सभी को मानसिक तौर पर प्रताड़ित कर रहे हैं। वो संस्थान के कर्मचारियों के साथ अभद्र भाषा में बात करते हैं। महिला कर्मचारियों के सामने गाली देते हैं। इसके कारण महिलाएं असहज महसूस करती हैं। इतना ही नहीं ऊपर तक पहुंच का धौंस दिखाते हुए कर्मचारियों को सीआर खराब करने और नौकरी से निकाल देने की धमकी भी देते हैं। छत्तीसगढ़ में पद लेकर मध्यप्रदेश में कर रहे थे काम 2014 में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने डॉ सिन्हा के खिलाफ ब्रेक इन सर्विस का एक्शन भी ले चुका है। दरअसल, उन्हें आयुर्विज्ञान संस्थान, सिम्स, बिलासपुर में पदस्थ किया गया था। उन्हें 7 जून 2012 को ड्यूटी ज्वाइन करनी थी। लेकिन छह महीने तक वो गायब रहे। जांच हुई तो पता चला इस अवधि में डॉ सिन्हा अनधिकृत तौर पर सीएमओ, शहडोल के अंडर WHO के सर्विलेंस मेडिकल ऑफिसर के पद पर काम कर रहे थे। यानी एक पद पर रहते हुए, दूसरे पद पर काम कर रहे थे। जिसके बाद ब्रेक इन सर्विस का एक्शन सिन्हा के खिलाफ लिया गया। ……………………………… इससे जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… PTJNMC के प्रोफेसर पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप:केबिन में बुलाकर करते थे बैड टच, कम्युनिटी डिपार्टमेंट की छात्रा ने मौदहापारा थाने में कराई FIR पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति मेडिकल कॉलेज में कम्युनिटी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. आशीष सिन्हा पर उनके ही डिपार्टमेंट की स्टूडेंट ने सेक्सुअल हैरासमेंट का केस किया है। छात्रा ने प्रोफेसर डॉ सिन्हा पर छेड़छाड़ और मानसिक प्रताड़ना का भी आरोप लगाया है। पढ़ें 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