ब्रिटेन में एक खास सिख रेजिमेंट बनाने की मांग एक बार फिर तेज हो गई है। प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की सरकार ने कहा है कि वह इस प्रस्ताव पर विचार करने को तैयार है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्री वर्नोन रॉडनी कोकर ने सोमवार को कहा कि वे इस मामले में लेबर पार्टी के सिख सांसद कुलदीप सिंह सहोता के साथ चर्चा करेंगे। सहोता ने 7 जुलाई को संसद में इसे लेकर सवाल पूछा था। उन्होंने दोनों विश्व युद्धों में सिख सैनिकों के योगदान और वीरता को याद करते हुए सवाल पूछा कि सिखो की एक अलग रेजीमेंट की पुरानी मांग पर अब तक क्या प्रगति हुई है। इसके जवाब में रक्षा मंत्री कोकर ने कहा कि वे इस विषय पर सहोता से मिलना चाहेंगे और जानना चाहेंगे कि सिखों और अन्य धर्मों के सैनिकों के योगदान को पहचान देने के लिए और क्या किया जा सकता है। सिख रेजिमेंट की स्थापना ब्रिटिश सेना में नेपाल के गोरखा ब्रिगेड की तर्ज पर हो सकती है। सैनिकों के योगदान को मान्यता देने पर विचार रक्षा मंत्री कोकर ने कहा- ‘मैं लॉर्ड सहोता से मिलने को तैयार हूं।’ कोकर ने 15 अगस्त को विक्ट्री ओवर जापान डे (VJ Day) के अवसर पर सिख सैनिकों के वैश्विक युद्धों में योगदान को याद करने की बात कही। यूके डिफेंस जर्नल ने उनके हवाले से कहा, ‘द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण में दुनिया भर के सिखों का भी योगदान था, जिन्होंने वीरतापूर्ण भूमिका निभाई।’ 2019 में ब्रिटिश सेना में 130 सिख सैनिक थे और अन्य 70 रक्षा बलों में सेवारत थे। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में ब्रिटिश सेना में सिख सैनिकों की संख्या बढ़कर लगभग 160 हो गई। यानी ब्रिटिश सेना में सिखों की मौजूदगी धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन अब भी यह बहुत कम है। सिख रेजिमेंट का विचार नया नहीं ब्रिटिश सेना में सिख रेजिमेंट की मांग कोई नई बात नहीं है। 2015 में, तत्कालीन रक्षा मंत्री मार्क फ्रांस्वा ने हाउस ऑफ कॉमन्स में बताया था कि सेना प्रमुख जनरल निकोलस कार्टर एक सिख यूनिट लाने पर विचार कर रहे हैं। पूर्व रक्षा मंत्री सर निकोलस सोम्स ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा था कि राजनीतिक औपचारिकता को छोड़कर सिख रेजिमेंट की स्थापना की जानी चाहिए। उन्होंने सिख समुदाय की पीढ़ियों से चली आ रही वीरता और विशिष्ट सेवा की प्रशंसा की थी। फ्रांस्वा ने उस समय कहा था कि यह प्रस्ताव कई सांसदों ने उठाया था और इसपर गंभीरता से विचार किया जा रहा था। हालांकि, उस समय यह विचार आगे नहीं बढ़ सका। 19वीं शताब्दी में सिख ब्रिटिश सेना से जुड़े सिख समुदाय का ब्रिटिश सेना के साथ संबंध 19वीं सदी के मध्य से शुरू हुआ। 1849 में, जब ब्रिटिश साम्राज्य ने सिख साम्राज्य (पंजाब) को अपने अधीन किया, तब सिखों को ब्रिटिश भारतीय सेना में भर्ती किया जाने लगा। ब्रिटिश शासकों ने अपनी सेना को मजबूत करने के लिए जाति, धर्म और क्षेत्र के आधार पर रेजिमेंट बनाए। उन्होंने सिखों, गोरखा, जाटों, राजपूतों और अन्य समुदायों को मार्शल रेस (युद्ध के लिए उपयुक्त) घोषित किया। यह वर्गीकरण उनकी सैन्य रणनीति का हिस्सा था, जिसका मकसद भारत में अपने शासन को मजबूत करना था। 1857 के सिपाही विद्रोह (प्रथम स्वतंत्रता संग्राम) के बाद, ब्रिटिश शासकों ने सिखों को विशेष रूप से वफादार मानकर पंजाब से भारी संख्या में भर्ती की। इस रणनीति ने सिखों को ब्रिटिश सेना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया। 19वीं सदी के अंत तक, सिख सैनिक ब्रिटिश भारतीय सेना में सिख रेजिमेंट, पंजाब रेजिमेंट और अन्य इकाइयों में सेवा दे रहे थे। प्रथम विश्व युद्ध में सिख सैनिकों ने वीरता दिखाई सिख सैनिकों का ब्रिटिश सेना में योगदान असाधारण रहा है। यूके डिफेंस जर्नल के अनुसार, प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में 1 लाख से ज्यादा सिख सैनिकों ने हिस्सा लिया। उन्होंने फ्रांस के पश्चिमी मोर्चे, पूर्वी अफ्रीका, मेसोपोटामिया, गैलीपोली और दूसरे युद्धक्षेत्रों में अपनी वीरता दिखाई। उस समय भारत की आबादी का केवल 2% होने के बावजूद, सिख सैनिक ब्रिटिश भारतीय सेना का 20% हिस्सा थे। द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) में सिखों की भूमिका और भी व्यापक थी। लगभग 3 लाख सिख सैनिकों ने उत्तरी अफ्रीका, इटली, बर्मा और दक्षिण-पूर्व एशिया में सेवा दी। —————————————- ये खबर भी पढ़ें… ट्रम्प ने लंदन के मेयर को घिनौना इंसान बताया: कहा- उन्होंने बहुत खराब काम किया है; ब्रिटिश पीएम बोले- वो मेरे दोस्त हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर लंदन के मेयर सादिक खान पर हमला बोला है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ स्कॉटलैंड में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रम्प ने खान को नैस्टी पर्सन यानी घिनौना इंसान कह दिया और उनके कामकाज की आलोचना की। पूरी खबर पढ़ें…