केरल की दो ननों और एक पुरुष की जमानत याचिका को बिलासपुर के NIA कोर्ट ने शनिवार को मंजूर कर लिया है। इससे पहले शुक्रवार को स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। इस केस की सुनवाई प्रिंसिपल एंड डिस्ट्रिक्ट जज सिराजुद्दीन कुरैशी के कोर्ट में हुई। दरअसल, दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल की शिकायत पर 25 जुलाई को आरपीएफ ने नन प्रीति मैरी, वंदना फ्रांसिस और सुकमन मंडावी को गिरफ्तार किया था। आरोप था कि, ये तीनों नारायणपुर की लड़कियों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण के लिए ले जा रही थीं। तीनों की जमानत याचिका पर दुर्ग के सेशन कोर्ट ने अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया था। धर्मांतरण का आरोप निराधार- वकील इसके बाद तीनों ने एडवोकेट अमृतो दास के जरिए बिलासपुर एनआईए के स्पेशल कोर्ट में जमानत याचिका लगाई है। तर्क दिया कि धर्मांतरण का आरोप निराधार है, क्योंकि युवतियां कई सालों से ईसाई धर्म मान रही हैं। इसी तरह मानव तस्करी का आरोप भी गलत है। युवतियां बालिग हैं और अपनी मर्जी से नौकरी करने जा रही थीं। जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकती- सरकारी वकील वहीं, सरकारी वकील दाऊराम चंद्रवंशी ने कहा कि, मामला अभी जांच के शुरुआती स्तर पर है। ऐसे में जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकती है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद एनआईए कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख था। कोर्ट ने मुचलके पर दी जमानत अब शनिवार को प्रिंसिपल एंड डिस्ट्रिक्ट जज सिराजुद्दीन कुरैशी की कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 50-50 हजार के मुचलके पर जमानत दे दी है। साथ ही कहा है कि, देश नहीं छोड़ना है। पासपोर्ट जमा रहेगा और थाने में बुलाने पर हाजिरी देनी होगी।