रायपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की वायरोलॉजी लैब को राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशांकन प्रयोगशालाओं की प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) से मान्यता मिल गई है। इससे एम्स के 12 जांचों को राष्ट्रीय स्तर की मान्यता मिल गई है। एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग स्थित इस लैब को वायरल अनुसंधान एवं निदान प्रयोगशाला (वीआरडीएल) के नाम से जाना जाता है। एनएबीएल ने इस लैब को कोरोना, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस(आरएसवी) समेत 12 प्रमुख मानव वायरस इंफेक्शन की पहचान के लिए मान्यता दी है। लैब में कोविड-19, हेपेटाइटिस और डेंगू की जांच के अलावा चिकनपॉक्स, कंजंक्टिवाइटिस और मम्प्स जैसी वायरल बीमारियों की जांच भी हो रही है। यह प्रयोगशाला राज्य की कोविड-19 जांच, गुणवत्ता नियंत्रण और वायरस के संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण के लिए राज्य नोडल केंद्र के रूप में भी काम करती है। यह लैब 2018 में स्थापित की गई थी। यहां एम्स सहित पूरे छत्तीसगढ़ से आने वाले सैंपलों की जांच होती है। एम्स रायपुर के कार्यकारी निदेशक व सीईओ लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) ने कहा कि एम्स सहित छत्तीसगढ़ के लिए बड़ी उपलब्धि है। डॉ. अनुदिता भार्गव ने इस उपलब्धि को टीमवर्क और समर्पण का परिणाम बताया है। वहीं डॉ. संजय सिंह नेगी ने कहा कि यह मान्यता प्रयोगशाला की उच्च गुणवत्ता और सटीक परीक्षण सेवाओं को दर्शाती है। 12 जांच में यह शामिल {वायरल मैनिंजाइटिस-इन्सेफेलाइटिस {कोविड-19 से होने वाला वायरल निमोनिया {स्वाइन फ्लू {इन्फ्लुएंजा-बी {आरएसवी {14 उच्च जोखिम वाले ह्यूमन पैपिलोमावायरस जो गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का कारण बनते हैं {एपस्टीन-बार वायरस {हर्पीज सिंप्लेक्स वायरस {साइटोमेगालोवायरस {हेपेटाइटिस बी और सी वायरल लोड {डेंगू।