दुर्लभ खनिजों की खोज को लेकर अच्छी खबर है। विदेश से मंगाए जाने वाले दुर्लभ खनिज निकेल, क्रोमियम और प्लेटिनम अब महासमुंद के भालुकोना–जामनीडीह में मिलेगा। देश में पहली बार इसके मिलने की पुष्टि हो गई है। लंबे समय से चल रहे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने 2022 में 3000 हेक्टेयर में इसके हाेने की संभावना जताई थी। इसके बाद 6 मार्च 2023 में हुई नीलामी में मेसर्स डेक्कन गोल्ड माइनिंग लिमिटेड (डीजीएमएल) को यहां की खदान आवंटित कर दी गई। कंपनी ने हाल ही में रिसर्च वर्क शुरू किया। इसमें भू-वैज्ञानिक मैपिंग, रॉक चिप सैम्पलिंग, ड्रोन आधारित मैग्नेटिक सर्वेक्षण और इंड्यूस्ड पोलराइजेशन (आईपी) सर्वेक्षण करने पर लगभग 700 मीटर लंबी खनिजीकृत पट्टी मिली। संभावना है कि ये मैफिक-अल्ट्रामैफिक चट्टानों में स्थित है। यही नहीं सर्वे में 300 मीटर गहराई तक सल्फाइड खनिज भी मिले हैं। खनिज संसाधन विभाग के सचिव पी. दयानंद ने बताया कि छत्तीसगढ़ ने एक क्रिटिकल मिनरल सेल का गठन किया है, जो शोध, शैक्षणिक एवं पेशेवर संस्थानों के साथ सहभागिता बढ़ाकर खनिज अन्वेषण एवं परिशोधन को प्रोत्साहित कर रहा है। यह खोज केवल एक वैज्ञानिक सफलता नहीं, बल्कि एक रणनीतिक छलांग है। बढ़ती वैश्विक मांग के मद्देनजर, हरित ऊर्जा और हाई-टेक तकनीकों के लिए आवश्यक खनिज जैसे निकेल और प्लेटिनम समूह के तत्व भविष्य की तकनीकों की रीढ़ हैं।
जानिए किससे क्या बनता है
निकेल: स्टेनलेस स्टील, बैटरी, ऑटोमोबाइल और एयरोस्पेस के उपकरण।
क्रोमियम: स्टेनलेस स्टील, क्रोम प्लेटिंग, जंगरोधी सामान, रंग, रंजक।
प्लेटिनम: आभूषण, मेडिकल के उपकरण, रासायनिक उद्योग के सामान, उत्प्रेरक कन्वर्टस। “ 4000 करोड़ के निकेल, क्रोमियम, प्लेटिनम आयात करते हैं हम राज्य शासन दुर्लभ खनिजों की खोज को पहली प्राथमिकता दे रहा है। यही वजह है कि 2024-25 के अन्वेषण प्रस्तावों में 50% से अधिक प्रस्ताव इन्हीं खनिजों पर केंद्रित हैं। अब तक राज्य द्वारा 51 खनिज ब्लॉकों की सफल नीलामी की जा चुका है, जिनमें ग्रेफाइट, निकल, क्रोमियम, प्लेटिनम, लिथियम, ग्लॉकोनाइट, फॉस्फोराइट एवं ग्रेफाइट-वैनाडियम जैसे अत्यंत दुर्लभ खनिज शामिल हैं। इसके अलावा 6 टिन ब्लॉकों को भारत सरकार के खनिज मंत्रालय को आगामी नीलामी हेतु सौंपा गया है। -विष्णु देव साय, मुख्यमंत्री