कांकेर के कोलियारी में प्राथमिक शाला के बच्चों को अप्रैल महीने से खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करनी पड़ रही है। स्कूल की छत तूफान में उड़ जाने के कारण बच्चों को पेड़ के नीचे पढ़ना पड़ रहा है। 15 अप्रैल को तेज आंधी-तूफान के साथ हुई बारिश में स्कूल की छत उड़ गई। प्राथमिक पाठशाला के शिक्षक मुकुंदराम शोरी ने बताया कि 2023-24 में हुई मरम्मत के बावजूद छप्पर इतनी जोर से उड़ा कि पोल से टकराकर पोल ही टूट गया। छत उड़कर पास के एक घर के सामने जा गिरी। सौभाग्य से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं घटना के बाद पड़ोसियों ने वीडियो बनाकर जिले के जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को भेजा। लेकिन अब तक इस विषय में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। रोजाना शिक्षक आते हैं और पेड़ के नीचे ओपन पाठशाला शुरू हो जाती है। अभिभावकों की चिंता को देखते हुए पंचायत की मदद से त्रिपाल तान दिया गया है। लेकिन स्कूल भवन की मरम्मत के लिए अब तक कोई पहल नहीं हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के बच्चे बड़े-बड़े निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। इसलिए उन्हें गरीब बच्चों की समस्याओं का एहसास नहीं होता। ग्रामीणों का आरोप है कि अगर ठीक से मरम्मत कराई गई होती तो महज एक साल के भीतर छत उड़कर क्षतिग्रस्त नहीं होती। खुले आकाश के नीचे ज्ञान का अलख अंदरूनी गांव के इस प्राथमिक विद्यालय में एक ही चारदीवारी है, जिसके अंदर स्कूली सामान रखाता है, ऐसे एक कमरे में सभी कक्षाएं लगाना संभव नही है। बच्चो को खुले में पढ़ते देख पालकों ने पंचायत में विद्रोह कर दिया और मजबूरन पंचायत को सचिव को त्रिपाल खरीदकर सौपना पड़ा। भाजपा नेता ईश्वर कावड़े स्कूल ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए स्कूल की छत सुधार ना होने पर अभी सीट और अन्य सामान भेजकर रखवा दिये है। भाजपा नेता का कहना है कि काम होना बाकी है, प्रस्ताव पास होगा तो अच्छी बात है नही तो श्रमदान के तौर पर कार्य हो जाएगा।