चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी के डॉ. सुशील नैय्यर वर्किंग वूमन हॉस्टल में स्टूडेंट फीस से जुड़े बड़े घोटाले का मामला सामने आया है। यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करवा दी है, और अब पुलिस अपनी जांच करेगी। आने वाले दिनों में इस स्कैम की और भी परतें सामने आ सकती हैं। मिली जानकारी के अनुसार, हॉस्टल में काम करने वाली एक पूर्व डेलीवेज महिला कर्मचारी ने करीब 60 लाख रुपए अपने निजी बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करवा लिए थे। यह घोटाला वार्डन प्रोफेसर अवनीत कौर के कार्यकाल में हुआ था। मामला सामने आने के बाद उस कर्मचारी को तुरंत नौकरी से निकाल दिया गया था। प्रशासन ने की कमेटी गठित
इस मामले की प्रारंभिक जांच के लिए पी.यू. प्रशासन ने एक कमेटी गठित की थी, जिसकी रिपोर्ट तैयार होकर प्रबंधन को सौंपी जा चुकी है। एफआईआर दर्ज करवाने को लेकर लंबे समय तक विवाद रहा। पी.यू. प्रबंधन का कहना था कि एफआईआर पूर्व वार्डन प्रो. अमृतपाल कौर करवाएं, जबकि प्रो. अमृतपाल कौर का कहना था कि यह मामला पी.यू. कैंपस से संबंधित है, इसलिए इसे प्रबंधन की ओर से दर्ज कराया जाना चाहिए। उन्होंने इस संबंध में दस्तावेज भी प्रबंधन को सौंपे थे, लेकिन एफआईआर से पहले ही वह एससी कमीशन में चली गईं। जज इन्क्वायरी ऑफिसर नियुक्त
मामले की जांच के लिए एक जज को इन्क्वायरी ऑफिसर नियुक्त किया गया था, ताकि यह पता चल सके कि इस वित्तीय गड़बड़ी में और कौन-कौन अधिकारी या कर्मचारी शामिल थे। माना जा रहा है कि इतनी बड़ी धांधली किसी एक व्यक्ति द्वारा करना संभव नहीं है। प्रो. अमृतपाल कौर के कार्यकाल में ही मामला उजागर हुआ था, हालांकि उनकी वार्डन शिप दो साल में ही समाप्त कर दी गई थी।