चंडीगढ़ PGI ठेका कर्मचारियों ने एस्मा का विरोध किया:कानून के खिलाफ बताया, यूनियन बोली-इसका अधिकार केंद्र को; बराबर काम-बराबर वेतन का मुद्दा

चंडीगढ़ पीजीआई ठेका कर्मचारियों की संयुक्त कार्रवाई समिति (जे.ए.सी.) ने चंडीगढ़ प्रशासक गुलाबचंद कटारिया को पत्र लिखकर 11 अगस्त 2025 से लागू किए गए एस्मा (आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम) को तुरंत वापस लेने की मांग की है। यूनियन का आरोप है कि हरियाणा एस्मा 1974 की धारा 4-ए के तहत जारी आदेश ने संस्थान में छह महीने तक हड़ताल पर रोक लगा दी है। उनका कहना है कि यह कदम न केवल उकसाने वाला है बल्कि कानून के अनुसार भी गलत है, क्योंकि पीजीआई एक केंद्रीय स्वायत्त संस्थान है और एस्मा लगाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है, न कि चंडीगढ़ प्रशासन को। कोर्ट और सरकार के आदेश की अनदेखी
ज्वाइंट एक्शन कमेटी ऑफ PGI कॉन्ट्रैक्ट वर्कर यूनियन के चेयरमैन अश्वनी कुमार मुंजाल ने कहा यह आदेश कर्मचारियों के अधिकारों पर हमला और लंबित मांगों को दबाने की कोशिश है। इसमें 80 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया वेतन और “बराबर काम, बराबर वेतन” का मुद्दा शामिल है, जिसे पहले ही केंद्र सरकार और अदालतें मंजूरी दे चुकी हैं। चेयरमैन मुंजाल ने आरोप लगाया कि यू.टी. प्रशासन ने धारा 6(2) के तहत जरूरी नोटिस और सुनवाई दिए बिना एस्मा लागू कर दिया। इससे न केवल कोर्ट के आदेश की अनदेखी हुई है बल्कि 9 अक्टूबर 2018 और 13 जनवरी 2023 को जारी सरकार के निर्देशों का भी उल्लंघन हुआ है। आवाज दबाने की कोशिश
यूनियन ने कहा कि यह आदेश पी.जी.आई. प्रबंधन को जवाबदेही से बचाने और कर्मचारियों की जायज मांगों को टालने का तरीका है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर एस्मा वापस नहीं लिया गया तो यह कामगार वर्ग की आवाज को दबाने जैसा होगा और कर्मचारियों व प्रबंधन के बीच भरोसे की खाई और गहरी कर देगा। यूनियन ने कहा कि केंद्र सरकार ने 9 अक्टूबर 2018 को आदेश जारी कर सम्मान वेतन देने का निर्देश दिया था, जिसे 13 मार्च 2019 को हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा। इसके बाद 2024 और 2025 में भी मंत्रालय और कैक्लब (CACL) ने भुगतान को मंजूरी दी, लेकिन पी.जी.आई. प्रशासन ने अब तक आदेश लागू नहीं किए हैं।

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