चंडीगढ़ में लंबे समय से विवादों में अटकी आईटी पार्क हाउसिंग स्कीम अब नए स्वरूप में दोबारा शुरू होने जा रही है। चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) ने इस योजना को संशोधित रूप में तैयार कर लिया है। पहले 6 मंजिला इमारतों का प्रस्ताव था, लेकिन अब केवल ग्राउंड प्लस तीन मंजिल (लो-राइज फ्लैट्स) बनाए जाएंगे। यह प्रस्ताव जल्द ही नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ को भेजा जाएगा और लक्ष्य है कि साल के अंत तक निर्माण कार्य शुरू हो जाए। 2022 में खारिज हुई थी योजना अक्तूबर 2022 में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने आईटी पार्क हाउसिंग स्कीम को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह स्थल सुखना वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी के ईको-सेंसिटिव जोन में आता है और ऊंची इमारतें प्रवासी पक्षियों के उड़ान मार्ग में बाधा डाल सकती हैं। इसी कारण अब बोर्ड ने इमारतों की ऊंचाई घटाकर अधिकतम 15 मीटर (ग्राउंड प्लस तीन मंजिल) करने का निर्णय लिया है। संशोधित योजना के तहत सीएचबी प्लॉट नंबर 1 और 2 (16.60 एकड़) और प्लॉट नंबर 7 (6.73 एकड़) पर फ्लैट बनाएगा। ये प्लॉट 123 एकड़ की उस प्राइम लैंड का हिस्सा हैं, जिसे बोर्ड ने 2015 में पार्श्वनाथ डेवलपर्स से कानूनी संघर्ष के बाद वापस हासिल किया था। इसके लिए एक निजी आर्किटेक्चरल कंसल्टेंट नियुक्त किया जा रहा है, जो सीमित ऊंचाई में अधिकतम आवासीय इकाइयां बनाने की योजना तैयार करेगा। फ्लैट्स की सटीक संख्या रिपोर्ट आने के बाद तय होगी। करोड़ों खर्च पर भी उठा विवाद यह परियोजना लंबे समय से विवादों में रही है। अक्तूबर 2023 में तत्कालीन प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित ने सीएचबी से जवाब-तलब किया था कि बिना जरूरी मंजूरियों के इस योजना पर 15 करोड़ रुपए कैसे खर्च किए गए। इसमें सड़कें, अंडरग्राउंड सर्विस डक्ट्स, सीवर-पानी की लाइनें और परियोजना ड्राइंग्स के लिए एस्टेट ऑफिस को दिए गए 5 करोड़ रुपए शामिल थे। इससे पहले अप्रैल 2023 में तत्कालीन सीएचबी सीईओ यशपाल गर्ग ने प्रशासन को पत्र लिखकर सुझाव दिया था कि आईटी पार्क हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए दी गई जमीन वापस ले ली जाए और 2005 से अब तक बोर्ड द्वारा खर्च किए गए 1000 करोड़ रुपए की भरपाई की जाए।