बाढ़ प्रभावित गांवों में अब चुनौती बीमारियों को रोकना और लोगों को छत मुहैया कराना

बाढ़ का पानी भले ही धीरे-धीरे कम हो रहा है मगर प्रभावित गांवों में हालात अभी भी सामान्य होने से दूर हैं। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं जो बचे हैं वहां गाद और गंदगी फैली हुई है। साफ पानी, शौचालय और बिजली की दिक्कत भी बनी हुई है। कई निजी अस्पतालों की टीमें बाढ़ग्रस्त गांवों में जाकर लोगों का मुफ्त इलाज कर रही हैं। वहीं, निजी लैब की टीमें गांव-गांव जाकर टेस्ट कर रही हैं। बुखार, खांसी-जुकाम, डायरिया और स्किन डिजीज जैसे मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। कई जगह मच्छरों की बढ़ती गिनती से मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा भी मंडरा रहा है। जिला सेहत विभाग का दावा है कि अब तक कुल 22 मेडिकल कैंप लगाए जा चुके हैं मगर हकीकत यह है कि इक्का-दुक्का गांवों को छोड़कर कहीं भी सेहत विभाग की टीमें दिखाई नहीं दे रही हैं। विभाग की ओर से लगाए गए कैंप भी ज्यादातर गांवों के बाहर ही लगे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अगर सरकारी टीमें गांवों तक नहीं पहुंच रहीं, तो फिर इसका वास्तविक लाभ पीड़ितों को कैसे मिलेगा पाएगा? निजी अस्पताल की टीम गांवों में मेडिकल सहायता के लिए आई। टीम एक सप्ताह से गांवों में घूम कर लोगों को चर्म रोग, बुखार और मलेरिया की दवाइयां दे रहे हैं। डॉ. मंगल सिंह ने कि इस समय उन्हें फंग्स, बीपी और शूगर के मरीज मिल रहे हैं। बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए विभिन्न जिलों और राज्यों से मदद के लिए स्वयंसेवक रमदास पहुंच रहे हैं। किसी संस्था ने मेडिकल कैंप लगाए हैं, तो कुछ लोगों को बिस्तर तक मुहैया करा रहे हैं। इसके अलावा पानी, चारा और राहत सामग्री लेकर पहुंचे, लोग अब गांव वासियों के कहने पर यह सारी सामग्री कुछ संस्थाओं को दे रहे हैं।

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