6 वर्षों से बंद हैं 21 तहसील कचहरी रैयतों को नहीं मिल सका इनका लाभ

जामताड़ा जिले के छह प्रखंडों में 13 करोड़ 44 लाख रुपए की लागत 32 तहसील कचहरी सह कर्मचारी आवास बनाए गए हैं। जिसमें से 21 तहसील कचहरी सह कर्मचारी आवास निर्माण के बाद से ही बेकार और बंद पड़ा है। वर्तमान में कचहरी भवन में जंगल-झाड़ियां उग गई हैं। जबकि प्रत्येक भवन के निर्माण की लागत 42 लाख रुपए की आई थी। जिले के 6 प्रखंड में कुल 32 तहसील कचहरी का निर्माण कार्य वर्ष 2019 में किया गया था। लेकिन अभी 32 में से 21 तहसील कचहरी सह कर्मचारी आवास बंद पड़े हैं। इन भवनों में ताले लटक रहे हैं। बता दें कि तहसील कचहरी सह कर्मचारी आवास के दो मंजिला भवन का निर्माण कार्य भवन प्रमंडल जामताड़ा ने कराया था। दो मंजिला कचहरी भवन के ग्राउंड फ्लोर पर राजस्व उपनिरीक्षक का कार्यालय बनाया गया है। वही फर्स्ट फ्लोर पर राजस्व कर्मचारी का आवास है। इस भवन में शौचालय ,पानी की व्यवस्था के साथ-साथ चहारदीवारी का निर्माण कार्य भी कराया गया है। इसके बावजूद जिले के तहसील कचहरियों में राजस्व कर्मचारियों का आवासन नहीं होता है। राजस्व कर्मचारी अपने घरों से ही अंचल कार्यालय आना जाना करते हैं, जबकि उनके ठहरने की पर्याप्त व्यवस्था भवन के अंदर ही मौजूद हैं। लेकिन 6 सालों से बंद पड़े तहसील कचहरी भवन धीरे धीरे बेकार और जीर्ण शीर्ण होता जा रहा है। जिले में तहसील कचहरी बनाने का मुख्य उद्देश्य रैयती भूमि की लगान वसूली करना है। दूसरी और राजस्व भूमि का सत्यापन कार्य , दाखिल खारिज वाले मामले में आमसभा करने व राजस्व भूमि के दस्तावेजों के रख रखाव सहित सरकारी भूमि की देखरेख करने का जिम्मा राजस्व कर्मचारियों पर होता है। सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों के रैयतों को ब्लॉक का चक्कर नहीं काटना पड़े, इसके लिए राजस्व ग्राम के रैयतों की सुविधा के िलए सरकार ने तहसील कचहरी का निर्माण करवाया है।

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