शहर सरकार:11.18 लाख वोटर देंगे वोट, 5 साल में 25% बढ़े परिसीमन ने बिगाड़ा गणित, वोटर इधर से उधर

मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के साथ ही तय हो गया है कि 2025 में होने वाले रायपुर नगर निगम चुनाव में 11.18 लाख मतदाता अपनी शहर सरकार चुनेंगे। पिछले निगम चुनाव में 8.96 लाख वोटर्स थे। पांच साल में 2.22 लाख यानी करीब 25 प्रतिशत मतदाता बढ़ गए हैं। वोटर्स बढ़ने के कारण इस बार प्रत्याशियों को खासी मेहनत करनी पड़ेगी। जीतने के लिए उन्हें अधिक मार्जिन की जरूरत पड़ेगी। यानी मुकाबला पिछले चुनाव की तुलना में ज्यादा कठिन होगा। मतदाता सूची जारी होने के साथ ही शहर सरकार का चुनावी महासंग्राम भी शुरू हो गया है। इस बार वोटर्स को ना केवल अपना वार्ड पार्षद चुनने का मौका मिलेगा बल्कि वे शहरी सरकार के सबसे महत्वपूर्ण जनप्रतिनिधि यानी महापौर का चुनाव भी अपने पसंद से करेंगे। महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होने के कारण सभी मतदाताओं को अपने वार्ड पार्षद के अलावा एक वोट महापौर के लिए भी डालना होगा। अफसरों की माने तो 20 दिसंबर तक आरक्षण की प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी। इसके बाद चुनाव की आचार संहिता लागू होगी। गुरुवार को राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन जारी किया। दावा-आपत्तियों के निराकरण के बाद जारी मतदाता सूची के अनुसार इस बार चुनाव में 11 लाख 18 हजार 636 मतदाता हैं। पिछले चुनाव यानी 2019 में रायपुर निगम में कुल 8 लाख 96 हजार 317 वोटर्स थे। पांच साल में 2 लाख 22 हजार 319 वोटर्स बढ़ गए। यानी वोटर्स की संख्या में 24.80 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। प्रत्याशियों के लिए नई चुनौतियां युवा मतदाता की संख्या भी ज्यादा
आयोग की ओर से गुरुवार को देर शाम लिस्ट जारी होने के कारण वार्डवार मतदाता सूची की जानकारी अभी अपडेट नहीं हो पाई है। लेकिन मिली जानकारी के अनुसार रायपुर निगम के 70 वार्डों में प्रत्येक में औसतन 3176 वोटर्स बढ़े हैं। निर्वाचन से जुड़े जानकारों का कहना है कि हर वार्ड में इतने मतदाता बढ़ने का मतलब है कि प्रत्याशियों को इस बार कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। वार्ड में आमतौर पर प्रत्याशियों को जीतने के लिए ढाई से तीन हजार वोट हासिल करने होते हैं। छोटे वार्ड में 800-900 में भी जीत सुनिश्चित हो जाती है। लेकिन मतदाता संख्या बढ़ने के कारण वोट का मार्जिन भी ज्यादा होगा। अंजनी विभार सबसे कम, ढेबर
सबसे ज्यादा वोट से जीते थे
नगर निगम 2019 का चुनाव कई मामलों में बेहद रोचक रहा था। वीरांगना अवंति बाई वार्ड-6 में कांग्रेस प्रत्याशी अंजनी राधेश्याम विभार सबसे कम एक वोट से जीती थीं। उन्हें चुनाव में 2873 वोट मिले थे, जबकि प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी भाजपा की गीता सोनी को 2872 वोट मिले थे। दरअसल चुनाव में दोनों प्रत्याशियों को बराबर 2872 वोट मिले थे। तब रीकाउंटिंग हुई। इसमें अंजनी को एक वोट ज्यादा मिला। दूसरी ओर मौलाना अब्दुल रऊफ वार्ड बैजनाथपारा में कांग्रेस प्रत्याशी एजाज ढेबर सबसे ज्यादा 4442 वोटों के अंतर से जीते थे। उन्हें कुल 6739 वोट मिले थे, जबकि भाजपा के प्रत्याशी सुनील वांदरे को 2297 वोट मिले थे। सुनील का वार्ड परिसीमन में खत्म हो गया था। इस वजह से वे बैजनाथपारा से चुनाव लड़े थे।
पंचायतों का आरक्षण 19 को सुबह 11 बजे से, इसके बाद निगम का
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का आरक्षण 19 दिसंबर को होगा। जिला निर्वाचन अधिकारी ने गुरुवार को इसका आदेश जारी कर दिया। नगरीय निकाय का आरक्षण भी 20 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके ​बाद ही आचार संहिता लगेगी। जनपद पंचायत धरसींवा, तिल्दा-नेवरा, अभनपुर तथा आरंग के सरपंच, पंच, जनपद अध्यक्ष के साथ ही जिला पंचायत और जनपद सदस्यों का आरक्षण कलेक्टोरेट के रेडक्रास सोसायटी सभाकक्ष में होगा। सरपंच पदों का आरक्षण दोपहर 2 बजे से होगा। पंच का आरक्षण सुबह 11 बजे से तथा जनपद पंचायत अध्यक्ष का आरक्षण दोपहर 12 से, जनपद पंचायत सदस्यों का आरक्षण दोपहर 2 बजे से होगा। जिला पंचायत सदस्य का आरक्षण दोपहर 2 बजे से होगा। परिसीमन के कारण घटा-बढ़ा है शहर के सभी 70 वार्डों का दायरा
मतदाताओं की संख्या बढ़ने से इस बार का चुनाव मुश्किल होने के साथ ही प्रत्याशियों को परिसीमन के कारण वार्डों की सीमा में हुए बदलाव से भी जूझना पड़ेगा। परिसीमन की वजह से कई वार्डों की सीमा बढ़ गई है तो कई की घट गई है। वार्ड के वोटर्स कटने के कारण कई वार्ड के प्रत्याशियों के लिए उनके वोट बैंक चले जाने का दुख है। जिन वार्डों की सीमा बढ़ी है, वहां के प्रत्याशियों को नए वोटर्स बढ़ने के कारण दिक्कत हो सकती है। उनका कहना है कि नए मतदाताओं के आने से संतुलन बिगड़ गया है।

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