याचिका : 5 हजार करोड़ खर्च, फिर भी विकास अनियोजित, 2-3 इंच में ही डूब जाता है शहर आवश्यक विकास कार्यों का आकलन किए बिना योजनाएं बनाने पर दायर याचिका पर हुई सुनवाई इंदौर जिले की आबादी का आकलन, आवश्यक विकास कार्यों का आकलन किए बिना योजनाएं बनाए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने पिछली बार याचिका का जवाब पेश नहीं करने पर नगर निगम, जिला प्रशासन, शासन पर कॉस्ट लगाने के निर्देश दिए थे। नगर निगम ने 25 हजार रुपए कॉस्ट जमा कर दी। साथ ही जवाब भी पेश कर दिया, लेकिन शासन, प्रशासन ने अब तक जवाब पेश नहीं किया। दोनों को अपना जवाब देने के लिए समय दिया है। आगामी सुनवाई अब जनवरी के पहले सप्ताह में होगी। सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने यह जनहित याचिका दायर की है। 2019 में यह याचिका दायर की गई थी। कई बार सुनवाई होने के बाद भी पक्षकार जवाब नहीं दे रहे थे। इस पर हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कॉस्ट लगाने के आदेश दिए थे। जनहित में ये मुद्दे उठाए थे, पांच साल में भी नहीं दे रहे थे जवाब करीब पांच साल पहले दायर याचिका में उल्लेख किया है कि जेएनएनयूआरएम, अमृत योजना, सिंहस्थ फंड, सीवरेज योजनाओं के नाम पर अब तक जिले में 5 हजार करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। इसके बाद भी 2-3 इंच बारिश में शहर डूब रहा। पूरे जिले में नर्मदा पेयजल का वितरण नहीं हो रहा है। लोक परिवहन भी महंगा है। शहर को जितना ग्रीन कवर चाहिए वह भी पर्याप्त नहीं है, क्योंकि मास्टर प्लान में पूरे शहर के लिए एक जैसे प्रावधान नहीं किए जा रहे हैं। बहरहाल, हाई कोर्ट ने पक्षकारों को बिंदुवार जवाब देने के निर्देश दिए हैं।