हमास अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की गाजा सीजफायर प्लान के कुछ पॉइंट पर सहमत हो गया है। समूह ने शुक्रवार देर रात को घोषणा की कि वह इजरायली बंधकों को रिहा करने के लिए तैयार है। साथ ही हमास गाजा पट्टी का प्रशासन वापस सौंपने को भी राजी हो गया है। हालांकि, समूह ने ट्रम्प की अन्य शर्तों पर बातचीत करने की मांग की है। हमास ने कहा कि वह मध्यस्थों के जरिए तुरंत बातचीत को तैयार है। हमास के शांति प्रस्ताव पर ट्रम्प ने अपने ट्रुथ सोशल पर लिखा, हमास शांति के लिए तैयार है। इजराइल को तुरंत गाजा पर बमबारी रोकनी चाहिए। ताकि हम बंधकों को सुरक्षित और जल्दी बाहर निकाल सकें। अभी यह करना बहुत खतरनाक है। दरअसल, 29 सितंबर की रात इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से वॉशिंगटन डीसी में मुलाकात की थी। इसके बाद नेतन्याहू गाजा में सीजफायर पर सहमत हुए थे। ट्रम्प ने सीजफायर के लिए 20 पॉइंट का एक प्लान तैयार किया है। 2 पॉइंट… जिनपर हमास सहमत हुआ 1. कैदियों को रिहा करेगा
हमास ने कहा, वह सभी कब्जे वाले कैदियों (जीवित और शव) को राष्ट्रपति ट्रम्प के प्लान में बताए गए आदान-प्रदान के फार्मूले के अनुसार रिहा करने को तैयार है। हालांकि, इसके लिए कुछ जमीनी शर्तें पूरी होनी चाहिए। 2. हमास गाजा का प्रशासन सौंपने को तैयार हमास ने कहा कि वह गाजा पट्टी का प्रशासन एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी निकाय (टेक्नोक्रेट) को सौंपने के लिए तैयार है, जो फिलिस्तीनियों की सहमति से बने। साथ ही उसे अरब और इस्लामिक देशों का समर्थन मिले। ट्रम्प के सीजफायर प्लान के 20 पॉइंट ट्रम्प ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि इस प्लान में गाजा में युद्ध रोकना, सभी बंधकों को छोड़ना और गाजा में प्रशासन चलाने के लिए एक अस्थायी बोर्ड बनाने का प्रस्ताव है। ट्रम्प इस बोर्ड की अध्यक्षता करेंगे और इसमें पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर भी होंगे। ट्रम्प बोले थे- शांति प्रस्ताव मानने के लिए हमास के पास 3-4 दिन राष्ट्रपति ट्रम्प ने हमास को अपने शांति प्रस्ताव में शामिल होने के लिए 3-4 दिन का समय दिया था। व्हाइट हाउस से निकलते वक्त उन्होंने कहा था कि इजराइल और कई अरब देश इस योजना से सहमत हैं, लेकिन हमास ने अभी तक जवाब नहीं दिया है। ट्रम्प ने चेतावनी दी थी कि अगर हमास अगर हां बोलेगा तो ठीक, नहीं तो इसका बुरा हाल होगा। उन्होंने कहा कि योजना में ज्यादा बदलाव नहीं होगा। ट्रम्प ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर शुरुआत से ही हमारे साथ थे। वे इस प्रस्ताव पर पूरा भरोसा रखते हैं। इससे पहले नेतन्याहू ने चेतावनी दी थी कि यह काम आसान या मुश्किल तरीके से होगा, लेकिन इसे पूरा जरूर किया जाएगा। अगर हमास इस प्लान को नहीं मानेगा तो इजराइल खुद यह काम पूरा करेगा। वहीं, हमास ने हथियार डालने से इनकार कर दिया है। उसका कहना है कि हमें प्लान का औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला है। दूसरी तरफ, फिलिस्तीनी सरकार ने ट्रम्प के प्लान का स्वागत किया है। 29 सितंबर: नेतन्याहू-ट्रम्प की मुलाकात की 2 तस्वीरें… मोदी ने ट्रम्प के प्लान का स्वागत किया था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रम्प के सीजफायर प्लान का स्वागत किया था। मोदी ने X पर पोस्ट कर कहा था कि यह प्लान फिलिस्तीनी और इजराइली लोगों के साथ ही पूरे पश्चिम एशियाई क्षेत्र के लिए शांति, सुरक्षा और विकास का रास्ता देगा। मोदी ने उम्मीद जताई कि सभी ट्रम्प की पहल का समर्थन करेंगे और संघर्ष को खत्म कर शांति सुनिश्चित करने के प्रयास का समर्थन करेंगे। नेतन्याहू ने दोहा हमले के लिए कतर से माफी मांगी नेतन्याहू ने सोमवार को दोहा हमले के लिए कतर से माफी भी मांगी। उन्होंने ट्रम्प के कहने पर व्हाइट हाउस से कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी को फोन किया। नेतन्याहू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- मैंने फोन पर कतर के प्रधानमंत्री से कहा कि इजराइल आतंकवादियों को मार रहा था, कतर को नहीं। हमें हमले में कतर के नागरिक के मरने का दुख है। इजराइली सेना ने 9 सितंबर यानी 20 दिन पहले दोहा में हमास चीफ खलील अल-हय्या को निशाना बनाकर हमला किया था। हमले में अल-हय्या बच गया था, लेकिन 6 अन्य लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें एक कतर का अधिकारी था। इसके बाद कतर इजराइल से नाराज हो गया था। ट्रम्प ने भी नाराजगी जाहिर की थी। इजराइल को कई देशों का विरोध झेलना पड़ रहा है इजराइल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गाजा युद्ध की वजह से लगातार आलोचना का सामना कर रहा है। हाल ही में UN महासभा में नेतन्याहू के भाषण के दौरान कई देशों के डिप्लोमैट्स ने वॉकआउट कर दिया था। हालांकि, दूसरे देशों के उलट अमेरिका मजबूती से नेतन्याहू के साथ खड़ा है। ट्रम्प साफ कह चुके हैं कि वे फिलिस्तीन को देश की मान्यता नहीं देंगे। इजराइल के कई सहयोगियों ने फिलिस्तीन को मान्यता दी गाजा जंग में अब तक 66 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है। इस वजह से ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे इजराइल के पुराने सहयोगियों ने फिलिस्तीनी को देश की मान्यता दे दी है। ये सभी देश इजराइल पर सीजफायर के लिए दबाव बना रहे हैं। दूसरी तरफ इजराइल के कई राजनीतिक दलों का कहना है कि जब तक हमास का पूरी तरह खात्मा नहीं हो जाता है, वे सीजफायर का समर्थन नहीं करेंगे। इन्होंने चेतावनी दी है कि अगर नेतन्याहू सीजफायर के लिए राजी होते हैं, तो वे सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे। ————————– इजराइल से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… इजराइल का कतर की राजधानी दोहा पर हमला:हमास लीडर बाल-बाल बचे, 6 अन्य की मौत; PM नेतन्याहू ने हमले की जिम्मेदारी ली कतर की राजधानी दोहा में मंगलवार को कई जोरदार धमाकों की आवाजें सुनी गईं। इजराइली सेना ने ऐलान किया कि उसने हमास के सीनियर नेताओं को निशाना बनाकर हवाई हमले किए हैं। ये हमला हमास चीफ खलील अल-हय्या को निशाना बनाकर किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमले में अल-हय्या बच गया, जबकि 6 अन्य लोगों की मौत हो गई। यहां पढ़ें पूरी खबर… UN में नेतन्याहू के भाषण का बॉयकॉट:इजराइली PM बोले- सभी दुश्मनों को खत्म किया; गिरफ्तारी से बचने 5 देशों का एयरस्पेस छोड़कर अमेरिका पहुंचे इजराइली पीएम नेतन्याहू के भाषण का संयुक्त राष्ट्र (UN) में बॉयकॉट किया गया। नेतन्याहू ने शुक्रवार को जैसे ही UN महासभा में स्पीच देना शुरू किया, 50 देशों के सौ डिप्लोमैट्स हॉल से बाहर चले गए।वॉकआउट करने वाले देशों में ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया सहित वे देश शामिल थे जिन्होंने हाल ही में फिलिस्तीन को मान्यता दी है। यहां पढ़ें पूरी खबर…