चंडीगढ़ नगर निगम की मीटिंग का मामला पहुंचा हाईकोर्ट:AAP पार्षदों ने दायर की है याचिका, 26 अगस्त की मीटिंग का मामला

चंडीगढ़ नगर निगम की मीटिंग से आम आदमी पार्टी (AAP) के पार्षदों को बाहर निकालने और एजेंडे पारित करने का मामला अब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट पहुंच गया। इस मामले में आज अदालत में सुनवाई होगी। पार्षदों की तरफ से इस मामले में यूटी प्रशासन, लोकल गवर्नमेंट सेक्रेटरी, डीसी और नगर निगम कमिश्नर को पार्टी बनाया गया है। चार पार्षदों की तरफ से दी गई चुनौती अदालत में यह याचिका आम आदमी पार्टी के पार्षद योगेश ढींगरा, जसविंदर कौर, दमनप्रीत सिंह और रामचंद्र की तरफ से दायर की गई है। याचिका में दलील दी गई है कि जबरदस्ती आप विधायकों को नगर निगम से निकाला गया, जबकि इसके बाद गलत तरीके से मीटिंग के मिनट पास किए गए। उन्होंने 26 अगस्त की बैठक के एजेंडा आइटम नंबर छह को रद्द करने और पारदर्शी मतदान सुनिश्चित करने की मांग की है। आप पार्षदों का कहना है कि उन्होंने कभी भी वी-3 सड़कों के ट्रांसफर का विरोध नहीं किया, बल्कि केवल समय सीमा तय करने और वी-5 और वी-6 सड़कों की तत्काल मरम्मत की मांग की थी। उनका आरोप है कि नियमों के अनुसार चार सदस्य मतदान की मांग करें तो मतदान करवाना अनिवार्य है, लेकिन मेयर ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है। इसके बाद उन्हें बाहर करवा दिया गया।
2021 में हुए थे निगम चुनाव चंडीगढ़ निगम के लिए दिसंबर 2021 में चुनाव हुए थे। आम आदमी पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़ा और 35 वार्ड वाले चंडीगढ़ नगर निगम में 14 वार्ड जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी। दूसरे नंबर पर 13 सीटों के साथ भाजपा थी। कांग्रेस ने 7 और एक सीट अकाली दल ने जीती थी। हालांकि बाद में कांग्रेस और आप का समझौता हो गया था। अकाली दल के पार्षद आप में शामिल हो गए थे। हालांकि दो सालों से निगम की राजनीति काफी गर्म रही है।

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