‘शादी के 5 दिन बाद ही पता चल गया था कि जिससे शादी हुई है, वह हिंदू नहीं मुस्लिम है। मैंने घर पर बताया। घरवालों ने कहा कि छोड़कर चली आओ। मैंने समाज और परिवार की बदनामी के बारे में सोचकर घर जाना ठीक नहीं समझा। 2 साल बीते। मेरे ऊपर धर्म परिवर्तन का प्रेशर पड़ने लगा। मैं धर्म बदलने को तैयार नहीं थी, इसलिए मेरा अबॉर्शन करवा दिया गया। मैं बुरी तरह से फंस गई हूं। न्याय चाहती हूं…।’ ये शब्द अमरोहा में बीजेपी नेता ताबिश असगर के चक्कर में फंसकर लव जिहाद का शिकार हुई एक 26 साल की लड़की के हैं। लड़की का नाम न लिखकर हम उसे पीड़िता लिखेंगे। इस पूरी घटना में झूठ, फरेब और ठगी है। पीड़िता को मिला जीवन भर का दर्द और अफसोस है। दैनिक भास्कर की टीम ने पीड़िता से ही उसके फंसने की पूरी कहानी सुनी। पढ़िए उन्होंने क्या कुछ बताया… मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती थी पीड़िता
पीड़ित लड़की मूलरूप से शाहजहांपुर जिले के एक गांव की रहने वाली है। पढ़ाई-लिखाई के बाद नोएडा में एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी हासिल कर ली। करीब 60 हजार रुपए शुरुआती सैलरी थी। 2020 में कोरोना था इसलिए घर से ही काम करना होता था। अक्टूबर 2020 में पीड़िता के फेसबुक पर एक रिक्वेस्ट आई। ये रिक्वेस्ट विशाल राणा के नाम से थी। पीड़िता ने पूरी प्रोफाइल चेक की और फिर रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली। 2 दिन बाद मैसेज आने शुरू हुए। दोनों में बातचीत शुरू हो गई। फेसबुक से दोस्त बनने के 3 महीने बाद यानी जनवरी 2021 में पहली बार मिले। यह मुलाकात नोएडा में हुई। पीड़िता कहती है, उस वक्त विशाल ने बताया कि वह वकील है, अमरोहा जिला अदालत में प्रैक्टिस करता है। वकालत ही उसकी कमाई का जरिया है। विशाल राणा (ताबिश असगर) तब बीजेपी का सभासद था। इस वक्त ताबिश असगर बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति का सदस्य है। हमने पूछा कि क्या आपको पार्टी से जुड़े पद वगैरह के बारे में बताया था? वह कहती हैं ‘मुझे बस इतना पता था कि ये बीजेपी में जुड़े हुए हैं।’ लड़की की तरफ से शादी में सब आए, लड़के की तरफ से कोई नहीं
दोनों के बीच जनवरी में हुई मुलाकात के बाद बातचीत और लगातार मुलाकात का सिलसिला शुरू हो गया। इस दौरान ताबिश असगर लड़की से अपने परिवार के बारे में बातचीत नहीं करता था। खुद की पहचान हिंदू के ही रूप में रखे हुए था। पीड़िता ने शादी की बात कही। ताबिश ने कहा कि पहले परिवार से बात कर लो। पीड़िता ने शाहजहांपुर में अपने परिवार से बात की। पहले तो परिवार तैयार नहीं हुआ लेकिन लड़की की जिद के आगे झुक गया और शादी के लिए तैयार हो गया। पीड़िता का कहना है कि ताबिश ने एक कहानी रची। उसने कहा कि मेरा परिवार इस शादी के लिए राजी नहीं है, लेकिन मैं शादी करूंगा। मेरे इस फैसले के चलते परिवार ने मुझे घर से निकाल दिया है। पीड़िता बताती है, हमने भरोसा कर लिया। 2022 के आखिर में हमने सगाई की। उस सगाई में ताबिश की तरफ से उसका भाई आया था, उसने अपना नाम वाशु राणा बताया था। फरवरी 2023 में हमारी शादी हुई। पीड़िता ने हमें अपनी शादी से जुड़े फोटोग्राफ भेजे हैं। गाजियाबाद के एक गेस्ट हाउस में भव्य शादी समारोह आयोजित हुआ। ताबिश की तरफ से कोई भी नहीं आया था। पीड़िता की तरफ से उनका पूरा परिवार मौजूद था। हिंदू रीति-रिवाज के साथ पूरी शादी हो गई। पीड़िता से हमने पूछा कि विदाई कहां के लिए हुई? वह कहती हैं, हमारी विदाई गेस्ट हाउस से मेरे फ्लैट के लिए हुई। यहीं हम दोनों आकर रहने लगे। जो रिश्तेदार आए थे वह वापस अपने घर चले गए। ‘सिग्नेचर देखने से पता चला ये मुस्लिम है’
हमने पीड़िता से पूछा कि पहली बार आपको कब पता चला कि जिससे आपकी शादी हुई है वह हिंदू नहीं बल्कि मुस्लिम है? पीड़िता कहती हैं, शादी के 5 दिन बाद विशाल हमें लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट गया। ताबिश ने कहा कि चल कर शादी का रजिस्ट्रेशन करवा लेते हैं। हम वहां चले गए। पता चला कि इसने लिव-इन की पिटीशन डाली है। वह भी मेरे नाम से। कोशिश यही थी कि हम जान न पाएं लेकिन वहां तो सिग्नेचर करना था, जैसे ही इसने ताबिश लिखा मैं अवाक रह गई। मेरा रिएक्शन अजीब था। हमने पूछा फिर आपने क्या किया? क्या अपने मम्मी-पापा को बता दिया? वह कहती हैं, मैंने तुरंत ही अपने मम्मी-पापा को बताया, उनकी तरफ से कहा गया कि अगर ऐसा है तो छोड़कर चली आओ। दूसरी तरफ ताबिश मुझे लगातार समझा रहा था। कह रहा था कि मैं मुस्लिम धर्म को नहीं मानता। शिव का भक्त हूं। टीका लगाता हूं। हनुमान चालीसा पूरी आती है। मेरे दिमाग में चल रहा था कि वापस जाऊंगी तो बेइज्जती होगी। समाज के लोग मम्मी-पापा से कहेंगे कि तुम्हारी लड़की घर पर क्यों है, दामाद कहां गया? पीड़िता कहती हैं, मैं यही सब सोचकर रुक गई। मुझे ताबिश ने जो कहा-उस बात पर यकीन हो गया। वह घर पर पूजा-पाठ करता। वह जितनी पूजा-पाठ करता उतना तो मैं नहीं करती थी। मैं बस यही सोचती थी कि धर्म का क्या करना, आदमी ठीक है। लेकिन धीरे-धीरे स्वभाव बदलने लगा। अक्सर बातों ही बातों में धर्म परिवर्तन की बात कही जाने लगी। हालांकि कभी इस चीज को सीरियस में नहीं कहा गया। हमने पूछा कि शादी के बाद ताबिश क्या जॉब करता था? पीड़िता कहती है, शादी के बाद यह कुछ भी नहीं करता था। आप आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे चेक कर सकते हैं, यह व्यक्ति दिन भर घर में ही रहता था। पीड़िता ने हमें एक फोटो भेजी, जिसमें ताबिश पीड़िता का हाथ पकड़े रोता दिखाई दे रहा है। ‘प्रेग्नेंट हुई तो मेरा अबॉर्शन करवा दिया’
जनवरी 2024 में पीड़िता गर्भवती हो गई। वह कहती हैं, मेरे ऊपर धर्म परिवर्तन का प्रेशर तेजी से पड़ने लगा। जब मैंने मना कर दिया तो उसने 24 फरवरी 2024 को नोएडा के एक हॉस्पिटल में मेरा अबॉर्शन करवा दिया। पीड़िता कहती हैं, अबॉर्शन के बाद मैं टूट चुकी थी। मैं वापस अपने घर शाहजहांपुर आ गई। यहां कुछ वक्त तक रही। इसके बाद मैंने तय किया कि अब ताबिश के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवाऊंगी। जुलाई-अगस्त के महीने में मैंने पुलिस से संपर्क भी किया लेकिन मेरा मामला नहीं सुना गया। फिर अचानक 2 दिसंबर को मेरी तरफ से एक केस दर्ज होता है और उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है। पीड़िता कहती है कि ‘मुझे इस केस और उसकी गिरफ्तारी में भी कुछ प्लान नजर आता है। क्योंकि एक हफ्ते से ज्यादा समय बीत गया, पुलिस ने मुझे पूछताछ के लिए भी नहीं बुलाया। उसे गिरफ्तार नहीं किया गया बल्कि वह खुद ही गिरफ्तारी देने पहुंचा था। ऐसा लगता है कि जैसे इन सबके पीछे और भी लोग हैं जो उसे बचा रहे हैं।’ पीड़िता पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाती हैं और कहती हैं कि ऐसा ही रहा तो मुझे न्याय नहीं मिलेगा। ————————- भाजपा नेता से जुड़ी यह खबर भी पढ़िए… यूपी में भाजपा नेता का लव जिहाद:विशाल बन हिंदू युवती से शादी, धर्मांतरण का दबाव बनाकर गर्भपात कराया, जान से मारने की कोशिश यूपी के अमरोहा में भाजपा नेता का लव जिहाद सामने आया है। यहां मुस्लिम भाजपा नेता ने नाम बदलकर हिंदू युवती से शादी की। यह बात लड़की को जब पता चल गई, तो उस पर धर्मांतरण का दबाव बनाया। जबरन गर्भपात कराया। पहाड़ से धक्का देकर जान से मारने की कोशिश की। लड़की की शिकायत पर नोएडा पुलिस ने भाजपा नेता ताबिश असरार को 4 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन खुलासा रविवार शाम को किया। पढ़ें पूरी खबर…