चुनाव आयोग (ECI) वोटर्स लिस्ट को साफ सुथरा बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी कवायद करने जा रहा है। इसके लिए मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने पर सहमति बन चुकी है, लेकिन इसकी शर्त को पूरा करने के लिए उन वोटर्स से कारण जानना जरूरी है, जिन्होंने अभी तक अपना आधार नंबर वोटर रजिस्ट्रेशन के लिए नहीं दिया है। आयोग के पास अभी तक 66 करोड़ मतदाताओं के आधार एपिक नंबर (इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड नंबर) से लिंक्ड हुए हैं, लेकिन अब भी करीब 22 करोड़ मतदाताओं के आधार उपलब्ध नहीं हैं। इसका नतीजा ये है कि आधार के बेस पर मतदाता सूची से डुप्लीकेशन खत्म करने की प्रक्रिया शुरू भी नहीं हो पाई है। सूत्रों के अनुसार, मतदाता सूचियों से डुप्लीकेसी खत्म करने के लिए वोटर्स तक पहुंचने की योजना बनाई गई है। इसमें बूथ स्तर के अधिकारियों को सक्रिय किया जाएगा, जो मतदाताओं के घर जाकर संपर्क करेंगे। इस दौरान पता लगाया जाएगा कि अगर एपिक नंबर को आधार से लिंक किया गया है तो उसकी पुष्टि क्यों नहीं की? अगर लिंक नहीं किया है तो उसकी वजह जानी जाएगी। बूथ लेवल अफसर (बीएलओ) अपना संपर्क नंबर वोटर्स के साथ शेयर करेगा। वोटर्स तक पहुंचने का यह व्यापक अभियान विधानसभा चुनावों के समानांतर चलाया जाएगा। जिस राज्य में चुनाव आने वाले हैं, वहां यह प्रक्रिया प्राथमिकता से पूरी की जाएगी। इस साल के आखिर में बिहार में होने वाले चुनाव में बीएलओ वोटर्स से संपर्क करेंगे। अगले साल पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल के मतदाताओं से संपर्क की योजना है। समाधान इसलिए जरूरी, बिहार से होगी शुरुआत 2014 और 2018 के चुनावों में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में लाखों डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम सामने आए थे। एक अनुमान के मुताबिक, तेलंगाना में 20 लाख से ज्यादा डुप्लीकेट नाम थे। इसे रोके बिना निष्पक्ष चुनाव कराना मुश्किल है। अगले 20 महीने में बिहार के 7.80 करोड़, प. बंगाल के 7.57 करोड़, असम के 2.45 करोड़, केरल के 2.77 करोड़ और तमिलनाडु के 6.23 करोड़ मतदाताओं के घरों तक आयोग के बीएलओ पहुंचेंगे। क्योंकि, बिहार में इसी साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। अभियान शुरू करने के कारण पश्चिम बंगाल, असम, केरल और तमिलनाडु में अगले साल मई में विधानसभा चुनाव होंगे। निर्वाचन आयोग ने वोटरों के वेरिफिकेशन और उनसे संपर्क का यह अभियान इन कारणों से शुरू किया। …………………………… चुनाव आयोग से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… चुनाव आयोग AI के इस्तेमाल पर गाइडलाइन बना रहा: प्रयोग के नियम-तरीके तय होंगे; बिहार विधानसभा चुनाव में झलक दिखेगी चुनाव प्रचार के लिए कंटेंट तैयार करने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। इसे देखते हुए चुनाव आयोग इसके दुरुपयोग पर रोक लगाने और बेहतर इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए गाइडलाइंस बना रहा है। इसकी झलक बिहार विधानसभा चुनाव में दिख सकती है। पूरी खबर पढ़ें…