आईएएस अधिकारी और अजाक्स(अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ) के अध्यक्ष संतोष वर्मा के ब्राह्मणों को लेकर दिए बयान के बाद बवाल मचा हुआ है। सवर्ण समाज और सपाक्स (सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग) आईएएस वर्मा के बयान का विरोध कर रहा है, तो आजाद समाज पार्टी और जय युवा आदिवासी शक्ति संगठन (जयस) संतोष वर्मा के समर्थन में है। ब्राह्मण समुदाय से आने वाले बीजेपी-कांग्रेस के एक दर्जन से ज्यादा विधायक, मंत्री और सांसद भी संतोष वर्मा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर चुके हैं। इसके बाद भी सरकार संतोष वर्मा के खिलाफ एक्शन लेने को तैयार नहीं है। वर्मा के बयान के बाद सरकार ने उन्हें नोटिस जरूर जारी किया था, जिसका जवाब वे दे चुके हैं। सरकार इस नोटिस का परीक्षण कर रही है। अब उनका एक ताजा वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में वे कहते नजर आ रहे हैं कि कितने संतोष वर्मा को तुम मारोगे, अब हर घर से एक संतोष वर्मा निकलेगा। इस वीडियो के सामने आने के बाद ब्राह्मण समाज एक बार फिर लामबंद हो गया है। आखिर इतने विरोध के बाद भी सरकार वर्मा के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है? सरकार की क्या मजबूरी है? ये समझने के लिए भास्कर ने राजनीति के जानकारों के साथ साथ सपाक्स और जयस के पदाधिकारियों से भी बात की। पढ़िए रिपोर्ट… पहले जानिए ताजा वीडियो में क्या बोले संतोष वर्मा
आईएएस संतोष वर्मा का ये बयान 7 दिसंबर का बताया जा रहा है। इस दिन भोपाल के अजाक्स भवन में संघ के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की मीटिंग थी। इस दौरान संतोष वर्मा ने भीम आर्मी के संयोजक और नगीना सांसद चंद्रशेखर रावण से बातचीत का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर रावण ने उनसे कहा कि कितने संतोष वर्मा को तुम मारोगे, कितने को जलाओगे, कितने को निगल जाओगे? अब हर घर से एक संतोष वर्मा निकलेगा और जब हर घर से निकलेगा, तो आपके पास इतनी ताकत नहीं कि आप हर संतोष वर्मा को जला सको। भास्कर से बातचीत में वर्मा ने कहा कि जो वीडियो वायरल किया जा रहा है वह आपसी बैठक का है। यह संघ की बैठक से संबंधित है। इसमें कुछ गलत नहीं कहा है। जो बयान है वो नगीना सांसद का है इसलिए इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। सपाक्स और ब्राह्मण समाज ने किया विरोध
वर्मा के इस नए वीडियो के वायरल होने के बाद ब्राह्मण संगठन ने नाराजगी जाहिर की है। अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के नेता पुष्पेंद्र मिश्रा ने कहा- ब्राह्मण बेटियों को लेकर अनर्गल बयान देने पर सरकार ने अब तक वर्मा के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। अगर जल्द ही उन पर एफआईआर और कार्रवाई नहीं हुई तो ब्राह्मण समाज सड़क पर उतरने पर मजबूर हो जाएगा। मिश्रा ने कहा- वर्मा को कहां से ऊर्जा मिल रही है? उस पर नजर-ए-इनायत क्यों है? गेंद मुख्यमंत्री के पाले में है। उनसे आग्रह है कि इस मामले में जल्द कार्रवाई करें। वहीं सपाक्स (सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग) के प्रदेश अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी ने कहा कि यदि हर घर में संतोष वर्मा पैदा होगा तो क्या हर घर में बेटी को खतरा होगा? संतोष वर्मा के खिलाफ महिला उत्पीड़न के आपराधिक मामले पहले भी चल रहे हैं। कई थानों में एफआईआर दर्ज कराने के प्रयास के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं हुई, न उन्हें निलंबित किया न ही गिरफ्तार। उनके खिलाफ विभागीय जांच भी नहीं हो रही। सरकार किस बात का इंतजार कर रही है? आजाद समाज पार्टी और जयस वर्मा के समर्थन में
इधर, आजाद समाज पार्टी और आदिवासी संगठन जयस आईएएस वर्मा के बयान के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं। वर्मा के बयान पर जब सियासत गर्माई तो जयस ने इंदौर में पैदल मार्च निकाला और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा था। जयस का कहना है कि संतोष वर्मा ने सामाजिक समरसता को लेकर बयान दिया था। उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया और बेवजह मामले को तूल दिया गया। जयस का कहना है कि वर्मा के बयान की गलत व्याख्या की गई है,जबकि उन्होंने किसी भी समाज की बहन बेटियों का अपमान नहीं किया है। जयस ने ज्ञापन के जरिए वर्मा को दिए नोटिस को वापस लेने और धमकियां देने के वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की। विधानसभा से लेकर संसद तक बीजेपी नेताओं का विरोध
आईएएस संतोष वर्मा के बयान को लेकर बीजेपी-कांग्रेस के ब्राह्मण समुदाय से आने वाले नेता विरोध कर कार्रवाई की मांग कर चुके हैं। दोनों ही दलों के विधायक और जनप्रतिनिधियों का संयुक्त प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात कर चुका है। बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल ने आईएएस संतोष वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। ये भी कहा कि एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने समाज को विभाजित करने और भावनाओं को आहत करने वाला बयान दिया है। यह न केवल सामाजिक सौहार्द को प्रभावित करता है, बल्कि प्रशासनिक सेवा की नैतिक मर्यादाओं का भी उल्लंघन है। वहीं कांग्रेस की ओर से उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिला। कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री से कहा कि राज्य सरकार तत्काल प्रभाव से संतोष वर्मा को निलंबित करें और स्पष्ट संदेश दें कि समाज को बांटने वाली भाषा और गैरजिम्मेदाराना व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एमपी के सांसदों ने केंद्रीय कार्मिक मंत्री से शिकायत की
रीवा के सांसद जनार्दन मिश्रा ने केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह को पत्र लिखकर संतोष वर्मा के सिलेक्शन प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे और कार्रवाई की मांग की थी। भोपाल सांसद आलोक शर्मा ने भी केंद्रीय मंत्री से मुलाकात कर उन्हें पत्र सौंपा था। इसके बाद एमपी के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने भी केंद्रीय मंत्री जितेंद्र से मुलाकात की। भोपाल सांसद आलोक शर्मा के नेतृत्व में सीधी सांसद डॉ. राजेश मिश्रा, जबलपुर सांसद आशीष दुबे, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, परशुराम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पंडित विष्णु राजोरिया, पंडित गिरीश शर्मा, पंडित राकेश चतुर्वेदी, पंडित लक्ष्मी कांत दुबे ने केंद्रीय मंत्री को ज्ञापन दिया और कार्रवाई की मांग की थी। मंत्री ने सांसदों से कहा था कि वे जल्द ही एमपी सरकार से जांच प्रतिवेदन मागेंगे। अब जानिए सरकार की क्या है मजबूरी वोट बैंक खिसकने का डर
एमपी विधानसभा में एससी के लिए 35 और एसटी के लिए 47 सीटें रिजर्व हैं, यानी कुल 82 सीटें हैं। ये सरकार बनाने में निर्णायक साबित होती है। आईएएस संतोष वर्मा एसटी यानी आदिवासी समुदाय से आते हैं। राजनीति के जानकारों का कहना है कि साल 2018 के बाद से ही बीजेपी का सबसे ज्यादा फोकस आदिवासी वर्ग को साधने में रहा है। साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने एसटी की 47 में से 30 सीटों पर कब्जा किया था। जो 2013 में हुए चुनाव से दोगुनी थी। वहीं बीजेपी 16 सीटों पर सिमट गई थी। एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। इसका नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की थी। इसी के बाद बीजेपी ने आदिवासियों को लुभाने में कसर नहीं छोड़ी। बिरसा मुंडा जयंती, टंट्या भील का बलिदान दिवस से लेकर आदिवासी क्षेत्रों में पेसा एक्ट लागू करने जैसे फैसले लिए गए। नतीजा ये हुआ कि 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कमबैक करते हुए 25 सीटों पर जीत दर्ज की। हालांकि कांग्रेस भी 21 सीटों के साथ मुकाबले में अभी भी बनी हुई है। मंत्री विजय शाह के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं की जानकार कहते हैं कि आदिवासी वोट बैंक की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि कैबिनेट मंत्री विजय शाह ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन बता दिया था। उनके इस बयान के बाद भी उनके खिलाफ किसी तरह का एक्शन नहीं लिया गया। जानकारों के मुताबिक विजय शाह आदिवासी वर्ग का एक बड़ा चेहरा है। विपक्ष के कहने पर उनके खिलाफ पार्टी कोई कार्रवाई करती तो आदिवासियों के बीच गलत मैसेज जाता। वोट बैंक की खातिर बीजेपी ने अपने मंत्री को केवल हिदायत देकर छोड़ दिया। वहीं बीजेपी दूसरे दलों को इस वोट बैंक में सेंध लगाने का मौका नहीं देना चाहती। बीएसपी और सपा लंबे समय से मप्र में अपने पैर जमाने की कोशिश में है, लेकिन वह जाति की राजनीति में कामयाब नहीं हुए हैं। ब्राह्मण बीजेपी का कोर वोटर
जानकारों के मुताबिक ब्राह्मण वर्ग बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है। भले ही कुछ भी हो जाए ये वोट बैंक खिसकता नहीं है। जानकार उदाहरण देते हुए कहते हैं कि बीजेपी के प्रदेश प्रभारी रहे मुरलीधर राव ने 2021 में कहा था कि हमारी एक जेब में ब्राह्मण और दूसरी में बनिया हैं। इस बयान का विरोध हुआ, लेकिन मुरलीधर के माफी मांगने के बाद चुनावों पर इसका कोई असर पड़ा हो ऐसा दिखाई नहीं दिया। वहीं दूसरा उदाहरण देते हुए जानकार कहते हैं कि सीधी में एक बीजेपी नेता ने आदिवासी के सिर पर पेशाब की थी। इसका वीडियो वायरल हुआ। विपक्ष ने जमकर हंगामा मचाया। तब तत्कालीन सीएम शिवराज ने दशमत को सीएम हाऊस बुलाकर उसके पैर धोए थे। प्रवेश शुक्ला के खिलाफ की गई कार्रवाई से ब्राह्मण समाज नाराज हुआ मगर चुनाव में इसका कोई असर देखने को नहीं मिला। 2018 के चुनाव के मुकाबले 2023 के चुनाव में बीजेपी ने विंध्य में बेहतर प्रदर्शन किया है। साथ ही सीधी, सतना, रीवा लोकसभा सीट पर भी जीत दर्ज की है। इस मामले से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…. IAS संतोष वर्मा के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे भाजपा विधायक:उमाकांत शर्मा बोले- सरकार ने एक्शन नहीं लिया तो केस लगाऊंगा; ब्राह्मण बेटियों पर की थी टिप्पणी नरोत्तम मिश्रा बोले- सरकार IAS संतोष वर्मा पर एक्शन ले:धीरेंद्र शास्त्री के मंच से कहा- अन्यथा सनातनधर्मी अपनी ओर से कार्रवाई करेंगे हेमंत कटारे बोले:IAS संतोष वर्मा को निष्कासित करे सरकार:डिप्टी CLP लीडर ने पूछा-डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता बहू बेटियों के अपमान पर चुप क्यों ब्राह्मण बेटियों को लेकर वर्मा ने दिया था बयान:मंत्री विजयवर्गीय बोले-वर्मा का बयान दुर्भाग्यपूर्ण, उनको कड़ी से कड़ी सजा देने की कोशिश सांसद बोले-प्रमोशन पाने एससी से एसटी बन गए IAS वर्मा:चयन को कोर्ट ने गलत ठहराया था; करणी सेना के अध्यक्ष ने लिखा-गाड़ी चढ़ा दो


