ISRO अंतरिक्ष से करेगा भारत की निगरानी:3 साल में 150 सैटेलाइट लॉन्च किए जाएंगे; अभी 55 सैटेलाइट बॉर्डर सर्विलांस में

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) अंतरिक्ष से देश की निगरानी को बढ़ाएगा। इसरो चेयरमैन वी नारायणन ने बुधवार को कहा कि, भारत अगले तीन सालाों में बॉर्डर एरिया सर्विलांस बढ़ाने के मकसद से करीब 150 और सैटेलाइट लॉन्च करेगा। चेन्नई में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नारायणन ने कहा कि, अभी भारत के पास 55 सैटेलाइट हैं, जो करीब 7500 किलोमीटर लंबे बॉर्डर एरिया की निगरानी कर रहे हैं। ऐसे में हमें और सैटेलाइट की जरूरत है। दरअसल नारायणन ने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के मद्देनजर इसरो क्या कदम उठा सकता है, इस सवाल के जवाब में ये बातें कहीं। इसरो के भविष्य के मिशन क्या हैंइ
केंद्र सरकार की तरफ से पिछले महीने ही चंद्रयान-5 मिशन के लिए मंजूरी मिली है। इसमें जापान हयोगी होगा। चंद्रयान-3 मिशन के लिए 25 किलोग्राम का रोवर (प्रज्ञान) ले जाया गया था, जबकि चंद्रयान-5 मिशन चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए 250 किलोग्राम वजनी रोवर ले जाएगा। सितंबर, 2024 में मिली थी चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी
कैबिनेट ने पिछले साल सितंबर में चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दी थी। इस मिशन का उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट को चंद्रमा पर उतारना, चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों के सैंपल इकट्ठा करना और उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाना है। इस मिशन पर 2104 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इस स्पेसक्राफ्ट में पांच अलग-अलग मॉड्यूल होंगे। जबकि, 2023 में चंद्रमा पर भेजे गए चंद्रयान-3 में प्रपल्शन मॉड्यूल (इंजन), लैंडर और रोवर तीन मॉड्यूल थे। चंद्रयान-4 के स्टैक 1 में लूनर सैंपल कलेक्शन के लिए एसेंडर मॉड्यूल और सतह पर लूनर सैंपल कलेक्शन के लिए डिसेंडर मॉड्यूल होगा। स्टैक 2 में थ्रस्ट के लिए एक प्रपल्शन मॉड्यूल, सैंपल होल्ड के लिए ट्रांसफर मॉड्यूल और सैंपल को पृथ्वी पर लाने के लिए री-एंट्री मॉड्यूल शामिल रहेगा। मिशन में दो अलग-अलग रॉकेट का इस्तेमाल होगा। हैवी-लिफ्टर LVM-3 और ISRO का रिलायबल वर्कहॉर्स PSLV अलग-अलग पेलोड लेकर जाएंगे। चंद्रयान-4 के 2 मॉड्यूल चांद की सतह पर जाएंगे
चंद्रयान-4 मिशन कई स्टेज में पूरा होगा। चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद मुख्य स्पेसक्राफ्ट से 2 मॉड्यूल अलग होकर सतह पर लैंड करेंगे। दोनों ही मॉड्यूल चांद की सतह से नमूने इकट्ठा करेंगे। फिर एक मॉड्यूल चांद की सतह से लॉन्च होगा और चांद की कक्षा में मुख्य स्पेसक्राफ्ट से जुड़ जाएगा। नमूनों को धरती पर वापस आने वाले स्पेसक्राफ्ट में ट्रांसफर करके भेजा जाएगा। इसरो के वैज्ञानिक चांद की सतह से ‎नमूने उठाने वाला रोबोट तैयार कर रहे हैं। गहराई तक ‎ड्रिल करने तकनीक पर काम हो रहा है। नमूने इकट्‌ठा करने के लिए कंटेनर और डॉकिंग मैकेनिज्म‎ की तकनीक विकसित की जा रही है। भविष्य के अन्य प्लान स्पेस मिशन से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… गगनयान एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग, ISRO के वीडियो जीरो ग्रेविटी में योग करते दिखे 2024 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ISRO ने गगनयान मिशन के एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग का एक वीडियो जारी किया। वीडियो में दिख रहा है कि एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस जैसी एक सिमुलेटेड कंडीशन में ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्हें अंतरिक्ष यान, जीरो ग्रेविटी और स्पेस में आने वाली अन्य चुनौतियों के हिसाब से ट्रेनिंग की जा रही है। पूरी खबर पढ़ें…

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