JSSC CGL पेपर लीक का यूपी-बिहार कनेक्शन:झांसी जेल में बंद अपराधी मास्टरमाइंड, नालंदा के संजीव ने क्वेश्चन बेचे; परीक्षा से 2 दिन पहले मिला था प्रश्न

JSSC CGL पेपर लीक में पुलिस की एसआईटी जांच रिपोर्ट में कई तरह के खुलासे हो रहे हैं। एसआईटी जांच में यह पता चला है कि यूपी के झांसी जेल में बंद मोनू गुर्जर, अलवर के बलराम गुर्जर और नोएडा के सुमित सिंह ने पेपर लीक कराया था। वहीं मोनू के दोस्त बिहार के नालंदा निवासी संजीव कुमार और पटना के अतुल वत्स ने ​झारखंड-बिहार, प. ​बंगाल और यूपी में कोचिंग संचालकों और अभ्यर्थियों को 3 से 20 लाख रुपए तक में पेपर उपलब्ध कराया था। 28 जनवरी को होने वाली परीक्षा का पेपर 26 जनवरी को ही अभ्यर्थियों को मिल गया था। यूपी के स्पेशल टास्क फोर्स ने दी है जानकारी छानबीन के दौरान 18 अप्रैल को यूपी के स्पेशल टास्क फोर्स की मेरठ इकाई की ओर से रांची एसएसपी को ईमेल भेजा गया था। इसमें कहा गया था कि मेरठ के कांकर खेड़ा का रहने वाला रवि अत्री और उसका गिरोह पेपर लीक मामले में शामिल है। रवि और मोनू गुर्जर यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में भी अभियुक्त है। रवि मेरठ तो मोनू झांसी जेल में बंद है। इसके बाद पुलिस ने रवि से पूछताछ की। रवि ने बताया कि मोनू गुर्जर, बलराम गुर्जर और सुमित सिंह ने पेपर लीक कराया था। बलराम गुर्जर मूल रूप से राजस्थान के अलवर के हनुमान बास का रहने वाला है। उसके खिलाफ जयपुर के विभिन्न थानों में जालसाजी, मारपीट और गैर इरादतन हत्या सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज है। जालसाजों की करतूत ने ही उन्हें पकड़ाया रिपोर्ट के मुताबिक पेपर लीक में शामिल बिहार के लखीसराय के इंग्लिश टोला निवासी अभिषेक राज अपने दोस्त को परीक्षा दिलाने के लिए बोकारो सेक्टर-4 आया था। परीक्षा देकर लौटने के बाद उसके दोस्त ने बताया कि पेपर लीक हो गया है। चूंकि गिरोह ने बड़े पैमाने पर एसएससी सीजीएल के पेपर बेचे थे। ऐसे में अभ्यर्थी पैसे वापस करने का दबाव न बनाए, इसलिए उसने उसी समय जेएसएससी की वेबसाइट पर हस्तलिखित प्रश्न पत्र और उत्तर अपलोड कर दिया, ताकि परीक्षा रद्द हो जाए। गलती से पेपर के साथ उसके दोस्त का बैंक डॉक्यूमेंट भी वेबसाइट पर अपलोड हो गया। यही गलती जालसाजों की गिरफ्तारी की वजह बनी। पटना में रटवाए गए थे सवालों के जवाब नवादा के शिवनगर निवासी सत्येंद्र कुमार ने बताया कि ’28 जनवरी को होने वाली परीक्षा में सेटिंग करवाने के लिए पूर्व परिचित शैलेंद्र ने कुछ अभ्यर्थियों का जुगाड़ करने को कहा था। परीक्षा से एक दिन पहले शैलेंद्र ने अभ्यर्थियों को पटना के कच्ची तालाब के पास बुलाया और कहीं और ले जाकर उत्तर रटवाए।’ पटना गैंग के संपर्क में था बिहार विधानसभा का मार्शल रिजवान जांच में पता चला कि पेपर लीक की डील होने के बाद पटना गैंग ने अभ्यर्थियों की तलाश शुरू की। इसी दौरान एक सदस्य का बिहार विधानसभा के मार्शल रिजवान से संपर्क हुआ। रिजवान ने अपने ससुर झारखंड विधानसभा के तत्कालीन अवर सचिव शमीम से संपर्क किया। इसके बाद शमीम ने अपने बेटे विधानसभा में कंप्यूटर ऑपरेटर शहजादा व छोटे बेटे शाहनवाज के साथ मिलकर अभ्यर्थियों को फांसना शुरू किया। शमीम ने जिससे रुपए लिए, उसे परीक्षा से दो दिन पहले पटना भेज दिया। वहां रिजवान ने बंद कमरे में सवालों के जवाब रटवाए। परीक्षा रद्द होने के बाद कई अभ्यर्थियों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें रुपए लेने की बात कही थी। शमीम ने अभ्यर्थियों से बात करने के लिए अपने मृत संबंधियों के नाम पर सिम कार्ड खरीदा था, ताकि पकड़े न जाए। शमीम पुराने हाईकोर्ट भवन में अभ्यर्थियों से मिलता था एसआईटी की जांच में यह भी पता चला है कि शमीम अभ्यर्थियों को डोरंडा स्थित पुराने हाईकोर्ट भवन परिसर में बुलाता था। वहीं डीलिंग करता था। इसके बाद वह अभ्यर्थियों की डिटेल्स अपने बेटे शहजादा को भेज देता था। शहजादा विधानसभा में ही बैठकर उनका फॉर्म भरता था।

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