RTO के पूर्व कॉन्स्टेबल के यहां मिली दो क्विंटल चांदी:सौरभ के भोपाल स्थित घर पर रात 12:30 बजे तक चली कार्रवाई, 3 करोड़ कैश भी बरामद

भोपाल की ई-7 अरेरा कॉलोनी में स्थित पूर्व आरटीओ (रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस) कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के बंगले पर लोकायुक्त की टीम ने गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात 12:30 बजे तक कार्रवाई की। इस दौरान पुलिस को नोट गिनने की सात मशीन, कुल 2.95 करोड़ कैश, दो क्विंटल चांदी की सिल्ली, दस किलो चांदी के जेवरात और पचास लाख रुपए का सोना मिला है। इसी के साथ दो कारें, एक स्कूल एक निर्माणाधीन बंगला, लग्जरी लाइफ स्टाइल का करीब दो करोड़ रुपए कीमत का सामान भी घर में मिला है। जिसमें महंगे कपड़े, कीमती झूमर और धातु की मूर्तियां शामिल हैं। आरोपी के ऑफिस से भोपाल, इंदौर और ग्वालियर सहित कई शहरों में प्रॉपर्टी के दस्तावेज, एग्रीमेंट मिले हैं। अब तक आरोपी के तीन बैंक अकाउंट की जानकारी लोकायुक्त टीम को मिली है। इनमें कितना कैश है, इसकी जानकारी जुटाई जाएगी। सौरभ फिलहाल भोपाल में नहीं हैं। कार्रवाई से पहले ही वह दुबई में था। बता दें कि लोकायुक्त टीम ने गुरुवार सुबह यह कार्रवाई की थी। सौरभ के घर से 1.25 करोड़ रुपए कैश, आधा किलो सोना, हीरे और सोने के करीब 50 लाख रुपए के जेवरात और चांदी की सिल्लियां सहित प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले। ऑफिस से 1.70 करोड़ रुपए कैश मिले। सौरभ शर्मा परिवहन विभाग (RTO) में आरक्षक रहे हैं। एक साल पहले वीआरएस ले चुके हैं। फिलहाल, रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े हैं। उनके एक होटल पर भी सर्चिंग गई है। सौरभ ने महज 7 साल की नौकरी में प्रदेश भर में करोड़ों का अवैध साम्राज्य खड़ा किया है। घर के इंटीरियर पर खर्च किए दो करोड़ रुपए सौरभ के घर में कीमती सैनिटरी, झूमर, होम डेकोर का लग्जरी सामान मिला था। इंटीरियर डिजाइनिंग में करीब दो करोड़ रुपए खर्च किए हैं। लोकायुक्त की टीम को उसके घर से चांदी की सिल्लियां मिली है। आरक्षक से बिल्डर बना सौरभ शर्मा सौरभ शर्मा वीआरएस लेने से पहले ही रियल एस्टेट कारोबार से जुड़ गया था। प्रदेश के कई रसूखदारों से उसकी नजदीकी थी। लिहाजा कार्रवाई के डर से उसने वीआरएस लिया और बिल्डर बन गया। पिता की जगह मिली थी अनुकंपा नियुक्ति बताया जा रहा है कि सौरभ को पिता की मृत्यु के बाद परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। मूल रूप से ग्वालियर के रहने वाला सौरभ साधारण परिवार से था। चंद साल की नौकरी में ही उसका रहन-सहन बदल गया था। इसकी शिकायत विभाग सहित अन्य स्थानों पर की जाने लगी। इस पर सौरभ ने वीआरएस लेने का फैसला लिया। इसके बाद भोपाल के कई नामचीन बिल्डरों के साथ प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट करने लगा।

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