SIR…2003 लिस्ट में मतदाता-परिजन का नाम नहीं तो होगी जेल:डिप्टी सीएम बोले-संदिग्धों पर एक्शन, फॉर्म सब्मिट करने में गलत दस्तावेज दिए तो होगी कार्रवाई

छत्तीसगढ़ में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया जारी है। प्रदेश में 99.51 प्रतिशत फॉर्म वितरित हो चुके है और 77.80 प्रतिशत फॉर्म डिजिटाइज हो चुके है। इस प्रक्रिया के बीच फार्म सब्मिट करने के दौरान गलत दस्तावेज देने वालों पर एक्शन लेने की बात छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कही है। मीडिया से चर्चा के दौरान डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने साफ कहा कि मतदाता सूची की शुचिता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होगा और हर संदिग्ध प्रविष्टि की गहराई से जांच कर कड़ी वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। अब पढ़े डिप्टी सीएम ने क्या कहा डिप्टी सीएम ने कहा कि 2003 के मूल रिकॉर्ड में जिन व्यक्तियों या उनके परिजनों का कोई उल्लेख नहीं था, उनके नाम अब अचानक कैसे शामिल हुए यह बड़ा सवाल है? डिप्टी सीएम ने स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति का परिवार, रिश्तेदार या कोई भी पारिवारिक उपस्थिति नजर नहीं आती, तो उसके मूल निवास की जांच के साथ आवश्यक कानूनी कदम उठाए जाएंगे। SIR देश के संसाधनों और नागरिक अधिकारों की रक्षा से जुड़ी अहम प्रक्रिया है। यदि कोई अवैध रूप से देश में प्रवेश कर मतदाता सूची में नाम जोड़ने की कोशिश करता है, झूठे दस्तावेज़ प्रस्तुत करता है, या पारिवारिक संबंध साबित नहीं कर पाता, तो उसके खिलाफ विदेशी अधिनियम और अवैध प्रवासी अधिनियम की कठोर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। दोषी पाए जाने पर जेल भेजने में भी कोई हिचक नहीं होगी। घुसपैठियों को चिंता करने की जरूरत डिप्टी सीएम ने लोगों से अपील की कि वे SIR प्रक्रिया में सहयोग करें। बीएलओ से संपर्क कर अपने फॉर्म भरें या चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए ऑनलाइन विकल्प का उपयोग करें। उन्होंने आश्वस्त किया कि वैध नागरिकों को किसी प्रकार की चिंता की आवश्यकता नहीं है, शासन-प्रशासन उनकी सहायता के लिए तत्पर है। अंत में उन्होंने कहा कि केवल अवैध घुसपैठियों को चिंतित होना चाहिए। देश के संसाधन भारतीयों के लिए हैं और किसी भी प्रकार की घुसपैठ, दहशत या अवैध गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी। निर्वाचन आयुक्त पूर्व में ही जारी कर चुके निर्देश छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयुक्त यशवंत कुमार ने 21 नवंबर को आदेश जारी किया है। राज्य निर्वाचन आयुक्त यशवंत कुमार ने कहा कि गलत जानकारी देने से बचें और किसी को भी पर्सनल जानकारी या OTP ना बताएं। आदेश में उन्होंने लिखा है, कि सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे मृत व्यक्ति या ऐसे व्यक्ति के संबंध में गणना प्रपत्र जमा करना, जो अब भारतीय नागरिक नहीं रहा है। उसका नाम निर्वाचक नामावली में एक से अधिक स्थानों पर मौजूद है। इसके साथ ही लिखा कि वह एक से अधिक स्थानों के संबंध में गणना प्रपत्र जमा करता है। इस प्रकार गणना प्रपत्र में एक ऐसी घोषणा करता है। जो गलत है या जिसके बारे में वह जानता है या मानता है कि वह सत्य नहीं है। वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 31 के तहत अपराध है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 31 के तहत कार्रवाई रायपुर के एडवोकेट विपिन अग्रवाल ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 31 के तहत सजा और जुर्माने का प्रावधान है। इसके तहत 1 साल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकता है। इसलिए SIR फॉर्म भरने के दौरान मतदाता किसी तरह की गलत जानकारी न दें।

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