SISTec गांधी नगर में “फ्यूचर टेक सिम्पोजियम” का समापन:मानकीकरण और तकनीकी नवाचारों पर हुआ विचार विमर्श

सागर इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, गांधी नगर भोपाल में आयोजित पाँच दिवसीय “फ्यूचर टेक सिम्पोजियम” का समापन बुधवार को हुआ। इस सिम्पोजियम का आयोजन मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा किया गया था, जिसमें “अनुसंधान, नवीकरणीय ऊर्जा, निर्माण और मानकीकरण में प्रगति” विषय पर चर्चा की गई। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा प्रायोजित इस सिम्पोजियम में छात्रों, शिक्षकों और उद्योग विशेषज्ञों ने भाग लिया, और इंजीनियरिंग मानकों तथा तकनीकी नवाचारों की अहमियत पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ। सिम्पोजियम का शुभारंभ सिस्टेक की ग्रुप डायरेक्टर डॉ. ज्योति देशमुख के प्रेरक संबोधन से हुआ। उन्होंने तकनीकी क्षेत्र में नवाचार और मानकीकरण के महत्व को समझाया। उद्घाटन सत्र में सिस्टेक गांधी नगर के प्रिंसिपल डॉ. डी.के. राजोरिया ने इंजीनियरिंग प्रथाओं में मानकीकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और इसे भविष्य के तकनीकी विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। सिम्पोजियम के दौरान कई विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिए। डॉ. गौरव द्विवेदी, एसोसिएट प्रोफेसर, MANIT भोपाल ने नवीकरणीय ऊर्जा में विकास और सतत ऊर्जा समाधानों पर अपने विचार साझा किए। वहीं, डॉ. पुष्पदंत जैन, सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर, VIT भोपाल ने उत्पाद डिज़ाइन और नवाचार में मानकों की भूमिका पर गहरी चर्चा की। इसके अलावा डॉ. टी.एन. वर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, MANIT भोपाल ने अनुसंधान पत्र लेखन के लिए आवश्यक कौशल पर प्रकाश डाला। डॉ. सुधांशु कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, MANIT भोपाल ने यांत्रिक परीक्षण और BIS मानकों के संबंध में जानकारी दी। डॉ. के.के. धाकड़, एसोसिएट प्रोफेसर, SGSITS इंदौर ने मानक लेखन प्रक्रिया पर विस्तृत व्याख्यान दिया। सिम्पोजियम का समापन सिस्टेक गांधी नगर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख (संयोजक) डॉ. रविशंकर वी. चौधरी और सह-संयोजक डॉ. रुचिन कक्कड़ द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। सत्र के समापन पर विशेषज्ञों को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। यह पाँच दिवसीय सिम्पोजियम इंजीनियरिंग मानकों की समझ बढ़ाने और तकनीकी नवाचारों को प्रोत्साहित करने के लिहाज से एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ। इस आयोजन ने सभी उपस्थित लोगों को भविष्य में होने वाली तकनीकी चुनौतियों के लिए तैयार होने की प्रेरणा दी।

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