जयपुर के सवाई मान सिंह (SMS) हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में आग लगने से जहां 8 मरीजों की मौत हो गई, उसकी दीवारों में करंट फैलता था। छतों से पानी टपकता था। इलेक्ट्रिक बोर्ड की वायरिंग में भी गड़बड़ी थी। तत्कालीन सेंटर इंचार्ज ने दर्जनों बार इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों को की थी। भास्कर के पास शिकायत के एक्सक्लूसिव दस्तावेज मौजूद हैं। हादसे के 2 दिन पहले (3 अक्टूबर) ही एक शिकायत भेजकर चेताया था कि विद्युत पैनल क्षतिग्रस्त होने से बड़ा हादसा हो सकता है। अफसोस समय रहते उन शिकायतों पर गौर नहीं किया गया। पढ़िए ये Exclusive रिपोर्ट… बार-बार शिकायतों के बाद भी समाधान नहीं
एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में आग लगने के पीछे शॉर्ट सर्किट की आशंका जताई जा रही है। शॉर्ट सर्किट का यह हादसा अचानक नहीं हुआ। इसकी आशंका पहले से जताई गई थी। पड़ताल में सामने आया है कि ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में पानी टपकने और कंरट आने की शिकायतें बार-बार की गईं। हाल ही में 3 अक्टूबर को भी ट्रॉमा सेंटर की छत पर न्यूरो सर्जरी के ऑपरेशन थिएटर के निर्माण कार्य के चलते सेंट्रलाइज AC (वीआरवी सिस्टम), डक्ट मशीन और इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई करने वाले पैनल के क्षतिग्रस्त होने की आशंका जताई गई थी। इसके बावजूद शिकायतों पर गौर नहीं किया गया। कई लेटर लिखे, एक बार भी एक्शन नहीं
पड़ताल में सामने आया कि एसएमएस हॉस्पिटल के अधीक्षक को कई बार लेटर लिखे गए थे। इनका एक बार भी न तो जवाब दिया गया और न ही कोई एक्शन लिया गया। 3 अक्टूबर को ट्रॉमा सेंटर के तत्कालीन नोडल ऑफिसर डॉ. अनुराग धाकड़ ने एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक को पत्र लिखकर निर्माणाधीन न्यूरो ओटी के कारण वीआरवी, डक्ट और विद्युत पैनल के क्षतिग्रस्त होने की आशंका जताई थी। 1 अक्टूबर को ट्रॉमा सेंटर से नर्सिंग अधीक्षक ने नोडल अधिकारी डॉ.अनुराग धाकड़ को लिखा था और वीआरवी, डक्ट और विद्युत पैनल के क्षतिग्रस्त होने की आशंका को देखते हुए समाधान कराने का आग्रह किया था। काश, किसी जिम्मेदार ने गंभीरता से लिया होता
9 सितंबर को ट्रॉमा सेंटर के तत्कालीन नोडल अधिकारी डॉ.अनुराग धाकड़ ने एसएमएस अधीक्षक को पत्र लिखकर अनहोनी की आशंका जताई थी। पत्र में कहा गया था कि 3 सितंबर और 5 सितंबर को भी पत्र लिखकर ओटी में पानी के रिसाव के कारण सर्जरी प्रभावित होने की जानकारी दी थी। धाकड़ ने पत्र में कहा कि पानी के रिसाव के कारण सीलन आने की वजह से ओटी की दीवारों एवं बिजली बोर्डों में भी करंट फैल रहा है। इससे ओटी के डॉक्टर्स, कर्मचारी और मरीजों के साथ अनहोनी होने की आशंका बनी रहती है। 8 सितंबर को डॉ. अनुराग धाकड़ ने चिकित्सा अधिकारी प्रभागीय विद्युत एवं अभियांत्रिकी शाखा एसएमएस अस्पताल को पत्र लिखकर ट्रॉमा सेंटर के ओटी में करंट आने से सर्जरी प्रभावित होने की शिकायत की थी। इसमें ये भी लिखा गया था कि 3 सितंबर को भी सूचना देने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हुआ। किसी भी जिम्मेदार ने अगर इन पत्रों को गंभीरता से लिया होता तो शायद 8 जानें नहीं जातीं। इससे पहले 30 जुलाई को डॉ. अनुराग धाकड़ को आईसीयू प्रथम, कक्ष-203 में टूटी फॉल सिलिंग के बारे में अवगत कराया गया था। इसमें साफतौर पर लिखा गया था कि आईसीयू की फॉल सिलिंग टूटी हुई है। बार-बार बताने के बाद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। साथ ही मरीजों के साथ अप्रिय घटना का जिक्र किया गया था। घटना के बाद भी देरी से एक्शन
ट्रॉमा सेंटर में हादसे के बाद भी लापरवाही देखने को मिली। सेकेंड फ्लोर के आईसीयू में स्थित स्टोर रूम में 5 अक्टूबर की देर रात करीब 11.30 बजे के आसपास आग लगी थी। बंद स्टोर रूम से मरीजों ने धुआं उठता देखा तो मौके पर मौजूद स्टाफ को इसकी सूचना भी दी। तत्काल किसी ने ध्यान नहीं दिया। करीब 20 मिनट की देरी के बाद स्टाफ अलर्ट हुआ। तब तक आग ज्यादा बढ़ गई थी। इस दौरान स्टोर रूम खोलने से पहले ही आईसीयू में धुएं का गुबार फैल गया था। जब स्टोर रूम को खोलने की कोशिश की तब एकदम से धुआं और बढ़ा और रेस्क्यू में मुश्किल हो गई। वहीं, आग बुझाने में देरी हुई। तेजी से आग फैली
बताया जा रहा है कि स्टोर रूम में शॉर्ट सर्किट से आग लगी। बताया जा रहा है कि स्टोर में मरीजों के लिए स्प्रिट, बीटाडीन, सिरिंज, कैनुला, कैथेटर, यूरीन बैग, एप्रिन, कॉटन, ड्रेसिंग दवाइयां, स्टेशनरी, बैडशीट, पिलो कवर, पर्दे जैसा सामान पड़ा हुआ था। इसके कारण से आग तेजी से फैली। ऑक्सीजन के साथ अन्य गैसों से आग बढ़ने की आशंका
ये न्यूरो सर्जरी का आईसीयू का वार्ड था। यह पूरी तरह से पैक होता है। मरीजों के लिए आईसीयू वार्ड में ऑक्सीजन की भी व्यवस्था होती है। ऐसे में ये भी आशंका जताई जा रही है कि आग का ऑक्सीजन से संपर्क हुआ हो और आग और बढ़ गई हो। दम घुटने से मौत को माना जा रहा वजह
स्टोर रूम में आग लगने के बाद आईसीयू में धुआं आना शुरू हो गया गया। इसके बाद आग पर काबू पाने के लिए स्टोर रूम खोलते ही पुरा आईसीयू धुएं के गुबार छा गया। और वार्ड में भर्ती मरीजों की मौत का कारण यही माना जा रहा है। क्योंकि सभी मरीज क्रिटिकल हालात में ही इस वार्ड में भर्ती थे। हालांकि मौत का सही कारण पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा। वार्डों में आए दिन टपकता है पानी
एसएमएस अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर के वार्डों में पानी टपकने की समस्या आए दिन बनी रहती है। जिस आईसीयू में आग लगी उसके पास के भी सेमी आईसीयू से मरीजों को शिफ्ट कर दिया गया था। भास्कर ने जब इस सेमी आईसीयू का जायजा लिया तो सामने आया कि इस वार्ड की दीवारों पर सीलन है। सेमी आईसीयू के कार्मिकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वार्ड में आए दिन पानी टपकता रहता है। इस बारे में कई बार में कई बार शिकायत की जाती है। थोड़े बहुत सुधार के बाद फिर से हालात जस के तस बन जाते हैं। सेमी आईसीयू में एक जगह तो फॉल सीलिंग भी नजर नहीं आई। नर्सिंग कार्मिकों ने बताया कि ऐसे हालात में मरीजों को रखा जाता है। ऐसे में पानी टपकने के चलते भी शॉर्ट सर्किट की होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। अनुराग धाकड़ बोले- समय-समय पर कराते हैं अवगत
हादसे के बाद ट्रॉमा सेंटर के नोडल अधिकारी पद से हटाए गए डॉ. अनुराग धाकड़ ने बताया कि ट्रॉमा सेंटर मेंटेनेंस और बजट अधीक्षक ऑफिस से ही गवर्न होता है। हमारी ड्यूटी होती है की समय-समय पर उन्हें जानकारी दें। साथ ही रिमाइंडर भी दिए जाते रहे हैं। हम रेगुलर समस्याओं को लेकर बताते रहते हैं। ——————————— SMS हॉस्पिटल अग्निकांड की ये खबरें भी पढ़िए… स्वास्थ्य मंत्रीजी! छुपिए मत, बताइए 8 मौतों का जिम्मेदार कौन?:दोषियों को सजा मिलेगी या क्लीनचिट, खींवसर से जयपुर 6 घंटे दूर, आपको 17 घंटे लग गए राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल (SMS) में आखिर आग कैसे लग गई? पूरा प्रदेश इस सवाल का सच्चा जवाब जानना चाहता है। सच्चा जवाब इसलिए, क्योंकि सरकारी कमेटियों की जांच और उनके दावों पर यहां की जनता को कोई भरोसा नहीं है। पढ़ें पूरी खबर… SMS अग्निकांड में 19 घंटे बाद पहली कार्रवाई: अधीक्षक-ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज को हटाया, XEN निलंबित जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में रविवार देर रात आग लग गई। हादसे में 8 मरीजों की मौत हो गई। इनमें 3 महिलाएं शामिल हैं। पढ़ें पूरी खबर…