पंजाब और हरियाणा के बीच लंबे समय से विवादित सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर के मुद्दे पर मंगलवार को दिल्ली में एक अहम बैठक हुई। यह बैठक श्रमिक शक्ति भवन में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की अध्यक्षता में आयोजित की गई। जिसमें पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हिस्सा लिया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही यह सुझाव दिया था कि अगर यह मामला आपसी सहमति से सुलझ सकता है, तो दोनों राज्यों को बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए। बैठक में सकारात्मक माहौल, मसला हल होने की उम्मीदें बढ़ीं बैठक के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मीडिया से बातचीत में कहा कि चर्चा सकारात्मक माहौल में हुई है। उन्होंने कहा- सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर आपसी बातचीत से हल निकल सकता है, तो प्रयास करना चाहिए। आज कुछ सकारात्मक कदम उठे हैं और आगे भी अच्छे परिणाम आने की उम्मीद है। यह मुद्दा दोनों राज्यों के लिए लंबे समय से दर्द बना हुआ है। मान ने कहा कि पंजाब पानी के बंटवारे के मुद्दे पर तार्किक और न्यायसंगत समाधान चाहता है। उन्होंने कहा कि अगर यमुना नदी का पानी पंजाब को मिले और सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) रद्द होने के बाद मिलने वाला पानी उपलब्ध हो जाए, तो पंजाब न केवल अपनी जरूरतें पूरी करेगा, बल्कि हरियाणा और राजस्थान जैसे पड़ोसी राज्यों को भी पानी देने पर विचार कर सकता है। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि वह बस यही चाहते हैं कि अमेरिकी डोनाल्ड ट्रंप कोई ऐसा ट्वीट न कर दें कि इन्डस ट्रीटी को फिर से बहाल कर दिया है। मान का इशारा पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि की ओर था, जिसे भारत द्वारा रद्द करने की संभावनाओं पर वे बात कर रहे थे। हरियाणा ने दोहराई SYL पूरी करने की मांग वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि यह एक बहुत पुराना और गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा कि 9 जुलाई को भी एक सकारात्मक बैठक हुई थी और 13 अगस्त को जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी, तो हरियाणा सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ ही अदालत पहुंचेगा। सैनी ने कहा कि हरियाणा को उसका हिस्सा मिलने तक राज्य अपने अधिकार की लड़ाई जारी रखेगा। सैनी ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के बीच लड़ाई नहीं है, यह राजनीतिक दलों द्वारा वर्षों से खड़ा किया गया मुद्दा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हरियाणा को SYL नहर से उसका पानी मिलना ही चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में 13 अगस्त को सुनवाई बता दें कि SYL नहर की कुल लंबाई 214 किलोमीटर है, जिसमें हरियाणा का हिस्सा बन चुका है, लेकिन पंजाब के हिस्से का निर्माण अब तक अधूरा है। 15 जनवरी 2002 को सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया और पंजाब को नहर का काम पूरा करने का आदेश दिया। हालांकि, 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब विधानसभा में कानून पास कर 1981 के समझौते को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी। उससे पहले एक और बैठक बुलाई जाएगी, ताकि अंतिम प्रयास के तौर पर आपसी सहमति बनाई जा सके। पंजाब का रुख: पहले रावी और चिनाब का पानी मुख्यमंत्री भगवंत मान ने दोहराया कि पंजाब की प्राथमिकता अपने हिस्से का पानी सुरक्षित करना है। उन्होंने कहा- हरियाणा हमारा भाई है। अगर हमें रावी और चिनाब का पानी मिल जाएगा, तो हम हरियाणा को पानी देने में कोई दिक्कत नहीं करेंगे। बैठक में फिलहाल कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है, लेकिन माहौल सकारात्मक रहा। केंद्र सरकार ने भी भरोसा दिलाया है कि वह दोनों राज्यों की चिंताओं पर विचार करेगी। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले इस तरह की बैठकें इस लंबे समय से लटके मुद्दे को सुलझाने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही हैं।