बिलासपुर में पदस्थ रहे टीआई कलीम खान को डिमोट कर एसआई बना दिया गया है। संभवत: यह ऐसा पहला मामला होगा, जिसमें केवल शिकायत के आधार जांच पूरी कर सजा भी दे दी गई है। चार साल पुराने ठगी के केस में आरोपी की पत्नी से पैसे मांगने, गलत तरीके से कस्टडी में रखने और बिना अनुमति फ्लाइट पर सफर करने जैसे आरोप में आईजी डॉ. संजीव शुक्ला ने बड़ी सजा दी है। जबकि, विभागीय जांच में प्रस्तुतकर्ता अधिकारी ने साक्ष्य नहीं होने जैसे तथ्यों का उल्लेख किया है। यही वजह है कि चार एसपी बदलने के बाद भी विभागीय जांच पूरी नहीं हो सकी। चार साल तक चली जांच में शिकायत करने वाली महिला ने अपना बयान तक दर्ज नहीं कराया। दरअसल, दैनिकभास्कर के पास ऐसे साक्ष्य और रिपोर्ट है, जिसमें महिला के आरोपों पर शिकायत के अलावा कोई साक्ष्य नहीं उपलब्ध नहीं होने जैसी बातें लिखी है और न ही शिकायत के समर्थन में कोई गवाह या साक्ष्य या दस्तावेज प्रस्तुत किया गया है। जबकि, टीआई कलीम खान ने अपने बचाव में कई साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं, जिसमें धोखाधड़ी के केस के प्रार्थी तरूण साहू को गवाह बताया है, जो टीम के साथ दिल्ली गया था। उसने किसी तरह पैसे की लेनदेन नहीं होने की बात कही है। वहीं, एक अन्य आरोपी की पत्नी भी गवाह है, जिसे शिकायतकर्ता महिला के साथ ज्वेलरी शाप नहीं जाने, कोई भी जेवर नहीं बेचने और पुलिस को कोई भी पैसे नहीं दिए जाने का तथ्य उल्लेखित की है। आरोप साबित नहीं, बयान देने तक नहीं आई महिला
यह मामला चार साल से लंबित रहा। महिला ने तत्कालीन एसपी प्रशांत अग्रवाल से शिकायत की थी, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद एसपी दीपक झा ने जांच कराई, पर उनका स्थानांतरण हो जाने के बाद मामला फिर अटक गया। बाद में एसपी पारूल माथूर ने विभागीय जांच के आदेश दिए। इस बीच उनका भी तबादला हो गया। फिर संतोष सिंह एसपी बने। इस दौरान जांच और बयानों में आरोप साबित नहीं हुआ। जबकि, शिकायत करने वाली महिला को बार-बार नोटिस दिया गया। फिर भी वो बयान देने नहीं आईं। एसएसपी रजनेश सिंह के कार्यकाल में जांच कराई गई। जिसमें प्रस्तुतकर्ता अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में आरोप साबित नहीं होने का जिक्र किया है। हालांकि, एडिशनल एसपी अर्चना झा ने रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कुछ आरोप प्रमाणित होने जैसी बातें लिखीं हैं। आईजी संजीव शुक्ला ने जांच प्रतिवेदन के आधार परटीआई कलीम खान को डिमोट करने का आदेश जारी किया। टीआई ने अपनी बचाव में खुद कराई मोबाइल की जांच
टीआई कलीम खान ने अपने खिलाफ चल रहे विभागीय जांच में कई साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिसमें उन्होंने खुद अपने और शिकायत करने वाली महिला की मोबाइल की तकनीकी जांच कराई। सीडीआर भी निकलवाए। साथ ही यह भी बताया कि एसपी के मौखिक और मोबाइल मेसेज पर दिए गए आदेश के अनुसार आरोपी को पकड़ा। उन्होंने अवैध वसूली के आरोप पर भी किसी तरह के साक्ष्य नहीं होने का दावा किया। जिसे प्रस्तुतकर्ता अधिकारी ने सही माना है। 20 दिसंबर 2020 को फ्लाइट से दिल्ली से मुंबई गया
टीआई कलीम खान ने महिला के लगाए गए आरोपों पर निर्दोष होने के सबूत दिए, जिसमें बताया गया कि महिला ने दिल्ली में यौन शोषण करने का आरोप लगाया। जिस पर टीआई खान ने बताया कि स्टाफ के साथ 19 व 20 दिसंबर 2020 की रात को ई टिकट लेकर दिल्ली एयरपोर्ट से इंडिगो फ्लाइट से मुंबई गया। दिल्ली एयरपोर्ट से फ्लाइट के डिपार्चर का समय सुबह 6.25 बजे व मुंबई एयरपोर्ट पर फ्लाइट पहुंचने का समय सुबह 8.45 बजे अंकित है। ऐसे में उनका लोकेशन मुंबई में था तो वो महिला का यौन शोषण कैसे कर सकते हैं। सात माह बाद शिकायत इसलिए आरोपों पर उठे सवाल
आरोपी की गिरफ्तारी के सात माह बाद उसकी पत्नी ने पुलिस अफसरों से शिकायत की, जिसमें उसने आरोप लगाया कि पति की गिरफ्तारी के बाद टीआई कलीम खान ने केस को कमजोर करने व जमानत कराने के लिए चार लाख रुपए की डिमांड की। साथ ही यौन शोषण जैसे आरोप लगाए। आरोपी की गिरफ्तारी के सात माह बाद हुई शिकायत के चलते कई तरह के सवाल उठे। महिला का आरोप, पति के मोबाइल से टीआई ने किया मेसेज
प्रस्तुतकर्ता अधिकारी की जांच में स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता महिला के मोबाइल के चैट में कोई भी तारीख का उल्लेख नहीं है। महिला ने बताया कि उसके पति के मोबाइल को टीआई कलीम खान हैंडल कर रहा था। 21 दिसंबर 2020 को जो चैट किया गया है, उसमें जहां पनाह के साथ किया गया है। स्क्रीन शॉट को देखने पर पति-पत्नी के बीच चैट होना प्रतीत होता है। इस तरह से अभियोजन साक्षी के कथन, परीक्षण और और अवलोकन के बाद स्पष्ट किया गया है कि चार लाख रुपए लेनदेन के संबंध में शिकायतकर्ता महिला के पास कोई भी साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। केवल एक आरोप प्रमाणित, पुलिस रेग्युलेशन एक्ट का उल्लंघन
विभागीय जांच में प्रस्तुतकर्ता अधिकारी ने पाया कि टीआई कलीम खान ने बिना सक्षम अनुमति लिए फ्लाईट पर दिल्ली से मुंबई की यात्रा की, जो स्वेच्छाचारिता प्रदर्शित करता है और यह पुलिस रेग्युलेशन की कंडिका 64 (4) का उल्लंघन है। टीआई को सजा, उस केस का आरोपी फरार
धोखाधड़ी के जिस केस में महिला की शिकायत पर पुलिस अफसरों ने टीआई को सजा दी है। उसके आरोपी को टीआई कलीम खान ने गिरफ्तार किया था। बाद में कोरोना काल का फायदा उठाकर वो पैरोल पर छूट गया, जिसके बाद से आरोपी अभी तक फरार है। इस दौरान पुलिस अफसरों ने टीआई के खिलाफ विभागीय जांच में रूचि दिखाई। लेकिन, केस के फरार आरोपी को पकड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। आईजी बोले- जांच रिपोर्ट पर हुई कार्रवाई
इधर, आईजी डॉ. संजीव शुक्ला का कहना है कि टीआई कलीम खान के खिलाफ पुरानी शिकायत थी, जिसकी विभागीय जांच चल रही थी। जांच में अनाधिकृत रूप से कस्टडी में लेकर संदिग्ध आचरण करने पर आरोप प्रमाणित हुआ है, जिस पर उन्हें सजा दी गई है, जिसके तहत उनका डिमोशन कर एक साल के लिए एसआई बनाया गया है। जानिए क्या है पूरा मामला….
2020 में कोनी थाना क्षेत्र में तीन जिलों के लोगों से मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के नाम पर 82 लाख की ठगी हुई थी। साइबर सेल में पदस्थ तत्कालीन टीआई कलीम खान ने दिल्ली जाकर मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया था। उत्तरप्रदेश गाजियाबाद निवासी आरोपी की पत्नी ने आरोप लगाया कि कलीम खान ने केस को कमजोर करने व जमानत दिलाने के बदले पैसे लिए और शारीरिक संबंध भी बनाए। इसके बाद भी उसके पति को गिरफ्तार कर लिया। 16 दिसंबर 2021 को इसकी शिकायत तत्कालीन डीजीपी से की गई थी। इस मामले की जांच एडिशनल एसपी ग्रामीण अर्चना झा ने की। जांच रिपोर्ट में आरोपी को गलत तरीके से कस्टडी में रखकर वसूली करने, बिना अनुमति हवाई सफर की पुष्टि की गई। टीआई कलीम खान वर्तमान में सरगुजा में पदस्थ है। आईजी ने सरगुजा एसपी को कार्रवाई की रिपोर्ट भेजी है।


