चंडीगढ़ कोर्ट ने पत्नी से दुष्कर्म के आरोप में फंसे पति को बरी कर दिया है। कोर्ट सुनवाई में सामने आया कि पुलिस ने आधार कार्ड में दर्ज उम्र के आधार पर युवती काे नाबालिग मानते हुए उसके पति के खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज किया था। कोर्ट में लड़की और उसके घरवालों ने साफ कहा कि उनकी शादी 20 जुलाई 2020 को दोनों परिवारों की सहमति से हुई थी। यह विवाह पूरी तरह से बिना किसी दबाव के हुआ था। मामले में खास बात है कि गवाही में युवती ने कहा कि उसने कभी अपने पति के खिलाफ कोई शिकायत नहीं दी। पुलिस ने उससे कोरे कागज़ों पर जबरन हस्ताक्षर करवा लिए थे। उसने यह भी साफ किया कि उनके बीच सितंबर 2020 में पहली बार संबंध बने थे। आयु सही तो पीड़िता बालिग कोर्ट ने यह माना कि युवती का जन्म 25 अगस्त 2002 को हुआ था, जिसे प्रमाण पत्र के जरिए साबित भी किया गया। ऐसे में सितंबर 2020 में जब संबंध बने, तब वह बालिग थी। कानून के मुताबिक बालिग को अपनी मर्जी से संबंध बनाने का अधिकार है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर मान भी लें कि पीड़िता नाबालिग थी और शादी के तुरंत बाद पति के साथ रहने लगी थी, तो भी इस मामले में एफआईआर शादी के 15 महीने बाद दर्ज की गई, जिससे पूरे मामले पर सवाल खड़े होते हैं। कोर्ट ने अपने फैसले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के 2017 के ‘वेद पाल बनाम हरियाणा राज्य’ केस का हवाला भी दिया। सभी दलीलों और साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने आरोपी पति को बरी कर दिया।